ममता की छाया में बीमारियों को हराएंगे नवजात, पानीपत सिविल अस्पताल में बढ़ाया एसएनसीयू का दायरा
Panipat Civil Hospital अब पानीपत सिविल अस्पताल के एसएनसीयू को वात्सल्य आधार पर डेवलप किया जाएगा। अब एसएनसीयू यानी नवजात शिशु देखभाल इकाई में शिशुओं के साथ मां रह सकेंगी। सिविल अस्पताल का एसएनसीयू वात्सल्य पर आधारित होगा। माताओं के लिए अलग से 12 बिस्तर लगेंगे।
पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत सिविल अस्पताल के चतुर्थ तल स्थित नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में उपचाराधीन नवजात अब ममता की छाया में रोगों से लडेंगे। महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा, सोनिया त्रिखा ने निर्देश दिए हैं कि एसएनसीयू को वात्सल्य आधार पर डेवलप किया जाए। यानि, अब माताएं भी अपने बच्चों के साथ रह सकेंगी।
इनके लिए एसएनसीयू का दायरा बढ़ाकर, 12 बेड लगाने की तैयारी है। अस्पताल के प्रिंसिपल मेडिकल आफिसर डा. संजीव ग्रोवर ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि नवजात प्री-मेच्योर होने के कारण उसके फेफड़े कमजोर होते हैं। उसे श्वास लेने में कठिनाई आती है। कुछ बच्चे जन्म के समय से ही पीलिया के शिकार होते हैं या अन्य बीमारी से ग्रस्त होते हैं। ऐसे बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती रखा जाता है।
नवजात यदि स्तनपान करने में सक्षम है, उसी स्थिति में मां को बुलाया जाता है। बाकी समय वह बच्चे से दूर सिविल अस्पताल में इधर-उधर बैठकर समय व्यतीत करती है। इस कारण वह भी मानसिक तनाव से गुजरती है। अब ऐसा नहीं होगा, बच्चे के साथ उसकी मां भी एसएनसीयू में रह सकेगी।
डा. ग्रोवर ने बताया कि नवजात के साथ मां रहेगी तो उसे मानसिक शांति मिलेगी। नवजात को मां की ममता-वात्सल्य मिलता रहेगा। वह जल्दी स्वस्थ होगा। दोनों के बीच रिश्ता मजबूत होगा,बच्चा संकेतों को जल्द सीखता है।यह व्यवस्था हो जाने से मां व बच्चे दोनों को बड़ी राहत मिलेगी।
अलग किचन-शौचालय बनेंगे
डा. ग्रोवर ने बताया कि माताओं के लिए किचन तैयार होगी ताकि वे अपने के लिए कुछ बना सकें। उन्हें चाय-दूध या भोजन के लिए बार-बार बाहर निकलने की जरूरत न पड़े। मां यदि बार-बार एसएनसीयू से बाहर निकलेगी तो किसी वायरस की चपेट में आ सकती है। बच्चे को गोद में लेगी तो उसे भी संक्रमण का खतरा रहेगा। इनके लिए अलग से शौचालय भी बनाए जाएंगे।
मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान
बच्चे के शारीरिक-मानसिक विकास के लिए मां का दूध पिलाया जाना बहुत जरूरी है। बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वह दस्त, कब्ज, अस्थमा व सांस संबंधी रोगों से बचाव होता है। इससे मां को भी लाभ है। उनका वजन नहीं बढ़ता। ब्रेस्ट कैंसर का खतरा नहीं रहता।