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जिला बार की राजनीति पर नौ दशकों से पुरुष वर्ग का कब्जा

जिला बार एसोसिएशन पानीपत की स्थापना वर्ष 1928 में हुई। नौ दशकों का इतिहास समेटे बार की राजनीति पर पुरुष वकीलों का ही वर्चस्व रहा है।

By Edited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 06:57 AM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 06:57 AM (IST)
जिला बार की राजनीति पर नौ दशकों से पुरुष वर्ग का कब्जा
जिला बार की राजनीति पर नौ दशकों से पुरुष वर्ग का कब्जा
पानीपत, जेएनएन। जिला बार एसोसिएशन, पानीपत की स्थापना वर्ष 1928 में हुई। नौ दशकों का इतिहास समेटे बार की राजनीति पर पुरुष वकीलों का ही वर्चस्व रहा है। पुरुषों की बराबरी की हुंकार भरने वाली नारी शक्ति प्रधान पद के लिए नामांकन तक का साहस नहीं कर सकी हैं। इतिहास के पन्नों को पलटें तो दो महिला वकीलों ने उपाध्यक्ष पद और मौजूदा सत्र में एडवोकेट मीनू कमल संयुक्त सचिव का चुनाच लड़ीं और जीतीं भी। वर्ष 1935 में प्रधान चुने गए वकील ज्वाला वाला प्रसाद ने अलग-अलग वर्षों में 8 बार प्रधान रहकर रिकॉर्ड बनाया। अतीत के झरोखे से जिला बार एसोसिएशन के एसोसिएशन के अतीत में झांकें तो 90 वर्षो के दौरान 47 वकीलों ने बार की कुर्सी संभाली। 91वें प्रधान का फैसला 5 अप्रैल को होना है। --एसोसिएशन का गठन वर्ष 1928 में हुआ और खान ताहवर अली अहमद पहले प्रधान चुने गए थे। --वर्ष 1929 में शुगन चंद रोशन एसोसिएशन के प्रधान बने थे। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1938 और 1948 में भी जिम्मेदारी संभाली। --रतनलाल जैन वर्ष 1930 और वर्ष 1943 में प्रधान बने, दो बार कुर्सी संभाली थी। वर्ष 1935 में प्रधान चुने गए वकील ज्वाला वाला प्रसाद ने अलग-अलग वर्ष में आठ बार प्रधान रहे। यह रिकॉर्ड कोई दूसरा वकील नहीं तोड़ सका है। --वर्ष 1932 में प्रधान चुने गए जयभगवान जैन और वर्ष 1934 में प्रधान बने कुंदनलाल शर्मा ने अलग-अलग वर्ष में छह-छह बार प्रधान की जिम्मेदारी संभाली थी। --इनके अलावा धर्म सिंह अग्रवाल, सतेंद्र सिंह बाबूराम गोपाल और उम्मेद सिंह अहलावत 4 बार प्रधान चुने गए। --रमेशचंद बेकस और रणधीर घनघस को भी 3 बार जिम्मेदारी मिली। --2 बार प्रधान चुने गए वकीलों में रतनलाल जैन, सुंदर दास मल्होत्रा, मिलखी राम कपूर, सूरत , एसएन सिंगला, रमेश चंद शर्मा, नकुल सिंह छोक्कर आदि के नाम शुमार हैं। वर्ष 1988 से 90 तक दो-दो वकील संयुक्त रूप से बार की कुर्सी संभाल चुके हैं। महिला वकीलों की उपस्थिति महिला वकील की बात करें तो वर्ष 1998 में एडवोकेट आशा शर्मा और वर्ष 2004 में एडवोकेट नीलम खन्ना ने उपाध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था और जीतीं भी थी। दोनों अब भी रोजाना कोर्ट आकर, प्रेक्टि्स कर रही हैं। मौजूदा सत्र में संयुक्त सचिव का प्रभार संभाले हुए एडवोकेट मीनू कमल हैं। इस बार के चुनावों में भी किसी महिला वकील को चुनावी मैदान में उतारे जाने की योजना बन रही है।

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