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Paddy crop: हरियाणा में कीट और बारिश का कमाल, बढ़ा दिया धान का रकबा

Paddy Crop हरियाणा के जीद में सरकार की ओर से धान न लगाने पर प्रोत्‍साहन राशि के बावजूद रकबा बढ़ गया है। यह सब एक कीट और बारिश की वजह से हुआ। वहीं इस बार पराली के भी भाव बढ़ सकते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 04:18 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 04:18 PM (IST)
Paddy crop: हरियाणा में कीट और बारिश का कमाल, बढ़ा दिया धान का रकबा
हरियाणा के जींद में धान का रकबा बढ़ा। फाइल फोटो

जींद, जागरण संवाददाता। जींद में कीट और बारिश के आगे सरकार का प्रोत्‍साहन काम नहीं आया। कीट की वजह से धान का रकबा बढ़ गया। बारिश से किसानों ने कपास की फसल को उखाड़कर धान की बुवाई कर दी। वहीं, अब प्रशासन को पराली की चिंता सताने लगी है। 

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कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप होने के चलते रकबा घटा है। वहीं सामान्य से ज्यादा बरसात की वजह से भी कपास की फसल की जुताई कर किसानों ने धान की फसल लगा दी। नुकसान से बचने के लिए इस बार जिले में 1.50 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में धान की फसल है। जिससे इस बार पराली का उत्पादन भी बढ़ेगा। इस बार पराली ना जले, इसके लिए प्रशासन अभी से तैयारियों में जुट गया है। 

बढ़ता है प्रदूषण

हर साल धान कटाई के सीजन में पराली जलने से प्रदूषण बढ़ने का मामला बड़ा मुद्​दा बनता है। कोर्ट तक ये मामला उठ चुका है और कई बार हरियाणा व दिल्ली सरकार के बीच भी इस मामले को लेकर खींचतान हो चुकी है। हालांकि सरकार के प्रयासों के चलते हर साल पराली जलाने के मामलों मे कमी भी आई है। 

एक लाख टन पराली का लक्ष्‍य

इस बार प्रशासन इस प्रयास में जुटा है कि जिले में कोई किसान पराली ना जलाए। अलेवा में प्लांट लग रहा है, जहां करीब एक लाख टन पराली की खरीद की जाएगी। जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और पराली जलाने के मामलों में कमी आएगी। जींद जिले में हर साल करीब सात लाख टन पराली का उत्पादन होता है। इसमें से बासमती धान की पराली को किसान चारे के रूप में प्रयोग करते हैं। 

कृषि विभाग देगा अनुदान

वहीं उचाना व नरवाना में पीआर धान की खेती होती है। इसकी कटाई किसान कंबाइन से करवाते हैं और कटाई के बाद फसल अवशेष में आग लगाते हैं। कृषि विभाग इन फसल अवशेषों में आग लगाने की बजाय गांठ बनाकर प्लांट में बेच सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष से गांठ बनाने वाले बेलर पर अनुदान भी दिया जा रहा है। 

चारे की कमी को पूरा करेगी पराली

पशु चारे के लिए इस बार तूड़ी की किल्लत है। तूड़ी के रेट 1500 रुपये क्विंटल तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में इस धान कटाई के सीजन में पराली के रेट में तेजी आने की संभावना है। पराली को किसान पशु चारे में प्रयोग करते हैं। दिल्ली, राजस्थान और दूसरे राज्यों में भी हरियाणा से पशु चारे के लिए पराली जाती है। पिछले साल प्रति एकड़ साढ़े तीन हजार रुपये तक पराली बिकी थी। इस बार पराली का भाव पांच हजार रुपये तक भी पहुंच सकता है।


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