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शिवाजी स्टेडियम के खुले द्वार, खिलाड़ियों ने बहाया पसीना

लॉकडाउन में दो महीने तक शिवाजी स्टेडियम पर ताला लगा था। खिलाड़ी घरों में थे। कोई बहन के साथ अभ्यास कर रहा था तो कोई ऑनलाइन कोच से टिप्स ले रहा था। अब स्टेडियम खुलने से राहत मिली है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 09:44 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 09:44 AM (IST)
शिवाजी स्टेडियम के खुले द्वार, खिलाड़ियों ने बहाया पसीना
शिवाजी स्टेडियम के खुले द्वार, खिलाड़ियों ने बहाया पसीना

जागरण संवाददाता, पानीपत : लॉकडाउन में दो महीने तक शिवाजी स्टेडियम पर ताला लगा था। खिलाड़ी घरों में थे। कोई बहन के साथ अभ्यास कर रहा था तो कोई ऑनलाइन कोच से टिप्स ले रहा था। इसके बावजूद उनका वजन बढ़ चुका था और प्रदर्शन में भी कमी आ गई थी। बॉक्सर और एथलीट परेशान थे। अब स्टेडियम के द्वार खिलाड़ियों के लिए खुल गए हैं। वे घरों की बंदिश से निकलकर शारीरिक दूरी का पालन कर मैदान में पसीना बहा रहे हैं। उनका जोर शरीर का वजन घटाने व तकनीकी कुशलता हासिल करने पर है। ऐसा कर वे आगामी राज्य व राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने की होड़ में लगे हैं। ऐसे ही खिलाड़ियों से दैनिक जागरण ने लॉकडाउन में बिताए दिनों के बारे में बातचीत की।

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घर में पंचिग ठीक से नहीं कर पाया

अंडर-14 नेशनल बॉक्सिग चैंपियनशिप में दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीत चुके मिलन देशवाल बताते हैं कि पहली बार दो महीने बॉक्सिग रिग से दूर रहा। ऑनलाइन कोच के संपर्क में था, लेकिन घर मुक्कों की टाइमिग ठीक से नहीं हो पा रही थी। रिग को मिस कर रहा था। अब रिग में अभ्यास करने से मुक्के व पैरों की मूवमेंट ठीक हो रही है।

भाई से सीखा डिफेंस करना

11 वर्षीय याक्षी ने बताया कि बड़ा भाई मिलन स्टेडियम में उसे ज्यादा समय नहीं दे पाता था। घर पर रहने दो महीने भाई से उसने विरोधी के मुक्कों से बचने की तकनीक सीखी। गलती में सुधार किया। भाई के साथ मुकाबला भी खेला, लेकिन उसे हरा न पाने का मलाल है।

वजन पर नियंत्रण पाना कठिन हो गया

राज्य स्तरीय बॉक्सिग प्रतियोगिता व इंटर कॉलेज के स्वर्ण पदक विजेता निक्षु ने बताया कि घर पर दौड़ नहीं पा रहा था। खाना ज्यादा खाया। इससे शरीर का वजन बढ़ गया था। वजन बढ़ने से शरीर की मूवमेंट ठीक से नहीं हो पा रही थी। अब स्टेडियम में दौड़ लगाकर वजन को कम करना व तकनीक में सुधार करना लक्ष्य है।

घर रहना अच्छा नहीं लगता

राज्य स्तरीय बॉक्सिग चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता सुमित दहिया बताते हैं कि वह दो साल से स्टेडियम में अभ्यास कर रहा है। पहली बार दो महीने रिग से दूर रहा। घर पर रहना अच्छा नहीं लग रहा था। अभ्यास भी नहीं कर पा रहा था। दोस्तों की भी याद आ रही थी। अब अभ्यास ठीक से करूंगा।


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