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पशुओं पर मौसम और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दर्शाएगा विशेष एप, इस तरह से करेगा काम

National Dairy Research Institute Karnal पशुओं पर मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को जानने के लिए एनडीआरआई ने एक विशेष एप तैयार किया है। करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की ओर से ये एप तैयार किया गया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 10:36 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 10:36 AM (IST)
पशुओं पर मौसम और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दर्शाएगा विशेष एप, इस तरह से करेगा काम
करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की ओर से एप लांच।

करनाल, जागरण संवाददाता। अपने शताब्दी वर्ष में करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की ओर से नित नए अनुसंधान किए जा रहे हैं। लक्ष्य है कि ऐसे प्रयासों और नवीनतम प्रौद्योगिकी का अधिकतम लाभ किसानों व पशुपालकों तक पहुंचाया जा सके। इसी क्रम में संस्थान की ओर से मुर्रा नस्ल की भैंसों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचाने के लिए विशेष परियोजना शुरू की गई है।

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इसके लिए विशेष जलवायु सेवाएं मोबाइल एप लांच किया गया है, जो भैंसों को जलवायु में बदलाव से बचाने के और बेहतर ढंग से पालन-पोषण करने के लिए पशुपालकों को अलग-अलग प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया कराएगा। पूरी परियोजना के तहत अगले दो वर्ष की अवधि में गहन अनुसंधान किया जाएगा।

दो वर्ष पहले शुरू हुआ था प्रोजेक्ट

संस्थान की ओर से यह परियोजना करीब दो वर्ष पूर्व आरंभ की गई थी। डवलपमेंट आफ क्लाइमेट सर्विसेज फार मुर्रा बफेलो फार्मर्स आफ हरियाणा नाम से संचालित विशेष परियोजना पर अब तक काफी काम हो चुका है। जलवायु के अनुकूल मुर्रा भैंस के पालन व प्रबंधन के तरीकों को बढ़ावा देना इसका प्रमुख उद्देश्य है। परियोजना के आरंभिक वर्ष में मुर्रा भैंस पर जलवायु परिवर्तन के अलग-अलग प्रकार के प्रभाव का बेहद बारीकी के साथ आकलन व विश्लेषण किया गया। गर्मी और सर्दी के मौसम में भैंसों पर इस प्रकार के प्रभाव को लेकर काफी अहम जानकारियां सामने आईं। यह भी पता चला कि भैंसों के दुग्ध उत्पादन पर जलवायु या मौसमी परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। अक्सर आसपास के वातावरण के कारण पशु में तनाव आता है।

टीम करेगी पशुपालकों से संवाद

परियोजना के दूसरे वर्ष में यह देखा गया कि पशुओं में तनाव कम करने के लिए किस प्रकार के प्रयास किए जाने चाहिए। अब पशुपालकों को इसी संदर्भ में नियमित रूप से त्वरित सलाह उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही यह एप लांच किया गया है। एप की मदद से संस्थान के वैज्ञानिकों की पूरी टीम पशुपालकाें और किसानों से सीधा संवाद कर सकेगी। टीम में डेयरी विस्तार प्रभाग के वैज्ञानिक डा. संजीत माइटी, डा. संचिता, डा. गौतम मंडल, डा. मुकेश भगत, डा. अंजली अग्रवाल, डा. राजकुमार, डा. केएस कादियान व शोधार्थी मंजू नाथ शामिल हैं।

मिलेगी दो प्रकार की जानकारी

एंड्राइड प्रणाली आधारित इस एप के संदर्भ में संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि यह दो प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम है। एप में मुख्यत: आहार प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, चारा प्रबंधन व मुर्रा भैंस की विभिन्न विशेषताओं की जानकारी का समावेश किया गया है। आठ जलवायु मापदंडों पर समय-समय पर साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान, तापमान, जलवायु, मौसम और आर्द्रता सूचकांक आधारित विशिष्ट सलाहकार सेवाएं भी एप के जरिए हासिल हो सकेंगी।

ट्रायल सफल, अब होगा विस्तार

एप की मदद से हर सप्ताह मंगलवार व बुधवार को पशुपालकों को तापमान संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। एप का इस्तेमाल किए जाने के अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अभी तक प्रदेश में जींद, रोहतक, हिसार, भिवानी में परियोजना का ट्रायल हो चुका है। अन्य जिलों में जल्द विस्तार देने की तैयारी है। पूरी संभावना है कि मुर्रा भैंस के बाद अन्य नस्लों के लिए भी इस एप का प्रयोग किया जाएगा। बहुत जल्द इस एप को गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से निशुल्क डाउनलोड किया जा सकेगा।


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