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कभी पिता ने हाॅकी स्टिक दिलाने से कर दिया था मना, अब ओलंपिक में जलवा दिखाएगा कुरुक्षेत्र का सुरेंद्र

हरियाणा के कुरुक्षेत्र के सुरेंद्र कुमार की हॉकी के खेल में सफर जूनून और कुछ कर गुजरने की कहानी है। बचपन में पिता ने हॉकी स्टिक दिलाने से इन्‍कार कर दिया था और आज सुरेंद्र भारतीय हॉकी टीम के स्‍टार खिलाड़ी हैं और ओलंपिक में जलवा दिखाएंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 06:15 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 07:25 AM (IST)
कभी पिता ने हाॅकी स्टिक दिलाने से कर दिया था मना, अब ओलंपिक में जलवा दिखाएगा कुरुक्षेत्र का सुरेंद्र
भारतीय हॉकी टीम के सदस्‍य सुरेंद्र कुमार। (जागरण)

कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। छह साल की उम्र में जिस बच्चे को उसके पिता ने हाॅकी स्टिक दिलाने से इन्कार कर दिया था आज उन्हीं हाथों ने हाकी थाम विश्व भर में अपने पिता और देश का नाम रोशन किया है। हम बात कर रहे हैं सुरेंद्र कुमार की। उन्‍होंने आज लगातार दूसरी बार ओलंपिक में जाने वाली भारतीय हाॅकी टीम में जगह बनाई है।

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पिता ने मना किया तो सुरेंद्र व उनके भाई को साइकिल पर बैठाकर ले गए पिता के दोस्त ने दिलवाई स्टिक

हाॅकी स्टिक लेने की जिद पर अड़े सुरेंद्र ने पिता के इन्कार करने के बाद अपने पिता के दोस्त के सामने गुहार लगाई तो पिता के दोस्त सुरेंद्र व उनके भाई को साइकिल पर बैठाकर ले गए और हाॅकी स्टिक दिलवाई। पहली बार अपने पिता के दोस्त की दिलवाई स्टिक लेकर कुरुक्षेत्र के द्रोणाचार्य स्टेडियम में बने घास के मैदान उतरकर पसीना बहाने वाले सुरेंद्र अब प्रतिद्वंद्वी टीम के सामने चट्टान बन खड़े रहते हैं। सुरेंद्र टीम की सबसे मजबूत कड़ी बन डिफेंडर की पोजिशन संभालते हैं।

माता-पिता के साथ हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र कुमार।

दूसरी बर ओलंपिक में जलवा दिखाएंगे सुरेंद्र कुमार

पिछले कई माह से बेंगलुरू में शिविर में अभ्यास कर रहे भारतीय पुरुष हाकी टीम में शामिल सुरेंद्र ने दैनिक जागरण से मोबाइल फोन पर हुई बातचीत में कहा कि उनकी टीम का लक्ष्य देश की झोली में स्‍वर्ण पदक डालना है। ओलंपिक में देश को सोना दिलाने के लिए पूरी टीम दिन अभ्यास में जुटी है। बुधवार को ओलंपिक में चयन होने के कुछ देर बाद भी सुरेंद्र मैदान में टीम के साथ पसीना बहा रहे थे।

बचपन से ही मेहनती हैं सुरेंद्र

कुरुक्षेत्र के सेक्टर आठ में रहने वाले सुरेंद्र के पिता किसान मलखान सिंह ने बताया कि वह बचपन से ही मेहनती है। उसने बचपन में हाकी खेलने की जिद पकड़ ली थी और हाकी लेकर मैदान में पसीना बहा देश की झोली पदकों से भर दी है। ओलंपिक में चयन को लेकर वह भी पिछले कई दिनों से चिंतित थे। शुक्रवार को सुबह साढ़े 11 बजे के करीब उन्हें सुरेंद्र के ओलंपिक में चयन के बारे में पता चला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

उन्‍होंने बताया कि इसके बाद उनके मोबाइल की घंटी घनघनाने लगी और बधाई देने वालों का तांता लग गया। सुरेंद्र की माता नीलम ने बताया कि सुरेंद्र से पहले उनके परिवार में किसी का हाॅकी से कोई नाता नहीं था। उसके पिता खेती करते थे और 20 साल पहले करनाल के गांव बराना से कुरुक्षेत्र मेें आ बसे थे। कुरुक्षेत्र पहुंचने के बाद ही सुरेंद्र ने हाकी खेलना शुरू किया।

2010 में अंडर 19 में किया शानदार प्रदर्शन

2010 में सुरेंद्र ने राई स्कूल में आयोजित अंडर-19 वर्ग की प्रतियोगिता में पहली बार खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। इसी प्रदर्शन के दम पर सुरेंद्र का 2011 में जूनियर नेशनल गेम्स के लिए प्रदेश की टीम में चयन हुआ। पुणे में इस चैंपियनशिप में भी सुरेंद्र ने शानदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता जीतकर प्रदेश ने पिछले 50 साल के रिकार्ड को तोडऩे में सफलता हासिल की।

इसके बाद सुरेंद्र का चयन नेशनल कैंप के लिए हुआ। 2017 में एशिया कप में स्वर्ण, 2018 में एशियन गेम्स में कांस्य, एशियन चैंपियंस ट्राफी 2016, 2018 में स्वर्ण, चैंपियंस ट्राफी 2016, 2018 में रजत पदक जीता और ओलंपिक में लगातार दूसरी बार जगह बनाई है।

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