भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में मानसिक शांति गायब : प्रेम प्रकाशानंद
स्वामी प्रेम प्रकाशानंद ने कहा कि भौैतिकवाद की अंधी दौड़ में युवा वर्ग के पास आज भौतिक सुख सुविधाएं तो हैं परन्तु मानसिक शांति नहीं है। जिस कारण युवा वर्ग चिता एवं अवसाद से मुक्ति के लिए नशे की दलदल में फंसकर अपनी चारित्रिक शक्ति और नैतिक मूल्यों का ह्रास कर रहा है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : स्वामी प्रेम प्रकाशानंद ने कहा कि भौैतिकवाद की अंधी दौड़ में युवा वर्ग के पास आज भौतिक सुख सुविधाएं तो हैं, परन्तु मानसिक शांति नहीं है। जिस कारण युवा वर्ग चिता एवं अवसाद से मुक्ति के लिए नशे की दलदल में फंसकर अपनी चारित्रिक शक्ति और नैतिक मूल्यों का ह्रास कर रहा है।
स्वामी प्रेम प्रकाशानंद दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा जिला कारागार में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे। कार्यक्रम में साध्वी मीनाक्षी भारती, अनुपमा भारती भी मौजूद रहे।
स्वामी ने नशे की परिभाषा बताते हुए कहा कि 'न शम् शांतिर्मया इति नशा'। अर्थात जिसमें तनिक भी शांति नहीं, वही नशा है। अवसाद से मुक्ति का उपाय नशा नहीं अपितु इस मानसिक व्याधि को खत्म करने के लिए आत्मिक शक्ति के विकास की आवश्यकता है। हमारे राष्ट्र भक्तों ने राष्ट्र भक्ति का नशा किया और चारित्रिक विकास से ओतप्रोत हो भारत माता को स्वतंत्रता दिलाई। चरित्र भारत भूमि का आधार है। वर्तमान में अधिकतर युवा शक्ति का चारित्रिक पतन हो रहा है। आवश्यकता है कि युवाओं को ब्रह्मा ज्ञान की शक्ति से जाग्रत हो कर राष्ट्र में अग्रगण्य भूमिका निभाने की।
कार्यक्रम में जेल एसपी सोमनाथ जगत एवं जेल डीएसपी विमला देवी भी मौजूद रहे।
जेल में कैदियों की दी पांच शिक्षाएं
1. भौतिकवाद की दौड़ से मानसिक तनाव बढ़ा।
2. नशे से चिता अवसाद नहीं होगा दूर।
3. आत्मिक शक्ति से मानसिक तनाव होगा दूर।
4. नशा करने है तो देशभक्ति का करें।
5. नशे से चारित्रिक पतन होता है।