पानीपत/जींद, जेएनएन। पबजी गेम का नशा अब युवाओं की जान पर बन आया है। मां ने मोबाइल फोन पर पबजी गेम खेलने की अनुमति नहीं दी ताेे बेटे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। नवयुवक का पिता कैथल पुलिस में ईएएसआइ के पद पर कार्यरत है। घटना के समय वह ड्यूटी पर तैनात था।
जींद में शिवपुरी कालोनी निवासी ईएएसआइ सत्यवान का 18 वर्षीय बेटा तरसेम शाम को पबजी गेम खेलने के लिए मां कमलेश का फोन ले गया था। मां ने उससे फोन वापस लेकर कहा कि पबजी गेम नहीं खेलनी। इससे तरसेम नाराज होकर कमरे में चला गया। अंदर से दरवाजे को बंद कर लिया। उस समय मां को इसका पता नहीं था कि तरसेम गेम खेलने से मना करने पर इतना बड़ा कदम उठा सकता है। काफी देर तक वह कमरे से बाहर नहीं आया तो उसकी मां ने दरवाजा खोलने का प्रयास किया। दरवाजा अंदर से बंद मिला।
चुन्नी से लगाया फंदा
इसके बाद काफी देर तक आवाज लगाते रहे, लेकिन जब आवाज नहीं आई तो उनको शक हो गया कि तरसेम ने कोई गलत कदम नहीं उठा लिया। इसके बाद दरवाजे को काफी मशक्कत के बाद खोला तो तरसेम कमरे में पंखे पर उसकी मां की चुन्नी को फंदा बनाकर फांसी पर लटका हुआ था। उसे शहर के एक निजी अस्पताल में लेकर गए, लेकिन वहां पर चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालात देखते हुए दाखिल करने से इंकार कर दिया। परिजन उसे नागरिक अस्पताल में लेकर आए। पर तब तक उसने दम तोड़ दिया।
पढ़ाई में कमजोर था
उसके पिता सत्यवान ने बताया कि तरसेम पढ़ाई में कमजोर होने के कारण उचाना की एक रेडिमेड कपड़ों की दुकान पर काम सीख रहा था। प्रतिदिन उस दुकान पर जाता था। तरसेम को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी लेकिन गेम खेलने से मना करने से आहत होकर उसने आत्महत्या की है। पटियाला चौकी प्रभारी यशवीर ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया है। वारदात इत्तेफाकिया है, फिर भी मामले की जांच की जा रही है।
पबजी के कारण बढ़ रहे मानसिक रोगी
हाल ही में एक शोध से पता चला है कि पबजी गेम के कारण युवा मानसिक रोग के शिकार हो रहे हैं। कुरुक्षेत्र के अस्पताल में कुछ दिन पहले माता-पिता अपने बेटे का इलाज कराने पहुंचे थे। वहां पता चला कि युवक पबजी गेम खेलता है। रात-रात भर सोता नहीं है। दिन में कोई काम नहीं करता। सिर्फ पबजी ही खेलता रहता है। ऑनलाइन गेम के कारण उसकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो गई। बात-बात पर गुस्सा हो जाता। इस तरह एक नहीं, बल्कि सात से आठ केस सामने आ चुके हैं। जींद में जिस नवयुवक ने फांसी लगाई, वो भ चुप-चुप रहने लगा था।
माता-पिता क्या करें
मनोचिकित्सकों का कहना है कि माता-पिता अपने बच्चों पर नजर रखें। उन्हें समझाएं कि जिंदगी वीडियो गेम नहीं है। अगर आपका बेटा रातभर नहीं सोता तो उसका स्मार्ट फोन चेक करें। छोटी सी बात पर नाराज होता है या चिडि़चिड़ापन बढ़ रहा है तो समझ जाइये कि वो मानसिक रूप से कहीं और व्यस्त है। हो सकता है कि वो मानसिक रोग की चपेट में आ रहा हो।