Nagar Nigam का खजाना खाली, कर्मियों की तनख्वाह देने तक के पैसे नहीं Panipat News
निगम अधिकारियों की लापरवाही और शहर की सरकार की अनदेखी के चलते निगम कंगाल हो गया है। हालात यह है कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के पैसे नहीं बचे हैं।
पानीपत, जेएनएन। निगम अधिकारियों की लापरवाही और शहर की सरकार की अनदेखी के चलते निगम कंगाल हो गया है। हालात यह है कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के पैसे नहीं बचे हैं। निगम कमिश्नर ने खजाना खाली होते ही वित्तीय संकट का रास्ता निकालने के लिए आपात बैठक बुलाई है। जिसमें अधिकारियों को अपनी-अपनी शाखाओं की पूरी रिपोर्ट लेकर पेश होना होगा।
बैठक में आमदन बढ़ाने के साथ बजट मंगवाने पर मंथन करेंगे। निगम के अंतर्गत 26 वार्डों और शहर के करीब आठ सेक्टरों की जिम्मेदारी है। इनमें गली, नाली, पार्क और स्ट्रीट लाइट समेत विकास के कार्य हैं।
पूर्व मेयर प्रस्तावित कामों के लिए पहुंचे निगम कार्यालय
पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह समेत करीब 12 पार्षद को अपने-अपने प्रस्तावित कामों के लिए नगर निगम कार्यालय में पहुंचे। उस वक्त तक कमिश्नर ओमप्रकाश लघु सचिवालय में बैठक में चले गए थे। उनके कार्यालय में धीरे-धीरे पार्षदों की संख्या बढ़ गई। पार्षदों ने विकास कार्यों पर चर्चा की। अधिकारियों ने नए कामों के टेंडर व वर्क ऑर्डर जल्द ही करने का भरोसा दिया।
ऐसे होता गया निगम कंगाल
नगर निगम ने इस बार 121 करोड़ का बजट सदन में रखा था। जबकि गत वर्ष यह बजट 117 करोड़ था। इसमें 46.80 करोड़ रुपये प्रॉपर्टी टैक्स का था। निगम ने रिकवरी न होने पर इस बार प्रॉपर्टी टैक्स का बजट घटाकर 33 करोड़ कर दिया था। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने याशी कंपनी को सर्वे का काम सौंप दिया। कंपनी आज तक काम पूरा नहीं कर पाई है। ऐसे में प्रॉपर्टी टैक्स अपेक्षाकृत नहीं आ पा रहा है। आज प्रॉपर्टी टैक्स का 200 करोड़ रुपये डिफाल्टर हैं। विधायक और पार्षद विकास कार्यों की सूची हर तीसरे दिन अधिकारियों को सौंप रहे हैं। 10 अगस्त को सदन की बैठक में करीब 100 करोड़ के विकास कार्यों पर मुहर लगाई थी। नेता 1000 करोड़ के विकास कार्य कराने का दावा कर रहे हैं। निगम विधानसभा चुनाव से पहले करीब 50 करोड़ के कामों के वर्क ऑर्डर फाइनल कर रहा है। इसके अलावा करीब 150 करोड़ रुपये ठेकेदारों के बिल पेडिंग हैं।
विधायकों के भी प्रस्ताव अटके
अधिकारियों की मानें तो इस बार निदेशालय से दो किस्तों में 18.26 करोड़ रुपये ही आ पाए हैं। विधायकों के प्रस्ताव भी निदेशालय में अटके पड़े हैं। नगर निगम को कंगाल करने में अधिकारी भी कम नहीं हैं। अधिकारी एक रुपये में होने वाले काम पर दो रुपये खर्च का प्रस्ताव बना रहे हैं। शहर में सैकड़ों पार्क बनाए जा चुके हैं। कई जगह तो दीवारों पर ग्रेनाइड पत्थर लगवाया जा रहा है। छोटे-छोटे पार्कों में ट्यूबवेल व ऑपन जिम लगा रखी हैं। कमिश्नर ओमप्रकाश ने भाटिया कॉलोनी में भी गत दिनों ठेकेदार की मनमर्जी को रोका था।
58-ए विकास कार्यों के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। ठेकेदारों के सही बिलों को पास किया जा रहा है। राजस्व प्राप्त करना भी जरूरी है। इन सब पर चर्चा जरूरी है।
ओमप्रकाश, कमिश्नर।
58-बी पार्षदों की सहमति पर विकास कार्य तय किए हैं। इनका प्रस्ताव निदेशालय भेजा जाता है। मैं खुद मुख्यमंत्री 200 करोड़ रुपये मंजूर कराकर लाई हूं। बजट की कमी नहीं रहेगी।
अवनीत कौर, मेयर