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पश्चिमी यमुना नहर में मरम्मत पर 100 करोड़ से अधिक किए खर्च, फिर भी पानी की धार के साथ बह रहे किनारे

यमुना नहर किनारे पानी की धार में बह रहे हैं। मरम्‍मत पर सौ करोड़ से अधिक खर्च हो गए हैं। इसके बाद किनारे सुरक्षित नहीं है। क्षमता बढ़ाने के लिए किनारों को किया गया था पक्का एक सीजन भी नहीं झेल पाए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 01:00 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 01:00 PM (IST)
पश्चिमी यमुना नहर में मरम्मत पर 100 करोड़ से अधिक किए खर्च, फिर भी पानी की धार के साथ बह रहे किनारे
यमुना नहर के किनारे अभी भी कच्‍चे हैं।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद पश्चिमी यमुना नहर के किनारे पानी की धार के साथ बह रहे हैं। हमीदा हेड से लेकर करनाल के मुनक तक करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से इन किनारों को पक्का किया गया था। इस कार्य पर 100 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गए थे। बावजूद इसके ये किनारे एक सीजन भी नहीं झेल पाए। हमीदा हेड से आगे कई जगह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे में कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि सिचाई विभाग ने पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता 15,933 से बढ़ाकर 17,630 क्यूसेक की है। जिसके कारण किनारों को पक्का किया गया।

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क्षमता बढ़ाने के ये फायदे

पश्चिमी यमुना नहर के जरिये दक्षिण हरियाणा को ज्यादा पानी मिले और कच्चे किनारे नुकसान का कारण न बनें, इस उद्देश्य को लेकर सिंचाई विभाग ने पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता बढ़ाकर 17,500 क्यूसेक की। क्षमता बढ़ाने के दो फायदे होंगे। पहला यह कि सामान्य दिनों में दक्षिण हरियाणा के विभिन्न जिलों को सिचाई और पीने के लिए अतिरिक्त पानी मिल सकेगा। दूसरा, यमुना नदी में पानी का बहाव अधिक होने पर इस नहर में डायवर्ट किया जा सकेगा। यमुनानगर के हमीदा हेड से करनाल से मूनक हेड तक इसके किनारे पक्के करवाए गए। इसका 22 किलोमीटर क्षेत्र यमुनानगर जिला में है।

मजबूती से नहीं किया काम

भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रवक्ता विकास राणा, प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह चौहान व उप प्रधान प्रताप सिंह चौहान का कहना है कि पश्चमी यमुना नहर के किनारों को पक्का किए अभी एक वर्ष मुश्किल से बीता है। उन्होंने बताया यह कार्य मजबूती के साथ नहीं किया गया। छह माह बाद ही किनारे बहना शुरू हो गए थे। क्षमता से आधे बहाव में भी किनारे नहीं टिक पा रहे हैं तो आगामी दिनों में क्या स्थिति होगी? बारिश के सीजन में नहरों का जलस्तर बढ़ जाता है।

शुरु से विवादों में रहा काम

नहर के चौड़ीकरण का ठेका पांच जोन में बांटकर अलग-अलग ठेकेदार को दिया गया था। यह काम शुरू से ही विवादों में रहा। फरवरी-2018 में शुरू हुआ। 30 जून 2018 तक चला। बाद में मानसून सीजन के कारण बंद हो गया। फरवरी-2019 में फिर शुरू किया। जून-2019 तक चला। फरवरी-2020 में फिर काम शुरू करवा दिया गया। उसके बाद जून-2020 में रोक दिया गया। कभी किनारों से पेड़ न काटे जाने के कारण काम रुका तो कभी ड्राइंग में खामियां सामने आई। गत वर्ष यह काम पूरा हुआ था।

हमीदा हेड से आगे पश्चिमी यमुना नहर के किनारों के क्षतिग्रस्त होने के बारे में जानकारी है। इस बारे ठेकेदार को नोटिस दिया हुआ है। ठेकेदार अपने खर्च पर इन किनारों की मरम्मत करवाएगा।

आरएस मित्तल, एसई, सिंचाई विभाग।


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