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कभी खुद का कटा था ओलम्पिक टिकट, अब तराश रहीं भारत की खेल प्रतिभाएं

2008 के ओलम्पिक से ठीक पहले मोनिका पर प्रतिबंधित दवाएं लेने का आरोप लगा था। अब मणिपुर पुलिस में इंस्पेक्टर पद पर तैनात हैं और अपने राज्य की टीम को कोचिंग दे रहीं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 10:01 AM (IST)
कभी खुद का कटा था ओलम्पिक टिकट, अब तराश रहीं भारत की खेल प्रतिभाएं
कभी खुद का कटा था ओलम्पिक टिकट, अब तराश रहीं भारत की खेल प्रतिभाएं

पानीपत/करनाल, [पवन शर्मा]। मणिपुर का छोटा सा जिला है विष्णुपुर। यहां जन्मी एक साधारण सी लड़की एक दिन भारोत्तोलन में बुलंदियों का सफर तय करेगी, किसी ने सोचा तक नहीं था। आज एल. मोनिका देवी नाम की यह लड़की भारत के लिए 11 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुकी है। 

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राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हासिल उपलब्धियों की तो गिनती तक अब वह भूल गई हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि 2008 में बीजिंग ओलंपिक के दौरान डोप टेस्ट में फंसने के चलते अंतिम क्षणों में वह अपना यह सपना सच करने से चूक गई थीं। लेकिन अब इस विवाद की काली छाया भी उनके चेहरे पर दूर-दूर तक नजर नहीं आतीं। मोनिका मणिपुर में छोटी सी एकेडमी के जरिए न केवल उभरती प्रतिभाओं का हुनर तराशने में व्यस्त हैं बल्कि तमाम युवा भारोत्तोलकों को किसी भी सूरत में प्रतिबंधित दवाएं नहीं लेने के लिए भी बखूबी प्रेरित कर रही हैं।

शुरू से ही भारोत्तोलन खेल पसंद

करनाल में 68वें ऑल इंडिया पुलिस रेसलिंग क्लस्टर में टीम कोच की हैसियत से भाग ले रहीं मोनिका ने दैनिक जागरण से विशेष वार्ता की। उन्होंने बताया कि मणिपुर के विष्णुपुर जिले में उनका बचपन गुजरा। भारोत्तोलन शुरू से पसंद था, लिहाजा परिवार और खासकर पिता ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया। इसके बाद बाकायदा ट्रेङ्क्षनग लेकर आगे बढ़ीं मोनिका ने देखते ही देखते मणिपुर के लिए राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीते। 

ओलंपिक के लिए रवाना होने से चंद घंटे पहले रोक

राष्ट्रीय टीम में चयनित होने के बाद एक के बाद 11 प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुकीं मोनिका आज भी वह दिन याद करके भावुक हो जाती हैं, जब 2008 ओलम्पिक में उनका चयन हुआ और बीङ्क्षजग के लिए रवानगी से महज चंद घंटे पहले उनका डोप टेस्ट फेल पाया गया। उन पर प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के बेहद गंभीर आरोप लगे और उनका नाम भारतीय टीम से वापस ले लिया गया। यह मोनिका के लिए सदमे सरीखे हालात थे। लगा, मानो सब कुछ यहीं थम गया हो। 

बाद में आरोपों से बरी

बाद में भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन तकनीकी कारणों से मोनिका ओलम्पिक में हिस्सा नहीं ले सकीं। वह कहती हैं कि गुजरी बातों पर क्या बात करना? वही सोचती रहूंगी तो न खुद बेहतर कर सकूंगी और न किसी को इसके लिए प्रेरित कर सकूंगी। मोनिका मणिपुर पुलिस में इंस्पेक्टर हैं। हालांकि, उनकी तमन्ना है कि सरकार भी उनकी एकेडमी को सहायता दे, ताकि वह और बेहतर कर सकें। 

फल, प्रोटीन सबसे बेहतर सप्लीमेंट

मोनिका बताती हैं कि ट्रेनिंग हो या ऑफ सेशन, खिलाडिय़ों को हमेशा बेहतर डाइट लेनी चाहिए। फल, जूस और प्रोटीन सबसे बेहतर सप्लीमेंट हैं। नियमित दिनचर्या, संतुलित आहार व टाइम मैनेजमेंट से हर गोल अचीव किया जा सकता है। 

छोरियां किसी से कम हैं क्या

कुंजारानी और ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी से प्रेरित मोनिका कहती हैं कि भले ही भारोत्तोलन को लड़कों का खेल माना जाता रहा हो लेकिन अब लड़कियां इसमें हर कसौटी पर खुद को खरी साबित कर रही हैं। दरअसल, लड़कियों में लड़कों से कहीं ज्यादा हिम्मत होती है। बस, उन्हें सही मार्गदर्शन मिलना चाहिए।


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