अर्जुन की तरह नीरज का लक्ष्य पर निशाना, मोबाइल फोन से बनाई दूरी
भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट मतलौडा के खंडरा गांव के नीरज चोपडा अर्जुन की तरह लक्ष्य को समर्पित हैं।
विजय गाहल्याण, पानीपत
भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट मतलौडा के खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा दस दिन के भीतर दो अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। अब उनका पूरा फोकस 18 दिन बाद इंडोनेशिया की जकार्ता में होने वाले एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक जीतने पर हैं। नीरज ने बताया कि वह पहली बार एशियन गेम्स में खेलेंगे। इसके लिए वह फिनलैंड में कोच यूवी होन की निगरानी में तैयार चल रही है।
ज्यादातर समय कोच के पास ही उनका मोबाइल फोन रहता है। टीवी व सोशल मीडिया से भी दूरी बना रखी है। कई बार तैयारी अच्छी होने के बावजूद भी पदक नहीं मिल पाता है। अगर वह जकार्ता में अपना बेस्ट 87.43 मीटर भाला फेंक सके तो पदक जीत लेंगे।
कोच को समर्पित किया पदक
नीरज ने बताया कि वह फिनलैंड में सावो गेम्स में शिरकत करने गए थे। तभी पूर्व कोच गैरी कैलवर्ट के निधन की सूचना मिली। इससे वह नर्वस हो गए। स्वर्ण पदक तो जीता लेकिन अपना बेस्ट नहीं दे सके। गैरी उन्हें बेटे व दोस्त की तरह मानते थे। तकनीक में भी सुधार कराया था। दो साल तक गैरी की निगरानी में उसने अभ्यास किया और जूनियर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। नीरज ने कहा, पदक जीतकर गैरी को समर्पित किया है।
नीरज पदक जीतकर लौटेगा : नीरज को एथलेटिक्स में लाने वाले उनके चाचा भीम चोपड़ा का कहना है कि नीरज का घर आना तो दूर परिजनों की बात हुए भी काफी दिन हो जाते हैं। वे भी नहीं चाहते हैं की नीरज का ध्यान भटके। वह सिर्फ अभ्यास व लक्ष्य पर ध्यान दे। उसे उम्मीद है कि नीरज एशियन गेम्स में देश के लिए पदक जीतेगा। पदक के रंग कैसा होगा वह नीरज के प्रदर्शन पर निर्भर रहेगा।
::::
क्त्रद्गश्चश्रह्मह्लद्गह्म ष्ठद्गह्लड्डद्बद्यह्य : 9999