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नगर निगम कार्यालय की व्यवस्था फेल, प्रापर्टी आइडी तक ठीक कराने के लिए लोग काट रहे हैं चक्कर

जागरण संवाददाता पानीपत शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने एक सप्ताह पहले नगर निगम क

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 11:55 PM (IST)
नगर निगम कार्यालय की व्यवस्था फेल, प्रापर्टी आइडी तक ठीक कराने के लिए लोग काट रहे हैं चक्कर
नगर निगम कार्यालय की व्यवस्था फेल, प्रापर्टी आइडी तक ठीक कराने के लिए लोग काट रहे हैं चक्कर

जागरण संवाददाता, पानीपत :

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शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने एक सप्ताह पहले नगर निगम कार्यालय में छापा मारा था। 31 अधिकारी व कर्मचारी गैर हाजिर मिले थे। आउटसोर्सिंग के दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया था। दो दिन तक तक कार्यालय के हालात में सुधार हुआ था। अब फिर से पहले की तरह कर्मचारी बेपरवाह हो गए हैं। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को नगर निगम कार्यालय का जायजा लिया तो काफी लोग प्रापर्टी आइडी ठीक कराने व नो ड्यूज के लिए भटकते नजर आए। किसी की प्रापर्टी आइडी पड़ोसी के नाम कर दी तो किसी के प्लाट के गज ही ज्यादा दिखाए दिए गए। किसी को घरेलू डवलपमेंट चार्ज कामर्शियल के भेज दिए। पीड़ित लोग कार्यालय के चक्कर लगाते रहे है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।

निगम कार्यालय में दलाल सक्रिय

नगर निगम कार्यालय में पहले दलालों का बोलबाला था। जो लोगों से काम करवाने की एवज में रुपये ऐंठते थे। कई दलालों की रिपोर्ट खुफिया विभाग ने आला अधिकारियों को भेजी थी। इसके बाद निगम अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। ताकि दलालों का पता चल सके। कई दिन पहले कैमरों की तार हटा दी गई। इसके बाद फिर से दलाल कार्यालय में सक्रिय हो गए हैं। सीसीटीवी कैमरों में दलाल की तस्वीर रिकार्ड न हो पाए। दैनिक जागरण की टीम को इसका पता चला। कर्मचारियों ने सीसीटीवी कैमरों की तार लगवा दी गई।

इस तरह के आ रहे मामले सामने

केस नंबर 1 : बलदेव राज विहार नगर का रहना वाला है। उन्होंने बताया कि प्रापर्टी आइडी पत्नी के नाम है। पत्नी की मृत्यु 2003 में हो चुकी है। जब से ही प्रापर्टी आइडी ऐसे ही रखी थी। बीच में प्रापर्टी आइडी को चेक भी करवाया गया, जिसमें सबकुछ ठीक चल रहा था। जब अब साढ़े 112 वर्ग गज की रजिस्ट्री करवाने के लिए निगम कार्यालय में नो ड्यूज लेने के लिए आए तो पता चला कि पड़ोसी के नाम हमारी प्रापर्टी आइडी कर दी गई। इसमें कर्मचारियों की मिलीभगत है। अब ठीक करवाने के लिए कहा तो इधर-उधर भेज रहे है। अब कुछ भी समझ नहीं आ रहा क्या करें।

केस नंबर 2 : जतिन कृष्ण नगर का रहने वाला है। उन्होंने बताया कि प्रापर्टी टैक्स गलत भेज दिया। अब ठीक करवाने के लिए 15 दिन से नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका। 80 वर्ग गज का डवलेपमेंट चार्ज कार्मिश्यल दिखाकर 33 हजार रुपये भेज दिया। इसके साथ ही प्रापर्टी में ही कूड़े कचरा उठान का भी चार्ज जोड़ दिया। जबकि जेबीएम को हर माह पैसे दिए जा रहे है। प्रापर्टी आइडी के डवलमेंट चार्ज 12 हजार रुपये बनता है। अब चार्ज को ठीक करवाने के लिए कर्मचारी नगर निगम कार्यालय के चक्कर कटवा रहे है। कोई राह नहीं दिया जा रहा।

केस नंबर 3 : शिवकुमार की काबड़ी रोड पर 208 वर्ग गज में प्लाट है। उन्होंने बताया कि फरवरी माह से प्रापर्टी आइडी ठीक करवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। अभी तक समाधान नहीं हो सका। प्रापर्टी आइडी की रजिस्ट्री करवानी है। जब 2020 में 50 हजार डवलपमेंट चार्ज भर चुके है। तो अब नो ड्यूज सर्टिफिकेट निकलवाने आए तो पता चला कि किसी दूसरे प्लाट की आइडी मेरी आइडी से जोड़ दिया। अब नगर निगम 600 वर्ग गज के हिसाब से प्रापर्टी टैक्स मांग रहा है। जबकि प्रापर्टी 208 वर्ग गज ही है। पहले 2020 में नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी है। इसके साथ ही जमीन को कार्मिश्यल में दिखा दिया।

केस नंबर 4 : संदीप कुमार वधवाराम कालोनी का रहने वाला है। उप्होंने बताया कि 76 वर्ग गज जमीन का टैक्स कार्मिश्यल दिखाकर 62 हजार रुपये टैक्स भेज दिया। अब कर्मचारी कोई राह नहीं दे रहे। एक दूसरे कर्मचारी के यहां चक्कर कटवा रहे है। वार्ड क्लर्क ठीक से बात तक नहीं कर रहे। जिसके कारण काफी परेशानी आ रही है।

कोई समस्या है तो आनलाइन लगवाए आब्जेक्शन : डीएमसी

डीएमसी (डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर) जितेंद्र कुमार ने जागरण से बातचीत में बताया कि कोई प्रापर्टी आइडी से संबंधित कोई समस्या है तो आनलाइन एनडीसी की साइट पर आब्जेक्शन लगवाए। इसके बाद फिर संबंधित वार्ड क्लर्क उसकी रिपोर्ट करेगा और 15 दिन में सभी समस्याएं हल हो जाएगी।


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