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International Day of Disabled Persons 2019: नंदू-दीपू के हौसले के आगे दिव्यांगता ‘पंगु’

नंदू और दीपू के हौसले को दिव्यांगता तोड़ न सकी। दोनों दिव्‍यांग युवकों की 2011 में दोस्ती हुई। इसके बाद दोनों ने एक नई राह चुनी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 04:53 PM (IST)
International Day of Disabled Persons 2019: नंदू-दीपू के हौसले के आगे दिव्यांगता ‘पंगु’
International Day of Disabled Persons 2019: नंदू-दीपू के हौसले के आगे दिव्यांगता ‘पंगु’

पानीपत, [राज सिंह]। मुश्किलें कितनीं भी हों, लेकिन कभी हार नहीं माननी चाहिए। इन्हीं बुलंद हौसले से दिव्यांगता को पटखनी देकर आगे बढ़ रहे दिव्‍यांग लोग अब दूसरे लोगों के नजीर साबित हो रहे हैं। 

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शक्तिनगर के नंदू (नंद किशोर) और हनुमान कॉलोनी के दीपू (दीपांशू) की जोड़ी की जन्मजात दिव्यांगता उनके हौसलों को कमजोर न कर सकी। कठिन परिस्थितियों में दोनों एक-दूसरे का सहारा भी बने। आज दोनों की ई-रिक्शा मरम्मत करने की वर्कशॉप है। दोनों ही घुटनों और हाथ के पंजों के बल चलते हैं।

साहस को सलाम 

काबड़ी रोड, कच्चा फाटक के पास लोग दोनों को ई-रिक्शा की मरम्मत करते देखते हैं तो साहस को सलाम करते हैं। नंदकिशोर ने बताया कि वह कक्षा आठ तक पढ़ा है, आयु 29 साल और 100 फीसद दिव्यांग है। उसकी पत्नी रेनू भी एक पैर से दिव्यांग है। तीन साल का बेटा हार्दिक भी है। उसने बताया कि जब वह एक साल का था तो पोलियो का शिकार हो गया था। सौ फीसद दिव्यांग दीपू से उसकी मुलाकात एक मीटिंग में वर्ष 2011 में हुई। वह पान का खोखा और दीपू साइकिल के टायर में पैंचर लगाता था। विचार समान हुए तो मुलाकातें दोस्ती में बदल गई। दोनों ने कुछ ऐसा करने की ठानी जिससे जीवनभर भरण पोषण में दिक्कत न आए। दोनों ने ई-रिक्शा मरम्मत का काम सीखा। नंदू ने जैसे-तैसे एक लाख रुपये जमा किए। 

एक साथ शुरू किया काम

वर्ष 2016 में छोटी वर्कशॉप खोली, दोस्त दीपू को साथ रखा। दोनों ने संयुक्त रूप से बताया कि सुबह से देर सांय तक मेहनत से काम करते हैं। इतना कमा लेते हैं कि किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े। 

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अमित ने बाइक से नाप दी कश्मीर से कन्याकुमारी की सड़क

नाम अमित कुमार जांगड़ा, पिता राम सिंह और मां संतोष देवी। दो साल की आयु में पोलियो हुआ, 100 फीसद विकलांग हैं। शिक्षा डीएड बीए, वर्तमान में सरदार वल्लभ भाई पटेल पब्लिक स्कूल समालखा में प्राथमिक शिक्षक। सत्ताइस वर्षीय अमित की केवल इतनी पहचान नहीं है। पैरों पर बेशक बिना छड़ी के न चल सके, वर्ष-2018 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा बाइक से पूरी की। उन्होंने 28 दिनों में 14 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए करीब नौ हजार किमी. की यात्रा की। ऐसा करने वाले वे हरियाणा के पहले दिव्यांग हैं। कवि के रूप में अंकन साहित्यिक मंच से जुड़े हैं। अब तक 11 बार रक्तदान कर चुके हैं। दर्जनभर से अधिक संस्थाएं उन्हें सम्मानित भी कर चुकी हैं। विकलांग उत्थान समिति, निफा, जीवन संजीवनी संस्था, पीपुल ह्युमना टू ह्युमना आदि संस्थाओं के साथ भी समय-समय पर काम किया है। वर्ष 2015 में हरियाणा दिव्यांग व्हीलचेयर बास्केटबॉल के मैनेजर रहे खिलाड़ी के रूप में भी शिरकत की।


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