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Neeraj Chopra: यहां पढ़ें नीरज चोपड़ा के जीवन, करियर, जैवलिन रिकार्ड और उनके संघर्ष की कहानी

पानीपत के खंडरा गांव के रहने वाले नीरज चोपड़ा नेशनल रिकार्ड तोड़ने में माहिर हो गए हैं। जब से मैदान में उतरे एक के बाद एक नेशनल रिकार्ड तोड़ रहे हैं। अब नीरज ने डायमंड लीग में नेशनल रिकार्ड तोड़ा। पढ़ें उनके करियर की उड़ान की पूरी कहानी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 06:31 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 06:31 PM (IST)
Neeraj Chopra: यहां पढ़ें नीरज चोपड़ा के जीवन, करियर, जैवलिन रिकार्ड और उनके संघर्ष की कहानी
नीरज चोपड़ा ने फिर नेशनल रिकार्ड तोड़ा है।

थर्मल (पानीपत) [सुनील मराठा]। टोक्यो ओलिंपिक में भारत के लिए एथलीट में पहली बार गोल्‍ड मेडल जीतकर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचा था। देश जिस एथलीट मेडल के लिए 121 साल से सपने देख रहा था, उसको नीरज ने जैवलिन में अपने भाले के दम पर हकीकत में बदल दिया। ओलिंपिक के बाद भी उनकी उड़ान नहीं रुकी। पावे नुरमी के बाद डायमंड लीग में नीरज ने नेशनल रिकार्ड तोड़ा।

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ओलिंपिक में जीता था गोल्‍ड

ओलिंपिक में जाने से पहले ही देश को अपने इस खिलाड़ी से मेडल की बहुत उम्‍मीदें थी, इन्‍होंने देश को निराश भी नहीं किया और ओलंपिक समापन के एक दिन पहले देश को गोल्ड मेडल दिया। वह यहीं पर नहीं रुका। उसके बाद एक के बाद एक अपने ही रिकॉर्ड तोड़ता चला गया।

पानीपत के इस गांव के रहने वाले नीरज

नीरज चोपड़ा का जन्‍म हरियाणा के उस जिले पानीपत में हुआ है, जो अपनी तीन लड़ाईयों के लिए मशहूर है। यहां के एक छोटे से गांव खंडरा में किसान परिवार में 24 दिसंबर, 1997 को नीरज का जन्म हुआ। नीरज ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई भारतीय विद्या निकेतन स्कूल, भालसी से की। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा करने के बाद नीरज चोपड़ा ने चंडीगढ़ में एक बीबीए कालेज ज्वाइन किया था और वहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी।

बचपन में थे मोटे, इसलिए शुरू किया स्‍टेडियम जाना

नीरज अपने बचपन में काफी मोटे थे, जिसके कारण गांव के दूसरे बच्‍चे उनका मजाक बनाते थे, उनके मोटापे से उनके परिवार वाले भी परेशान थे, इसलिए उनके चाचा उन्‍हें 13 साल की उम्र से दौड़ लगाने के लिए स्‍टेडियम ले जाने लगे। लेकिन इसके बाद भी उनका मन दौड़ में नहीं लगता था। स्‍टेडियम जाने के दौरान उन्‍होंने वहां पर दूसरे खिलाड़ियों को भाला फेंकते देखा, तो इसमें वो भी उतर गए। वहां से उन्‍होंने जो भाला फेंकना शुरू किया, वह अब ओलंपिक गोल्‍ड पर जाकर लगा है।

वर्ष 2016 में बने आर्मी के नायब सूबेदार

पढ़ाई के साथ वे जेवलिन में भी अभ्‍यास करते रहे, इस दौरान उन्‍होंने नेशनल स्‍तर पर कई मेडल अपने नाम किए। नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ वर्ल्ड यू-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता। जिससे खुश होकर आर्मी ने उन्‍हें राजपुताना रेजिमेंड में बतौर जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नायब सुबेदार के पद पर नियुक्त किया। आर्मी में खिलाड़ियों को ऑफिसर के तौर पर कम ही नियुक्ति मिलती है, लेकिन नीरज को उनके प्रतिभा के कारण डारेक्‍ट ऑफिसर बना दिया गया।

नीरज ने बयां की थी जिंदगी की सबसे ब‍ड़ी खुशी

आर्मी में जाब मिलने से खुश नीरज ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, मेरे परिवार में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली है, मैं अपने संयुक्‍त परिवार का पहला सदस्‍य हूं जो सरकारी नौकरी करने जा रहा हूं, यह हमारे परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है। इससे मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकता हूं।

नीरज चोपड़ा का रिकार्ड

2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में नीरज ने 88.06 मीटर का थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता था। नीरज पहले भारतीय हैं जिन्होंने एशियन गेम्स में गोल्ड जीता है। एशियन गेम्स के इतिहास में जैवलिन थ्रो में अब तक भारत को सिर्फ दो मेडल ही मिले हैं। नीरज से पहले 1982 में गुरतेज सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2018 में एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करने के बाद नीरज कंधे की चोट का शिकार हो गए। इस वजह से वो काफी वक्त तक खेल से दूर रहे, इसके बाद कोरोना के कारण कई इवेंट रद्द हो गए, जिससे उनका खेल काफी प्रभावित हुआ, लेकिन इसके बाद भी उन्‍होंने जोरदार वापसी करते हुए इसी साल मार्च में पटियाला में आयोजित इंडियन ग्रांड प्रिक्स में नीरज ने अपना ही रिकार्ड तोड़ते हुए 88.07 मीटर का थ्रो कर नया नेशनल रिकार्ड बनाया।

नीरज चोपड़ा के मेडल

टोक्यो ओलंपिक 2021- गोल्ड मेडल

एशियन गेम्स 2018- गोल्ड मेडल

कामनवेल्थ गेम्स 2018- गोल्ड मेडल

एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2017- गोल्ड मेडल

वर्ल्ड यू-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2016- गोल्ड मेडल

साउथ एशियन गेम्स 2016- गोल्ड मेडल

एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2016- सिल्‍वर


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