हो जाइए सावधान! सड़क पर सर्दी नहीं, मौत के डर से कांपती जिंदगी Panipat News
कोहरे की शुरुआत होते ही आए दिन हादसे भी बढ़ने लगते हैं। इन हादसों में परिवार तक बिखर जाते हैं। आइए सबक लेते हैं ऐसी ही सच्ची कहानियों से।
पानीपत, जेएनएन। कोहरे के कोहराम शुरू होने से पहले ही सर्तक हो जाइए। ऐसा न हो कि आपको और परिवार को पछताना पड़ जाए, क्योंकि हादसे से बचने के लिए सर्तकता ही जरूरी होती है। तो फिर आइए सबक लें इन सच्ची कहानियों से। अपने और परिवार को बचाएं..क्योंकि हादसों से बिखर जाता है घर।
टूट गई बुढ़ापे की लाठी
पानीपत के अदियाना गांव में हंसता-खेलता परिवार था। नौ साल पहले बड़े बेटे राधेश्याम की सड़क हादसे में मौत हो गई। इसके बाद दूसरे बेटे सीताराम ने घर संभाल लिया था। वही सभी स्वजनों का पोषण कर रहा था। बड़े बेटे की मौत का गम भूल गए थे। पर 24 जून 2019 को अज्ञात वाहन की टक्कर से छोटे बेटे सीताराम की भी मौत हो गई। मुखिया हरिराम सदमे में बीमार हैं। उनकी भी तबीयत खराब है। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। अब पुत्रवधू, पोते त्रिलोक, जयदत्त और मां का गुजारा होना मुश्किल हो रहा है। परिवार को आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ रहा है।
जहां पिता की हुई मौत, वहीं बेटे ने जान गंवाई
हल्दाना गांव के रिंकू शर्मा बताते हैं कि 33 साल पहले उनके पिता लीलू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। बड़े भाई नरेंद्र शर्मा ने परिवार को संभाला था। भाई पर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी। 21 सितंबर को पट्टीकल्याणा के कट पर ट्रक की टक्कर लगने से बाइक सवार भाई नरेंद्र की मौत हो गई। जबकि उनका दोस्त रामप्रसाद का पंजा कट गया। ये हादसा वहीं पर हुआ था जहां पिता की मौत हुई थी। नरेंद्र के तीन बच्चों और मां के पोषण की जिम्मेदारी उस पर आ गई है।
मौत बनकर दौड़ रहीं ट्रैक्टर ट्रालियां
बिना रिफ्लेक्टर के ट्रैक्टर ट्रालियां दौड़ रही हैं। धुंध भरे दिनों में यह सबसे बड़ा खतरा बन रही हैं। इसी कारण से साहा के नजदीक धुंध में पहले हादसा भी हो चुका है। इन ट्रैक्टर ट्रालियों का अवैध इस्तेमाल हो रहा है, जिनमें ईंट, रेत, बजरी आदि लोड करके दौड़ाई जा रही है। प्रशासन की कार्रवाई भी ऐसे वाहनों पर नहीं है।
खतरा इसलिए ज्यादा, क्योंकि इस बार ज्यादा पड़ेगा कोहरा
मौसम विज्ञानियों के अनुसार वर्ष 2018 के मुकाबले इस बार घना कोहरा पड़ेगा। ड्राइ¨वग में मामूली सी लापरवाही जान पर बन सकती है। जीटी रोड पर शहर में भी कोहरे का कहर भी कम नहीं होता है। दिसंबर महीने के प्रथम सप्ताह से लेकर जनवरी माह के तीसरे सप्ताह तक कोहरे का असर ज्यादा रहता है। कोहरे से सड़क और रेलमार्ग दोनों प्रभावित होते हैं। जरूरी है कि फॉग लाइट लगवा ली जाएं। ज्यादा परेशानी घने कोहरे में होती है। दृश्यता घट कर 20 से 30 मीटर के करीब हो जाती है। इसी दौरान ज्यादा हादसे होते हैं। संबंधित खबर पेज ककक पर भी
यह होता है कोहरा
हवा में एक निश्चित मात्र में जलवाष्प होते हैं। जैसे-जैसे अधिक से अधिक पानी हवा में होता है, हवा अधिक नम हो जाती है। हवा में जलवाष्प की मात्र को आद्र्रता के रूप में जाना जाता है। जब जलवाष्प पूरी तरह से हवा को संतृप्त करता है, तो पानी की बूंदें ज्यादा होने लगती हैं। गैस से वापस तरल में बदल जाती हैं। तरल की ये बूंदें हवा में मिलकर घनी धुंध के रूप में बदल जाती हैं।
- जरूरी है नियमों का पालन
- इंडियन रोड कांग्रेस के नियमों के अनुसार सड़कों पर जहां भी निर्माण कार्य किया जाएगा, वहां पर बेहतर सर्विस लेन बनाना जरूरी है। इस सर्विस लेन का निर्माण सड़क के अनुसार ही होना चाहिए। सर्विस लेन मौजूदा सड़क से नीचे हो।
- इसके साथ ही जहां भी किसी पुल का निर्माण हो रहा है, वहां पर कर्मचारी तैनात किया जाना जरूरी है।
- इसके अलावा प्रत्येक कट के बारे में मार्ग पर एक किलोमीटर की दूरी से निर्देश देने वाले सूचक होना बेहद जरूरी है।
- एक किलोमीटर के बाद 500 मीटर, 200 मीटर, 100 मीटर व 50 मीटर पर संकेत दिए जाते हैं। ऐसे स्थान पर रेडियम टेप से संकेत होने चाहिए।
- बीते वषों में हुई मौत
- वर्ष मौत
- 2016 238
- 2017 255
- 2018 211
- प्रदेश में पिछले पांच साल में सड़क हादसों से मौत
- वर्ष हादसे मौत घायल
- 2014 10,676 4,483 8,944
- 2015 11,174 4,879 10,794
- 2016 11,234 5,024 10,531
- 2017 11,258 5,120 10,339
- 2018 11,238 5,118 10,020
- 2019 7,281 3,365 6,214
- 40 फीट की दूरी बनाकर रहें
- ओवरस्पीड वाहनों की वजह से कोहरे के मौसम में हादसे होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि वाहन कम स्पीड पर हो।
- रिफ्लेक्टर टेप व पीली लाइट अधिकतर वाहनों पर नहीं लगाते। इस वजह से दूर से आता वाहन दिखाई नहीं देता।
- अधिकतर हादसे हाईवे पर होते हैं। जरूरी है कि आगे चलने वाले वाहन से कम से कम 40 फीट की दूरी पर हो।
- ट्रैक्टर ट्रालियों पर कोहरे के मौसम में रिफ्लेक्टर बेहद अनिवार्य है। रात को सड़क किनारे खड़ी गन्ने की ट्रालियां दिखाई नहीं देती, यह भी हादसों का बड़ा कारण है।
- कोहरे पर आगे के वाहन को देखते हुए दूरी बनाकर चलें।
- सड़कों के किनारे से सफेद पट्टी गायब है। जहां पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहां से रिफ्लेक्टर टेप भी गायब हैं।
- हाईवे पर पांच से ज्यादा पुल ऐसे हैं, जिनके छोटे पुलों की रेलिंग तक टूट चुकी है, एनएच-वन की सर्विस लेन के किनारे गहरे गड्ढे हादसे का कारण बन सकते हैं।
- सुबह सात से ग्यारह बजे तक और शाम चार बजे से सात बजे तक भारी कॉमर्शियल वाहनों की एंट्री बैन की है। बावजूद इसके इन वाहनों की एंट्री धड़ल्ले से हो रही है।
- करनाल
- करनाल में कर्ण लेक से लेकर नई अनाज मंडी तक कई ऐसी जगह हैं, जहां खराब रोड इंजीनियरिंग धुंध की वजह से हादसों का कारण बन सकती है।
- निर्मल कुटिया से लेकर आइटीआइ चौक के बीच स्थित अंडरपास धुंध के मौसम में हादसों का कारण बन सकता है। इस अंडरपास को पहले ही वाहन चालक रॉन्ग साइड चलते हैं।
- अंडरपास के दोनों ओर न ही कोई संकेतक लगा है और न ही धुंध में चमकने वाली रिफ्लेक्टर पट्टियां।
- कर्ण लेक के पास गलत तरीके से बने कट भी हादसे का कारण बन सकते हैं। हाईवे से सर्विस लेन पर उतरने के लिए बनाए गए कट खराब इंजीनियरिंग के बारे में बताता है।
- जींद
- जींद जिले में पिछले पांच साल में कोहरे के दिनों में 562 सड़क हादसे हुए। इसमें 241 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई। 622 लोग सड़क हादसों में घायल हुए।
- सबसे अधिक सड़क हादसे अल सुबह हुए, तब कोहरे का प्रकोप ज्यादा रहता है, वहीं वाहन चालक को नींद आने लगती है। एक तरफ जहां कोहरे छाया हुआ होता है।
- डेंजर प्वाइंट पर पूरी तरह से काम शुरू नहीं किया है। केवल शहरी एरिया में ही सफेद पट्टी लगाने का काम किया है। जिले से निकलने वाले चार हाईवे पर अभी तक पट्टी लगाने का काम पूरा नहीं हो पाया है।
- कोहरे के दौरान सड़क हादसे होने का मुख्य कारणों में एक गोवंश भी शामिल है। सड़कों पर घूम रहा गोवंश कोहरे के दौरान दिखाई नहीं देता। अचानक ही सामने आने के चलते चालक गाड़ी से नियंत्रण खो देता है और हादसे का शिकार हो जाता है।
- इस वर्ष हुए हादसे
- रोड दुर्घटनाएं मौत
- एनएच 88 53
- स्टेट हाईवे 56 21
- अन्य सड़के 296 112