यमुनानगर में 5 दिन के नवजात की मौत, डाक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप
यमुनानगर में निक्कू वार्ड में दाखिल 5 दिन के नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने डाक्टरों व स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। डाक्टर बोले- बच्चे की गंभीर हालत देखते हुए पीजीआइ किया गया था रेफर। चार घंटे तक अस्पताल से नहीं लेकर गए स्वजन।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर के सिविल अस्पताल के निक्कू वार्ड में दाखिल पांच दिन के नवजात की मौत हो गई। स्वजनों का आरोप है कि डाक्टरों व स्टाफ की लापरवाही से उनके बच्चे की मौत हुई है। जबकि डाक्टरों का कहना है कि नवजात में खून काफी कम था। इसलिए उसे आइसीयू में दाखिल किया गया था। नवजात के स्वजनों को उसे पीजीआइ ले जाने के लिए कहा गया, लेकिन वह अस्पताल से नहीं ले गए। इस बीच नवजात की हालत बिगड़ी और उसने दम तोड़ दिया।
चांदपुर निवासी 19 वर्षीय महरूबा की जगाधरी के निजी अस्पताल में डिलीवरी हुई। उसे जुड़वा बच्चे पैदा हुए थे। यह बच्चे तीन सप्ताह पहले ही पैदा हो गए। इनमें से बच्ची का एक किलो 400 ग्राम वजन था और बच्चा दो किलो ग्राम था। 24 जून को दोनों नवजातों को यहां निक्कू वार्ड में दाखिल कराया गया। इनमें से बच्चे की हालत अधिक गंभीर थी, क्योंकि उसे दौरा भी पड़ा। इसके साथ ही उसे सांस लेने में भी दिक्कत थी।
कई दिन तक निक्कू वार्ड में डाक्टर व स्टाफ उसका इलाज करते रहे, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। सोमवार की रात करीब दस बजे बच्चे की मौत हो गई थी। बच्चों के स्वजनों का आरोप है कि डाक्टर ने सही से इलाज नहीं किया। जिस वजह से बच्चे की मौत हुई है। यदि सही इलाज होता, तो उनके बच्चे की जान बच जाती। बाद में परिवार के लोग अपने दूसरे बच्चे को भी यहां से लेकर चले गए।
स्वजन समय पर बच्चे को लेकर नहीं गए पीजीआइ
बाल रोग विशेषज्ञ डा. पारूल वशिष्ठ का कहना है कि जन्म के बाद से नवजात आइसीयू में था। उसकी हालत काफी गंभीर थी। जब हम उसे रिकवर नहीं कर पाए तो बच्चे के स्वजनों को पीजीआइ ले जाने के लिए कह दिया था। देर रात तक उसके स्वजन नहीं आए। तीन से चार घंटे परिवार के लोगों ने अस्पताल में आने में लगा दिया। यहां पर बच्चे की दादी थी। उसे भी बता दिया गया था, लेकिन कोई नहीं आया। कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। बच्चे को बचाने की पूरी कोशिश की गई। यदि समय से परिवार के लोग उसे पीजीआइ ले जाते, तो वह बच सकता था।