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मेले में किसानों को दिखाए ऑर्गेनिक उत्पाद

कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा में जिला स्तरीय किसान मेला लगाया गया। इसमें कृषि वैज्ञानिकों ने फसल अवशेष प्रबंधन करने के साथ-साथ खेती की नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी। ऑर्गेनिक उत्पाद केंचुआ खाद और बीज के 15 स्टॉल लगाए गए। रोटावेटर सहित फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया गया। मेले का शीर्षक संरक्षित खेती- विविधापूर्वक खेती लाभकारी खेती था। मेले में 800 से अधिक किसान शामिल हुए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 07:00 AM (IST)
मेले में किसानों को दिखाए ऑर्गेनिक उत्पाद
मेले में किसानों को दिखाए ऑर्गेनिक उत्पाद

जागरण संवाददाता, पानीपत : कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा में जिला स्तरीय किसान मेला लगाया गया। इसमें कृषि वैज्ञानिकों ने फसल अवशेष प्रबंधन करने के साथ-साथ खेती की नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी। ऑर्गेनिक उत्पाद, केंचुआ खाद और बीज के 15 स्टॉल लगाए गए। रोटावेटर सहित फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया गया। मेले का शीर्षक संरक्षित खेती- विविधापूर्वक खेती, लाभकारी खेती था। मेले में 800 से अधिक किसान शामिल हुए।

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कार्यक्रम में सामुदायिक रेडियो स्टेशन का शिलान्यास भी किया गया। यह डेढ़ माह में काम करना शुरू कर देगा। एफएम चैनल के माध्यम से 15 किलोमीटर के दायरे में शामिल किसानों को कृषि संबंधी नवीनतम जानकारी दी जाएगी।

किसानों में बढ़ी जागरूकता

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. राजबीर गर्ग ने कहा कि पिछले वर्ष धान की पराली के प्रबंधन के लिए खेतों में प्रदर्शनी प्लांट लगाए, प्रशिक्षण कार्यक्रम किए गए। खेत दिवस, वैज्ञानिक किसान वार्ता, किसान गोष्ठी का आयोजन किया। इससे जिले के किसानों में जागरूकता बढ़ी है।

फसल चक्र अपनाएं

केंद्र के भूतपूर्व संयोजक डॉ. हरिराम मलिक ने किसानों को फसल चक्र अपनाने का आह्वान किया। इसमें दलहनी फसलों को शामिल करें। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। केवीके यमुनानगर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरएस टाया ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र हर वर्ष मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण देता है। यहां से प्रशिक्षण लेकर इसकी खेती की जा सकती है।

बीज उपचार जरूर करें

मृदा वैज्ञानिक डॉ. देवराज ने कहा कि मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर किसान रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें। इससे बचत होगी। पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. कुशलराज ने बताया कि किसान धान की फसल की पनीरी बोने से पहले बीज उपचार अवश्य करें। कृषि अभिभावक डॉ. संदीप ने किसानों को धान की सीधी बिजाई का प्रयोग करने के लिए कहा।

फसल अवशेष प्रबंधन से बढ़ेगी भूमि की उर्वरा शक्ति

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व क्षेत्रीय निदेशक गन्ना अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. समर सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन अपनाने पर जोर दिया। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति में इजाफा होगा। साथ ही जैविक कार्बन में बढ़ोतरी होगी।

किसानों ने भी दिए सुझाव

कार्यक्रम में प्रीतम सिंह, राजेंद्र सिंह, कर्मवीर सिंह, होशियार सिंह, प्रवीण कुमार, रघुबीर सिंह, बलबीर, अजित सिंह आदि किसानों ने समय-समय पर मेले का आयोजन करने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि इसमें हमेशा नई जानकारी मिलती है।


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