महाभारत युद्ध से पहले पांडव के साथ यहां रुके थे भगवान श्रीकृष्ण, अपने हाथों से तैयार की थी माता की मूर्ति
Navratri 2022 जींद का सोमनाथ मनसा देवी मंदिर। यहां पर कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध से पहले पांडवों के साथ श्रीकृष्ण भगवान रुके थे। पूजा के लिए माता की मूर्ति खुद तैयार की थी। इसके बाद पूजन करके ही युद्ध के लिए निकले थे।
जींद, जागरण संवाददाता। श्री सोमनाथ मनसा देवी मंदिर शहर का प्रसिद्ध मंदिर है। महाभारत काल में जब श्रीकृष्ण भगवान पांडवों के साथ कुरुक्षेत्र युद्ध करने के लिए जा रहे थे, तब यहां पर रुके थे। युद्ध में विजय प्राप्त करने की खातिर आशीर्वाद के लिए श्रीकृष्ण भगवान ने विंध्याचल पर्वत से भीम को माता बिंदेश्वरी को लाने के लिए भेजा था।
रात को इसके लिए जागरण किया गया। उस समय माता बिंदेश्वरी यहां नहीं पहुंच पाई थी। वह रोहतक के बेरीवाला तक ही पहुंचीं, जहां आज उसका बड़ा मंदिर बनाया गया है। जब भीम खाली हाथ लौटे तो श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से मिट्टी की मूर्ति तैयार की और उसकी पूजा कर युद्ध में जीत प्राप्ति की मन्नत मांगी। माता का मुख भी कुरुक्षेत्र की तरफ किया गया, ताकि उसकी कृपा बनी रहे। तभी से यह माना जा रहा है कि माता मनसा देवी यहीं से प्रकट हुई है।
पढ़ें मंदिर का इतिहास
श्री सोमनाथ मनसा देवी मंदिर के बारे में पुराणों में जिक्र है कि यहां सोम तीर्थ था। पौराणिक कथा के अनुसार गौतम ऋषि हर रोज नदी में स्नान करने जाते थे। एक दिन पीछे से चंद्रमा उनका वेश धारण करके उनके घर पहुंच गया और गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का चीर हरण किया। जब गौतम ऋषि स्नान करके घर आया और उसे इसका पता चला तो उसने दोनों को श्राप दे दिया। इससे अहिल्या पत्थर की मूर्ति बन गई और चंद्रमा को कोढ़ हो गया। बताते हैं कि जींद के सोम तीर्थ में स्नान करने से चंद्रमा का कोढ़ दूर हुआ था।
काफी संख्या में आते हैं श्रद्धालु
"प्राचीन मान्यता के अनुसार मंदिर का विशेष महत्व है। महाभारत काल में जब श्रीकृष्ण भगवान पांडवों के साथ कुरुक्षेत्र युद्ध करने के लिए जा रहे थे, तब यहां पर रुके थे। नवरात्र में यहां विशेष व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा अन्य दिनों में भी काफी संख्या में यहां श्रद्धालु आते हैं और मन्नत मांगते हैं। ऐसे में मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की काफी आस्था है।"
-पुजारी योगेश कौशिक।