कोरोना मरीजों पर अब आयुर्वेदिक प्रोटोकोल अपनाने की तैयारी, ट्रायल का पॉजिटिव रिजल्ट
हरियाणा में ब कोरोना मरीजों के इलाज में आयुर्वेदिक पद्धति अपनाया जाएगा। इसका प्रयोग नारनौल में सुल रहा है।
कुरुक्षेत्र, [विनीश गौड़]। देश का पहला श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय हरियाणा में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज केवल आयुर्वेदिक दवा से करने की तैयारी कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो माह से प्रदेश और दिल्ली में कोरोना मरीजों को दी जा रही आयुर्वेदिक दवाओं के सामने आ रहे रुझान की रिपोर्ट सरकार को भेजकर सिफारिश की है। उन्होंने अब पॉजिटिव मरीजों का इलाज सिर्फ आयुर्वेदिक दवा से इलाज का एक अवसर मांगा है।
नारनौल में 180 कोरोना मरीजों ने एलोपैथी दवा के साथ आयुर्वेदिक दवा ली तो पहली रिपोर्ट ही आ गई नेगेटिव
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुलपति डा. बलदेव धीमान, हरियाणा सरकार के आयुष को-ऑर्डिनेटर डा. नासिर खान, श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में पीजी हेड प्रोफेसर श्रीनिवासन गुजरवार तीन सदस्यीय टीम ने दिल्ली के चौधरी ब्राह्मण प्रकाश आयुर्वेदिक कॉलेज का दौरा किया था। यहां सिर्फ आयुर्वेदिक दवा से कोरोना पॉजिटिव मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
कुरुक्षेत्र की टीम ने दिल्ली के चौधरी ब्राह्मण प्रकाश आयुर्वेदिक कॉलेज का दौरा कर सरकार को भेजी रिपोर्ट
बताया जा रहा है कि इस कॉलेज के अस्पताल में 155 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज सिर्फ आयुर्वेदिक दवा से किया गया, जिनमें से 70 मरीज ठीक होकर घर लौटे हैं। दोनों जगह के परिणाम पर आधारित रिपोर्ट बनाकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सरकार को भेज दी है। ऐसे में एक बार फिर प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार पद्धति पर लोगों का विश्वास ठहरेगा।
अच्छे परिणाम आ रहे सामने : कुलपति
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बलदेव ने कहा कि दो माह से प्रदेश में कोरोना के मरीजों का उपचार एलोपैथिक दवा के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा से भी किया जा रहा है। नारनौल में 180 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को एलोपैथी दवा के साथ आयुर्वेदिक दवा दी गई तो इनमें से 70 मरीजों का पहला ही टेस्ट नेगेटिव आ गया। इसके साथ ही दिल्ली स्थित चौधरी ब्राह्मण प्रकाश आयुर्वेदिक कॉलेज में भी निरीक्षण किया गया।
यहां पर 155 में से 70 मरीज सिर्फ आयुर्वेदिक दवा से ठीक होकर घर लौट चुके हैं। इसकी कंपाइल रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी गई है। साथ ही अपील की गई है कि आयुर्वेदिक अस्पताल में कोरोना मरीजों का सिर्फ आयुर्वेदिक दवा से उपचार शुरू कराया जाए या जहां भी कोरोना पॉजिटिव मरीज दाखिल हैं वहां पर आयुर्वेद का अलग से वार्ड शुरू कर दिया जाए, ताकि मरीजों को जरूरत पडऩे पर आपातकालीन सुविधा भी मिल सके। इसके साथ ही पॉजिटिव आने के बाद दूसरा सैंपल जहां पांच या सात दिनों के बाद लिया जाता है उस समय अंतराल को भी कम करने की मांग की गई है, ताकि जल्दी से जल्दी मरीज ठीक होकर अपने घर जा सकें।
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