माइंड को दोस्त बनाइये, फिर देखिये बदल जाएगी जिंदगी
हम सिक्स पैक एब्स बनाते हैं। मसल्स पर ध्यान देते हैं। शरीर के लिए कई एक्सरसाइज करते हैं। पर क्या कभी इस पूरे शरीर को नियंत्रित करने वाले दिमाग के लिए कोई एक्सरसाइज करने के बारे में सोचा है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : हम सिक्स पैक एब्स बनाते हैं। मसल्स पर ध्यान देते हैं। शरीर के लिए कई एक्सरसाइज करते हैं। पर क्या कभी इस पूरे शरीर को नियंत्रित करने वाले दिमाग के लिए कोई एक्सरसाइज करने के बारे में सोचा है। हमारी जिंदगी में जो कुछ भी हो रहा होता है, उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ माइंड का ही गेम होता है। अगर हमने अपने माइंड को दोस्त बना लिया तो जिंदगी बदल जाएगी। यह कहना है कि मनोचिकित्सक डॉ.सुदेश खुराना का। आइएमए, पानीपत के पूर्व सचिव डॉ.खुराना दैनिक जागरण के सेक्टर 29, पार्ट-2 स्थित कार्यालय में पहुंचे और माइंड मैनेजमेंट पर अपने विचार रखे। चार प्वाइंट में जानिये माइंड क्या है, किस तरह गेम खेलता है
1. तीन के मिलन से चलती है जिंदगी
डॉ. खुराना ने बताया कि हमें सबसे पहले यह जानने की जरूरत है कि आखिर माइड क्या है। वास्तव में माइंड या मन एक ही चीज है। माइंड यानि विचारों का समूह। ये हमारे शरीर का कंट्रोलर है, जो हमारे शरीर में एक प्रोग्राम की तरह फीड है। यह हमारी बॉडी और आत्मा के साथ मिलकर काम करता है। इन्हीं तीनों के मिलन से हमारी लाइफ चलती है। 2. प्रमुख समस्याओं का समाधान छिपा है
हमारे जीवन में फैमिली, व्यवसाय, सामजिक और आर्थिक ही मुख्यतया समस्याएं होती हैं। यदि हम माइंड मैनेजमेंट का गुर जानते हैं तो इन समस्याओं से पार पाना बेहद आसान है। हालाकि चुनौती यह है कि हमें कभी माइंड मैनेजमेंट की ट्रेनिंग नहीं दी जाती। जितना हम माइंड मैनेंजमेंट को लेकर जागरूक होंगे, उतने ही बेहतर तरीके से जीवन की समस्याओं को हल कर पाएंगे। 3. हर माइंड इस तरह चालाकी करता है
हर व्यक्ति का दिमाग लगभग पूरे समय गेम खेलता है। मान लीजिए, आपको किसी व्यक्ति ने कुछ कहा तो आपका माइंड उसे स्वीकार नहीं करता। आपको लगता है कि वह व्यक्ति झूठ बोल रहा है। यदि वह व्यक्ति सच भी बोल रहा हो तो भी आप उसे झूठा कहेंगे। यही माइंड का गेम है। आपका माइंड आपको सच स्वीकार नहीं करने देता। यदि एक ही सूचना दस लोगों तक एक साथ पहुंचाई जाए तो भी किसी के माइंड में कम पहुंचेगी तो किसी के पास ज्यादा। इसकी वजह भी यही है कि आपका माइंड किस प्रकार से कार्य कर रहा है। माइंड जो नहीं चाहता तो उसे डिलीट कर देता है, इसी प्रकार एक ही सूचना को अपनी क्षमता अनुसार सहेजता है। आगे बढ़ाता है। 4. समाधान तो इस तरह होगा
प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसका माइंड उसका दोस्त भी होता है और दुश्मन भी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह व्यक्ति अपने माइंड का प्रयोग कितना और किस प्रकार से कर रहा है। माइंड की बिल्डिंग में लाखों यादें सुरक्षित रहती हैं। इन यादों में कुछ सुखद तो दुखद भी होती हैं। समस्या तब पैदा होती है, जब किसी व्यक्ति का माइंड बुरी यादों को उस बिल्डिंग से डिलीट नहीं कर पाता। जैसे ही कोई बुरी घटना घटित होती है तो पुरानी बुरी यादें एक बार फिर से सक्रिय हो जाती हैं। इससे संबंधित व्यक्ति की परेशानी में इजाफा शुरू हो जाता है। इसीलिए माइंड को अपना दोस्त बनाएं, इससे वह अच्छी यादों को सहेज लेगा और बुरी यादों को डिलीट कर देगा।