इस लोकसभा क्षेत्र के अखाड़े में उतरते हैं बाहरी दिग्गज, ये है बड़ी वजह
लोकसभा चुनाव का अखाड़ा तैयार है। राजनीतिक दलों ने भी मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। पानीपत में पहले करनाल के अरविंद शर्मा और अब अश्विनी चोपड़ा सांसद हैं। अबकी स्थानीय नेता जोर लगा रहे।
पानीपत [अरविन्द झा]। लोकसभा चुनाव-2019 की किसी भी दिन अब घोषणा हो सकती है। इससे पहले ही करनाल लोकसभा सीट पर शुरू हो गई नेताओं की फिल्डिंग। पानीपत और करनाल, दो जिलों को जोड़कर बनाई गई सीट पर इस बार पानीपत के स्थानीय निवासी को टिकट देने की मांग उठ गई है। दरअसल, पानीपत का अपना कोई स्थानीय सांसद नहीं बनने से यह जिला विकास के मामले में पिछड़ता जा रहा है।
वर्तमान में इस सीट पर अश्विनी चोपड़ा सांसद हैं। बीमार होने के कारण पिछले कई माह से सक्रिय नहीं हैं। घर चाहे करनाल में बना लिया हो, रहते दिल्ली में हैं। शहर के विकास में सांसद की महत्वपूर्ण भागीदारी को देखते हुए पानीपतवासियों ने स्थानीय प्रत्याशी खड़े करने के लिए मोर्चा खोल दिया है।
पंजाबी बिरादरी चाहते हैं अपना उम्मीदवार
पंजाबी बिरादरी के लोग पहले ही बैठक कर पानीपत से सांसद पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर चुके हैं। भाजपा किसान मोर्चा सहित शहर के कई संगठनों का समर्थन मिला है। लोकसभा चुनाव में इस बार पैराशूट प्रत्याशी स्वीकारने को कोई तैयार नहीं है।
पूर्व सांसद भी मैदान में उतरने के प्रयास में
पानीपत शहर से भाजपा से तीन और कांग्रेस से तीन प्रत्याशी अभी से दावेदारी जता रहे हैं। पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा के भी करनाल सीट से चुनावी जंग में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं। किस पार्टी का दामन पकड़ कर मैदान में उतरेंगे, इसके पत्ते उन्होंने अभी तक नहीं खोले।
मराठी कार्ड पर टिकट का दावा
दो प्रत्याशी मराठा समुदाय से स्वयं को जोड़कर टिकट लेने का दावा कर रहे हैं। बीते मंगलवार को सेक्टर 7 स्थित ताऊ देवी लाल पार्क में वार मेमोरियल के शिलान्यास कार्यक्रम में उपस्थिति दिखा कर दावा जता दिया है। करनाल के बड़े उद्योगपति बताए जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मराठों का हितैषी बता कर भाजपा से टिकट लेने की जुगत भिड़ा रहे हैं।
दमदार प्रत्याशी की तलाश में पार्टियां
नगर निगम और जींद उपचुनाव में कांग्रेस को मिली पराजय से पार्टी हाईकमान करनाल लोकसभा सीट से किसी दमदार प्रत्याशी की तलाश में है। पानीपत से दो प्रत्याशी इस पार्टी इस पार्टी से चुनाव लडऩे की दावेदारी जता रहे हैं। गुटबाजी के चलते टिकट हासिल करना प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं होगा। इनेलो में अंतरकलह और जजपा के उभरने से नए समीकरण बनने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। एक-दो आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।