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पानीपत में डाई हाउस मालिक की गोली मारकर हत्या

उद्यमी के ड्राइवर ने एक हत्यारे को वहीं पर पकड़ लिया। दूसरा भागने लगा तो मजदूरों ने उसे बाहर दबोच लिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 08:03 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 08:03 AM (IST)
पानीपत में डाई हाउस मालिक की गोली मारकर हत्या
पानीपत में डाई हाउस मालिक की गोली मारकर हत्या

जागरण संवाददाता, पानीपत :

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फैक्ट्री में वेतन बांट रहे उद्यमी प्रमोद गुप्ता की दो लुटेरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। उद्यमी के ड्राइवर ने एक हत्यारे को वहीं पर पकड़ लिया। दूसरा भागने लगा तो मजदूरों ने उसे बाहर दबोच लिया। दोनों को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। वारदात सेक्टर 29 पार्ट-2 में शाम करीब साढ़े चार बजे की है।

नवदुर्गा प्रोसेसर्स फैक्ट्री में 62 वर्षीय प्रमोद गुप्ता अपने छोटे बेटे अंकुर गुप्ता के साथ कर्मचारियों को वेतन बांट रहे थे। कार्यालय में ड्राइवर भी मौजूद था। शाम को बाइक पर सवार दो युवक उनकी फैक्ट्री में आए। बाइक फैक्ट्री के बाहर खड़ी कर दी। एक ने हेलमेट लगा रखा था। दूसरे ने चेहरे पर कपड़ा बांधकर अपना मुंह ढंक रखा था। दोनों एक बैग लेकर सीधे प्रमोद गुप्ता के कार्यालय में पहुंचे। उन्होंने बैग से 315 बोर के दो देसी कट्टे निकाल कर, पिता-पुत्र व ड्राइवर सोनू पर तान दिए। धमकी देते हुए उनसे पैसों की मांग की। प्रमोद गुप्ता खड़े हो गए। पैसे मांगने का कारण पूछा तो एक ने उन पर गोली दाग दी। बेटा अंकुर उन्हें संभालने लगा। आरोपितों ने भागने का प्रयास किया तभी ड्राइवर सोनू ने हिम्मत दिखाते हुए एक लुटेरे को पीछे से पकड़ लिया। उसके साथी ने बैग से पेट्रोल से भरी एक बोतल निकाल ली। तब तक गोली की आवाज सुन कर दूसरे साथी कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंच गए थे। कर्मचारियों ने दूसरे आरोपित को भी मौके पर ही पकड़ लिया।

अंकुर कर्मचारियों की मदद से पिता प्रमोद गुप्ता को लेकर सेक्टर 11 स्थित जीसी गुप्ता अस्पताल लेकर पहुंचे। चिकित्सकों ने हालत गंभीर होने की बात कही। इसके बाद अंकुर उन्हें लेकर हैदराबादी अस्पताल पहुंचा। वहां भी चिकित्सकों ने घायल की जान को खतरा बताया। सामान्य अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों ने उनके पिता को मृत घोषित कर दिया।

सफीदों नंबर की बाइक पर आए : हत्यारों के पास देसी कट्टों के अलावा उनके पास पेट्रोल से भरी बोतल थी। आरोपितों ने तीन पैंट व तीन कमीज पहन रखी थी। ऐसा इसलिए किया होगा, ताकि वारदात को अंजाम देने के बाद हुलिया बदलने में देर न लगे। अगर ड्राइवर ने हिम्मत न दिखाई होती तो आरोपित फरार होने में कामयाब हो जाते। बताया जा रहा है कि इनमें एक ने कुछ दिन फैक्ट्री में काम किया है। वह हर जगह से वाकिफ था। उसे पता था कि सैलरी किस दिन बंटती है। करीब पांच से सात लाख रुपये वेतन के दिए जाते हैं।


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