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Martyr Amit Ahuja: पाक की शैलिंग में शहीद हुए थे मेजर, याद में परिवार लगाता है रक्तदान शिविर

अंबाला के मेजर अमित आहूजा की यादें आज भी जिंदा हैं। उनकी शहादत को बीस साल पूरे हो गए हैं। उनकी याद में हर साल परिवार द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है जिसमें सौ से अधिक लोग रक्तदान करने के लिए आते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 07:30 AM (IST)
Martyr Amit Ahuja: पाक की शैलिंग में शहीद हुए थे मेजर, याद में परिवार लगाता है रक्तदान शिविर
पाकिस्तान द्वारा की गई शैलिंग में शहीद हुए थे अंबाला के मेजर अमित आहूजा।

अंबाला, जागरण संवाददाता। आतंकवादियों को जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान द्वारा की गई शैलिंग (गोलाबारी) में शहीद हुए अंबाला के मेजर अमित आहूजा की यादें आज भी जिंदा हैं। उनकी शहादत को बीस साल पूरे हो गए हैं। आज भी परिवार को वह दिन याद है, जब उनके सपूत ने दुश्मन देश के इरादों केा नाकाम करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी याद में हर साल परिवार द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, जिसमें सौ से अधिक लोग रक्तदान करने के लिए आते हैं। अब तक 19 रक्तदान शिविर लगाए जा चुके हैं, जिनमें करीब 2000 लोगों ने रक्तदान किया है।

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डीएवी कालेज में रक्तदान शिविर

इस बार 24 सितंबर को शहर के डीएवी कालेज में रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है। वे इसी कालेज के छात्र रहे, जबकि इंडियन मिलिट्री अकादमी से वे पासआउट हुए और बतौर लेफ्टिनेंट उन्होंने सेना को ज्वाइन किया। वे भारतीय सेना की 2 डोगरा बटालियन में मेजर के पद पर थे। श्रीनगर के गुरेज सेक्टर में 22 अअगस्त 2021 को पाकिस्तान ने हैवी शैलिंग शुरू कर दी ताकि इसकी आड़ में आतंकवादियों की जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करवाई जा सके। इसका जवाब देने के लिए अमित आहूजा को जिम्मेदारी दी और वे अपनी टुकड़ी के साथ मोर्चे पर डटे थे। इसी शैलिंग में वे बुरी तरह से जख्मी हुए, जिसके बाद वे शहीद हो गए। उनका पार्थिक शरीर अंबाला शहर लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।

परिवार हर साल लगाता है रक्तदान कैंप

शहीद की शहादत को नमन करते हुए परिवार की ओर से हर साल रक्तदान शिविर डीएवी कालेज में ही लगाया जाता है। इस दौरान काफी संख्या में युवा रक्तदान के लिए आते हैं। अब तक लगे उन्नीस कैंप में करीब 2000 से अधिक युवा रक्तदान कर चुके हैं। इस बार 24 सितंबर को कैंप लगाया जाएगा। दो दशकों के बाद भी शहीद की यादें जिंदा हैं।

अंबाला के इन वीरों ने आतंकवाद, करगिल युद्ध और सीमा पर गोलीबारी में दी शहादत

शहीद शहादत तिथि निवासी

सिपाही रामस्वरूप 29 जून 1956 लालपुर, नारायणगढ़

सिपाही करनैल सिंह 1 अप्रैल 1957 कोड़वां कलां, नारायणगढ़

सिपाही मेला सिंह 1 अप्रैल 1957 गणेशपुर, नारायणगढ़

सिपाही नैब सिंह 2 जून 1972 मुनरहेड़ी, अंंबाला छावनी

सिपाही शेर सिंह 1 फरवरी 1972 नसरौली, नारायणगढ़

नायक मनसा सिंह 5 मई 1972 बराड़ा, अंबाला छावनी

सिपाही कृपाल सिंह 19 फरवरी 1982 बब्याल, अंबाला छावनी

हवलदार अमर सिंह 4 अक्टूबर 1985 हमीरपुर, बराड़ा

लांसनायक मंजीत सिह 13 अक्टूबर 1987 बलदेव नगर, अंंबाला शहर

सिपाही शेर सिंह 13 सितंबर 1987 बिचली दमोली, नारायणगढ़

सिपाही कश्मीर सिंह 22 जुलाई 1988 गणेशपुर, नारायणगढ़

हवलदार तारा सिंह 6 जून 1989 मतिदास नगर, अंंबाला छावनी

सिपाही जागर सिंह 13 मई 1989 बकनौर, अंबाला शहर

कर्नल जेएस दुआ 25 जनवरी, 1992 सिविल लाइन, अंंबाला शहर

लेफ्टिनेंट मुकेश आनंद 27 मार्च 1994 कस्तूरबा कालोनी, छावनी

लांसनायक परमजीत 14 अगस्त 1996 कोड़वा खुर्द, नारायणगढ़

लांसनायक नरेंद्र सिंह 28 जनवरी 1998 कोड़वा कलां, नारायणगढ़

मनजीत सिंह 7 जून 1999 कांसापुर, बराड़ा

सिपाही नरेश कुमार 17 सितंबर, 1999 पतरेहड़ी, नारायणगढ़

लांसनायक सुरजीत सिंह 5 फरवरी 1999 आनंद नगर बोह, अंबाला छावनी

मेजर गुरप्रीत सिंह 19 अक्टूबर 1999 राजा पार्क, अंंबाला छावनी

हवलदार सुखविंद्र सिंह 12 सितंबर 1999 सैनिक विहार, जंडली

सिपाही पवन कुमार 31 दिसंबर 1999 गदोली, नारायणगढ़

लांसनायक सुखजीत 11 नवंबर 2000 पंजोखरा, अंबाला शहर

गनर राकेश कुमार 26 दिसंबर 2000 सुभरी, बराड़ा

मेजर अमित आहूजा 22 अगस्त 2001 सेक्टर 7, अंंबाला शहर

सबमेजर जगमाल सिंह 3 नवंबर 2001 महेशनगर, अंंबाला छावनी

एसडब्ल्यूआर वीरेंद्र सिंह 7 अप्रैल 2001 प्रभुप्रेम पुरम, अंंबाला छावनी

गनर, निर्मल सिंह 25 नवंबर 2002 शहजादपुर, नारायणगढ़

मेजर योगेश गुप्ता 12 जुलाई 2002 डिफेंस कालोनी, अंंबाला छावनी

सिपाही सुखविंद्र सिंह 25 मई 2004 प्रेम नगर-उगाला, बराड़ा

लांसनायक हरजिंद्र सिंह 8 जुलाई 2005 बब्याल, अंंबाला छावनी

हवलदार स्वर्णजीत सिंह 14 सितंबर 2008 पंजोखरा, अंबाला शहर

सूबेदार रणबीर सिंह 3 जुलाई 2008 बोह रोड, अंंबाला छावनी

कार्पोरल गुरसेवक सिंह 2 जनवरी 2016 गरनाला, अंंबाला शहर

हवलदार निर्मल सिंह 20 जनवरी 2020 जनसूई, अंबाला शहर


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