रिफाइनरी को देना ही होेगा हर्जाना, अगर रवैया नहीं सुधरा तो हो सकती है जेल
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में रिफाइनरी मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 17 फरवरी निर्धारित की है। पर्यावरण प्रदूषण के मामले में सुनवाई की गई। एनजीटी ने पर्यावरण भरपाई के लि
पानीपत, जेएनएन। प्रदूषण फैलाने के आरोप में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सुनवाई के लिए तारीख तो आगे बढ़ा दी, लेकिन रिफाइनरी प्रबंधन को किसी तरह छूट नहीं दी। सिठाना के सरपंच सतपाल की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट गौतम शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने इतनी सख्ती दिखाई कि यह भी कह दिया कि हर्जाना तो रिफाइनरी देगी ही देगी। अगर रवैया यही रहा तो जेल भी जाना पड़ जाएगा।
अब इस मामले में अगली तारीख 17 फरवरी निर्धारित की है। इस मामले में रिफाइनरी पर 659 करोड़ रुपये के हर्जाने की अनुशंसा की गई है। रिफाइनरी प्रबंधन 17 करोड़ रुपये जमा करवा चुका है। जांच कमेटी की अनुशंसा पर एनजीटी को फैसला सुनाना है। एनजीटी के चेयरमैन आदर्श गोयल के सामने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से केस रखा गया। पानीपत रिफाइनरी की ओर से करीब साढ़े पांच सौ पेज का जवाब दाखिल किया गया। इसमें बताया गया कि किस तरह के सुधार कराए गए हैं। आगे क्या करने जा रहे हैं। इसी बीच, ग्रामीणों की ओर से एडवोकेट आदित्य शर्मा ने बताया कि अभी भी गांव प्रदूर्षित हो रहा है। इस पर एनजीटी का रुख सख्त हो गया है।
क्या है मामला
सिठाना के सरपंच सतपाल बाजीगर ने रिफाइनरी पर पर्यावरण प्रदूर्षित करने का आरोप लगाते हुए एनजीटी में केस दायर किया था। इसी पर जांच हुई तो सामने आया कि कई नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। रिफाइनरी को दोषी माना था। इस क्षेत्र में पर्यावरण के सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए इसकी रिपोर्ट एनजीटी ने मांगी।
तीन पंचायतों ने उठाया मुद्दा
रिफाइनरी के साथ ही तीन पंचायतें लगती हैं। ददलाना, बोहली और सिठाना। सिठाना के सरपंच सतपाल ने बताया कि रिफाइनरी के आसपास चार किलोमीटर तक हालात बदतर हो रहे थे। रिफाइनरी ने जो एनालिसिस यंत्र लगाए थे, वो खराब थे। रिपोर्ट गलत भेजी जा रही थी। उन्होंने एनजीटी में इस मामले को उठाया।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि अभी इस मामले में ऑर्डर नहीं मिले। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। बदलाव-सुधार के लिए मिले सात महीने रिफाइनरी को अब और बदलाव, सुधार के लिए सात महीने मिल गए हैं। सिठाना में अभी पानी नहीं पहुंचाया जा सकता है। इस दौरान पानी पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा पर्यावरण सुधार के और बड़े कदम उठाए जाएंगे।