Move to Jagran APP

काश ! उस दिन चुप न रहती कविता, सिरफि‍रों को मिल गया एसिड अटैक का मौका

मात्र ढाई सौ रुपये के लालच ने खराब कर दी जिंदगी। अब खुद की जिंदगी भी खतरे में। एक दिन पहले अगर पुलिस तक मामला पहुंचता तो शायद हमला न होता। आरोपित भी पकड़े जाते।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 01:51 AM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 10:58 AM (IST)
काश ! उस दिन चुप न रहती कविता, सिरफि‍रों को मिल गया एसिड अटैक का मौका
काश ! उस दिन चुप न रहती कविता, सिरफि‍रों को मिल गया एसिड अटैक का मौका

जेएनएन, पानीपत /अंबाला - एक चुप्‍पी ने जिंदगी भर का दर्द दे दिया। एसिड अटैक की शिकार महिला कविता को यकीन नहीं था कि उसके साथ इतना सब हो जाएगा। कविता पर तेजाब फेंकने के बाद आरोपित मोती और उसका नाबालिग सहयोगी अपनी मोटरसाइकिल पर हांसी से होते हुए रूपनगर पहुंचा। रूपनगर में अपने घर जाकर मोती ने अपना फोन स्विच ऑफ किया और चैन की नींद सो गया। हालांकि रूपनगर में पहुंचने के बाद कविता पर तेजाब फेंकने वाले नाबालिग से एक बार मोती की बात भी हुई थी।

loksabha election banner

हालांकि नाबालिग उस दिन चैन की नींद नहीं सो पाया, क्योंकि उसकी बाजू और पांव पर तेजाब गिर गए थे। उसकी जलन ने उसे सोने नहीं दिया। साथ ही उसे यह भी चिंता थी कि कहीं इस मामले में पकड़े न जाएं। क्योंकि मोती ने उसे यह नहीं बताया था कि जो तेजाब कविता पर फेंका जा रहा है, वह जानलेवा भी साबित हो सकता है। मोती ने उसे यही बताया था कि केवल कविता को डराने के लिए उस पर एसिड फेंकने का ड्रामा करना है। 4 अक्टूबर को करीब नौ बजे दोनों आरोपित रूपनगर पहुंचे और मोती घर में चैन की नींद सो गया। कविता ने दूसरे दिन बताया था कि मोती ने उसे धमकी दी थी। वह भी उस वक्त जब उसके पति ने मोती पर शक जताया था। यदि कविता पहले ही दिन पुलिस के सामने यह बयान दे देती तो आरोपी चेन की नींद न सो पाता और उसे उसी दिन पकड़ा जा सकता था।

लालच ने तबाह कर दी जिंदगी
मोती ने कविता पर तेजाब फेंकने पर नाबालिग को ऑटो और दूसरे सहयोगी नीतिन को मोटरसाइकिल दिलाने का लालच दिया था लेकिन जिस साथी प्रदीप ने उसने तेजाब लिया उसे मात्र 250 रुपये का लालच मिला था। मोती ने हांसी के जिस प्रदीप से तेजाब लिया था, प्रदीप किसी फैक्ट्री में काम करता है। प्रदीप गरीब परिवार से बताया जा रहा है। उसे तेजाब लाने के लिए पांच सौ रुपये दिए गए थे। इसमें से 250 तेजाब की कीमत थी और 250 रुपये उसे बतौर इनाम मोती ने दिए थे। इसी 250 रुपये के तेजाब ने कविता अनेजा की ङ्क्षजदगी तबाह कर दी। साथ ही 250 रुपये का लालच अब प्रदीप की जिंदगी पर भी भारी पड़ेगा, क्योंकि अब प्रदीप की गिरफ्तारी भी तय है।

केवल कंपनी तक ही सीमित सरकारी नियम
तेजाब बेचने वाले के पास केवल तेजाब खरीदने वाले व्यक्ति, फर्म या फैक्ट्री संचालक का रिकॉर्ड होता है लेकिन तेजाब खरीदने के बाद उसका इस्तेमाल किस काम के लिए हुआ और उस काम पर कितना तेजाब खर्च हुआ इसका न तो कोई रिकॉर्ड होता न ही ऐसा रिकॉर्ड मेनटेन करने के कोई नियम। ऐसे में मालिक तेजाब कर्मचारियों को उपलब्ध करा देता है और कर्मचारी आगे उसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इन्हीं कर्मचारियों को थोड़ा बहुत लालच देकर आसानी से तेजाब खरीदा जा सकता है। ऐसा ही मोती ने भी किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.