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यमुनानगर डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान की रिपोर्ट, एनजीटी ने जताई चिंता

यमुनानगर डिस्ट्रिक्‍ट एनवायरमेंट रिपोर्ट से पानी के प्रदूषित होने का मामला सामने आया। इस रिपोर्ट का हरियाणा के यमुनानगर प्रदूषण कंट्राेल बोर्ड ने तैयार किया। अब इस पर एनजीटी ने चिंता जाहिर की है। उन्‍होंने तत्‍काल सुधार के आदेश दिए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 05:01 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 05:01 PM (IST)
यमुनानगर डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान की रिपोर्ट, एनजीटी ने जताई चिंता
यमुनानगर डिस्ट्रिक एनवायरमेंट रिपोर्ट से हुआ खुलासा।

यमुनानगर, [शैलजा त्यागी]। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दूषित पानी पर चिंता जाहिर की है। एनजीटी ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि यमुनानगर में पानी की गुणवत्ता सुधार की तत्काल आवश्यकता है। यह खुलासा डिस्ट्रिक एनवायरमेंट प्लान की रिपोर्ट से हुआ है। जिसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने तैयार किया है। रिपोर्ट की एक प्रति राज्य सरकार को भेजी गई है।

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एक साल में स्थिति सुधारने का दावा

अधिकारियों ने एक साल में यमुनानगर के दूषित पानी की स्थिति सुधारने का दावा किया है। योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए शहरी निकाय विभाग, जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग, एचएसआईडीसी, सिंचाई विभाग, हाइड्रोलॉजिस्ट व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मिलकर काम करेंगे। जो सीवरेज निपटान संप्रदूषण, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट, खुले में शौच, अनट्रीटेड सीवरेज वाटर व औद्योगिक इकाइयों से होने वाली पानी की बर्बादी के साथ-साथ ऊपरी सतह के पानी की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम करेंगे। जल संसाधनों की सूची तैयार कर, पानी के जितने भी स्त्रोत है, उनसे एक साल तक डेटा भी एकत्रित किया जाएगा।

फिलहाल यह है स्थिति 

यमुनानगर में फिलहाल घरों व फैक्टरियों से निकलने वाले गंदे पानी में से 90 एमएलडी ही ट्रीट हो रहा है। जिसके लिए परवालों में 24 एमएलडी, बाड़ी माजरा में 10-10 एमएलडी व रेस्ट हाउस के पास 20 व 25 एमएलडी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं। यमुनानगर में दो तरह का गंदा पानी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से यमुना में बहाया जा रहा है। जिसमें घरों व फैक्टरियों से निकलने वाला गंदा पानी शामिल है। नियमानुसार फैक्टरियों में ट्रीट करने के बाद ही पानी को बाहर बहाया जाता सकता है। जबकि घरों से निकलने वाले गंदे पानी को जलापूर्ति एवं जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट करने के का प्रावधान है। इसके बाद ही उसे यमुना में बहाया जाता है। 

यमुनानगर में 190 एमएलडी डिस्चार्ज, हो रहा सिर्फ 90

सूत्रों के मुताबिक यमुनानगर जिले में रोजाना 190 एमएलडी गंदा पानी डिस्चार्ज हो रहा है। जिसमें से महज 90 एमएलडी पानी ही ट्रीट किया जा रहा है। बाकी पानी को बिना ट्रीट किए बाईपास कर यमुना में बहा दिया जाता है। यही वजह है कि यमुना की धारा यमुनानगर से ही मैली होनी शुरू हो जाती है। करनाल, पानीपत, सोनीपत से दिल्ली पहुुंचने से स्थिति बदतर हो जाती है। रही सही कसर दिल्ली में पूरी हो रही है। पिछले दिनों एनजीटी की टीम ने यमुनानगर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। जिसके बाद स्थानीय प्रशासन को स्थिति दुरुस्त करने के निर्देश दिए। ताकी यमुना की धारा को मैली होने से बचाया जा सकें।

जिले में वाटर क्वालिटी मैनेजमेंट की स्थिति दुरुस्त करने के लिए नौ विभाग मिलकर काम करेंगे। एक साल में पानी की गुणवत्ता को सुधारा जाएगा। नियमित रूप से मोनिटरिंग की जाएगी। रिपोर्ट राज्य सरकार के भेज दी है। जिसमें एनजीटी की टिप्पणी का भी हवाला दिया गया है।

निर्मल कश्यप, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यमुनानगर।


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