50 लाख या उससे अधिक की मासिक बिक्री करने वालों को एक फीसद टैक्स नकद भरना होगा
बिक्रीकर विभाग के अधिकारी बताते हैं कि शुरुआती दौर में बिक्री के खरीद से कम होने पर कारोबारियों द्वारा टैक्स को आइटीसी से समायोजित करना समझ में आ रहा है लेकिन कई वर्ष बाद भी वे हर बार यही दिखा देते हैं कि उन्होंने जितना माल खरीदा उससे कम माल उन्होंने बेचा।
जागरण संवाददाता, पानीपत : 50 लाख या उससे अधिक रुपये की मासिक बिक्री करने वालों को एक फीसद टैक्स नकद भरना होगा। बाकी 99 प्रसिद्ध टैक्स को वे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) में समायोजित कर सकेंगे। अभी तक व्यापारी हर माह टैक्स को आइटीसी से ही समायोजित करते चले आ रहे थे। इससे वे अपनी तरफ से टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे थे। माल खरीदते समय उन्होंने टैक्स का जो भुगतान किया, उसके आधार पर जो आइटीसी उनके खाते में बनी, उसमें ही वे टैक्स समायोजित कर देते थे।
बिक्रीकर विभाग के अधिकारी बताते हैं कि शुरुआती दौर में बिक्री के खरीद से कम होने पर कारोबारियों द्वारा टैक्स को आइटीसी से समायोजित करना समझ में आ रहा है, लेकिन कई वर्ष बाद भी वे हर बार यही दिखा देते हैं कि उन्होंने जितना माल खरीदा, उससे कम माल उन्होंने बेचा। इस स्थिति को देखते हुए जीएसटी ने 50 लाख रुपये या उससे अधिक की मासिक बिक्री करने वाले कारोबारियों के लिए नियम बना दिया है कि वे अपनी पूरी टैक्स राशि को आइटीसी से समायोजित नहीं कर पाएंगे। जीएसटी वर्ष 2016 में लागू हुआ था। तभी से यह व्यवस्था बनी हुई थी।
हरियाणा चैंबर आफ कामर्स के चेयरमैन विनोद खंडेलवाल का कहना है कि इससे व्यापारियों की वित्त किल्लत का बोझ बढ़ेगा। इनपुट टैक्स क्रेडिट का कारोबारियों को भुगतान कर दिया जाए। वे पूरा टैक्स नकद भर देंगे। कोरोना के कारण पहले से बाजार वित्त तंगी से जूझ रहा है। इस तरह के फैसले लेते समय कारोबारी संस्थाओं की राय ली जानी चाहिए।