मिलिये 'पैड वुमेन' से, अनोखी मुहिम से महिलाओं की मसीहा बनी हरियाणा की यह डॉक्टर
डॉ. पायल रावत की ख्याति पैड वुमैन के रूप में हो गई है व अपनी अनोखी मुहिम से महिलाओं के लिए मसीहा बन गई हैं। वह महिलाओं को मु्फ्त में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करा रही हैंं।
यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। पैडमैन के बाद अब पैड वुमेन से मिलिये। आपको बाॅलीवुड स्टार अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' तो याद ही होगी। फिल्म में केरल के ऐसे शख्स के संघर्ष की कहानी को पर्दे पर उतारा गया है जो तमाम चुनौतियों को पार कर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए कदम बढ़ता है। इस फिल्म में महिलाओं की सिनेटरी नैपकिन से जुड़ी समस्या को असरदार उठाया गया था। ऐसी ही राह पर चल पड़ी हैं हरियाणा के यमुनानगर की डॉक्टर पायल रावत। एक चिकित्सक से अधिक उनकी पहचान पैड वुमेन या सिनेटरी डॉक्टर के रूप होने लगी है।
गर्भाशय के कैंसर पर लगाम को यमुनानगर की डॉक्टर पायल ने की सराहनीय पहल
डॉ. पायल ने महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर से बचाने के लिए जागरूकता अभियान छेड़े हुए हैं, इसके साथ ही वह उनको उन्हें नि:शुल्क सिनेटरी पैड भी मुहैया करा रही हैं। महिलाओं को Medically Save सिनेटरी पैड उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने मुफ्त सिनेटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए यमुनानगर के जीएनजी कॉलेज में मशीन भी लगाई है।
अपने पति विशाल के साथ डॉ. पायल रावत।
400 सिनेटरी पैड मशीनेें लगाने लक्ष्य, एक करोड़ महिलाओं को लाभ पहुंचाने की तैयारी
इसके साथ ही वह 28 अन्य स्थानों पर ऐसी मशीन लगाएंगी और उन्होंने इन जगहों का चयन भी कर लिया है। डॉ. पायल का लक्ष्य एक करोड़ महिलाओं तक पहुंंचकर उनको गर्भाशय के कैंसर जैसी घातक बीमारी से सुरक्षित बनाने का है। इस कार्य के कारण उन्हें पैड वूमन के तौर पर भी ख्याति प्राप्त होने लगी है।
एक मौत ने बदल दी जीवनधारा
यमुनानगर की प्रोफेसर कॉलोनी की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पायल रावत की दिनचर्या भी दूसरे चिकित्सकों की तरह ही थी, लेकिन अब यह बदल गया है और खास हो गया है। डॉ. पायल की विचारधारा और जीवन की दिशा एक मार्मिक घटना ने बदली। उनके एक करीबी की पत्नी की गर्भाशय के कैंसर से मौत हो गई और इस घटना ने उनके दिलो-दिमाग को झकझोर कर रख दिया। इसके साथ ही सोच व जीवन की दिशा ही बदल गई और उन्होंने इस रोग की तह तक जाने की ठान ली।
डॉ. पायल बताती हैं कि वह जब तथ्य टटोले तो हैरान रह गई। पता चला कि महिलाओं में गर्भाश्य कैंसर व इंफेक्शन गंदे सेनेटरी पैड के उपयोग से बढ़ रहेे हैंं। कारण सामने आने पर इसके लिए मुहिम चलाने का निश्चय किया। सामाजिक कुरीतियां व आर्थिक तंगी ने रास्तेे में अडंगा भी लगाया, लेकिन संकल्प के साथ शुरू की गई मुहिम के सामने सभी रुकावटें धराशायी हो गईं।
डॉ. पायल के अनुसार वह अपनी टीम के साथ अभी तक 11 हजार महिलाओं को हाइजेनिक पैड के बारे में जागरूक कर चुकी हैं और उनको पैड उपलब्ध करा रही हैं। लक्ष्य एक करोड़ महिलाओं तक पहुंचने का है। इसके लिए 400 मशीनें ऐसे स्थानों पर लगाई जाएंगी, यहां महिलाओं का ज्यादा आना जाना है। यहां पैड निशुल्क उपलब्ध होगी।
हाईजेेनिक है पैड
डॉ. पायल बताती हैं, जो बड़ी कंपनियां पैड तैयार कर बाजार में बेच रही हैं, वह पूरी तरह सुरक्षित नहीं होती हैं और इनसे बीमारियों का खतरा रहता है। ऐसे सेनेटरी पैड में प्लास्टिक होता है और ये हमारे लिए लाभकारी नहीं है। डॉ. रावत कहती हैं कि उनके यहां तैयार पैड हाईजैनिक हैं। इसको बायोडिग्रेडेबल (खुद नष्ट होने वाला) कहा जाता है। तीन दिन में जमीन में रहने पर ये नष्ट हो जाती हैं। इसके प्रयोग से कोई गंभीर रोग नहीं होता।
मुहिम को विस्तार देने के लिए बनाया एनजीओ
डॉ. रावत कहती हैं कि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब भी मासिक धर्म होने पर सुरक्षित तरीक के बारे में नहीं अपनातीं और सिनेटरी पैड के इस्तेमाल से दूर हैं। यही कारण है कि वे गर्भाशय कैंसर की चपेट में आ जाती हैं। डॉ. पायल बताती हैं, यह मुहिम चलाने में दिक्कत इसलिए नहीं हुई, क्योंकि वह खुद एमबीबीएस हैं और स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। यही कारण है कि महिलाएं इनके साथ अपनी बात निसंकोच करती हैं।
डॉ. पायल रावत बताती हैं, 'जागरुकता के लिए सबसे पहले पति विशाल से बात की, तो वह इस सामाजिक कार्य के लिए तैयार हो गए। इसके बाद हमने सर्व जागरूक संगठन के नाम से संस्था बनाई। एनजीओ के माध्यम से हरियाणा के अलावा, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी इस पर काम शुरू किया है। मुख्य रूप से हमारे साथ आरएस शर्मा, रेखा गौड, महिमा शर्मा, राजेश गोयल, संध्या दत्त शर्मा, गौरव भाटिया हैं। ये लोग कदम-कदम पर साथ दे रहे हैं और कारवां बनता जा रहा है।'
यमुनानगर में ही लगाई पहली मशीन, 28 के लिए स्थान तय
डाॅ. रावत ने बताया कि महिलाओं को मुफ्त सेनेटरी पैड उपलब्ध करवाने के लिए यमुनानगर के जीएनजी कॉलेज में पहली मशीन लगाई। नगर निगम से बातचीत कर 28 मशीनें लगाने के लिए स्थान तय हो गया है। डॉ पायल रावत के मुताबिक सेनेटरी पैड का देशभर में 40 से 50 हजार करोड़ से अधिक का व्यापार है। आर्थिक मजबूरी के चलते ग्रामीण महिलाएं महंगा पैड नहीं खरीद सकती हैं। इसलिए वे गंदा कपड़ा व पेपर यूज करती हैं। इससे गर्भाशय के कैंसर जैसी घातक बीमारी बढ़ती है। उन्होंने इसका तोड़ निकाला। मैन्यूफ्चेरिंग करने वाली फर्म के संचालक से बात की तो वह भी सामाजिक मुहिम में आहुति डालने के लिए तैयार हो गए।
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