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जींद में इस रोड से जाने से पहले पढ़ लें ये खबर, गोभक्‍तों में फूटा आक्रोश, रोड पर बैठे, जाम

जींद में नंदीशाला में गोवंश की बेहाली देखकर गोभक्‍त गुस्‍सा गए। गोभक्‍त सड़क पर उतर आए। इसके बाद रोड जाम कर दिया। गोभक्‍त रोड पर ही दरी बिछाकर बैठ गए। पुलिस प्रशासन भी मौके पर पहुंचा लेकिन नहीं मानें।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 01:50 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 01:50 PM (IST)
जींद में इस रोड से जाने से पहले पढ़ लें ये खबर, गोभक्‍तों में फूटा आक्रोश, रोड पर बैठे, जाम
गोशाला में बेहाल गोवंश देखकर रोड जाम करते गोभक्‍त।

जींद, जागरण संवाददाता। जींद के जयंती देवी मंदिर के सामने नंदीशाला में अव्यवस्थाओं पर गोभक्तों ने सोमवार सुबह सड़क पर जाम लगा दिया। गोभक्तों का कहना था कि प्रशासन व सरकार गायों की देखभाल के लिए दो साल से कोई मदद नहीं कर रहा है। इससे गायों की हालत बदतर हो चुकी हो चुकी है।

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नंदीशाला के सामने सड़क पर जाम लगाकर बैठे गोभक्ताें का आरोप था कि प्रशासन गोवंश की देखभाल के लिए कोई मदद नहीं कर रहा है। चारे की व्यवस्था समाज की ओर से की जा रही है। दानी सज्जन ही यहां शेड बनवा रहे हैं और फर्श पक्का करवा रहे हैं। गायों के खड़ा होने की जगह कच्ची पड़ी है, जहां बारिश के बाद कीचड़ बन गया है। ऐसे में गायों के लिए इधर-उधर टहलना भी मुश्किल हो रहा है। काफी गाय बीमार हालत में है। चारे की भी कमी है। सरकार सिर्फ गोमाता के नारे लगाने तक सीमित है। ग्राउंड पर गायों की देखभाल के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। जाम लगा रहे लोगाें को मनाने के लिए शहर थाना प्रभारी सुनील कुमार मौके पर पहुंचे। लेकिन गोभक्तों ने कहा कि जाम तभी हटेगा, प्रशासन यहां मदद का वादा करेगा।

Protest in Jind

दो साल से प्रशासन ने मोड़ रखा है मुंह

शहर की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा गोवंश को चार साल पहले जयंती देवी मंदिर के सामने अस्थायी नंदीशाला बनाकर रोका था। तत्कालीन डीसी अमित खत्री ने नंदीशाला बनवाने से लेकर गोवंश की देखभाल में काफी रुचि ली थी। खत्री के रहते प्रशासन ने समाजसेवी लोगों, उद्योगपतियों व संस्थाओं की बैठक लेकर नंदीशाला की आर्थिक मदद करवाई थी, जिससे शेड, चारा रखने के लिए स्टोर, चहारदीवारी आदि का निर्माण करवाया था। गायों की देखरेख के लिए नगरपरिषद के दस कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई थी। लेकिन जींद उपचुनाव के बाद जब तत्कालीन डीसी अमित खत्री का तबादला हुआ, उसके बाद प्रशासन ने नंदीशाला से मुंह मोड़ लिया। नगरपरिषद के कर्मचारी भी हटा लिए और आर्थिक मदद भी बंद हो गई। जिससे नंदीशाला की हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद स्वामी राघवानंद को नंदीशाला की कमान सौंपी गई। उन्होंने समाज के सहयोग से काफी सुधार किया। लेकिन अभी भी काम किया जाना बाकी है।


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