पानीपत के ऐसे गांव जहां घर-घर गंभीर बीमारी, वजह हैरान कर देने वाली
पानीपत थर्मल पावर स्टेशन की राख से कई गांव कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं। एनजीटी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है।
पानीपत, [जगमहेंद्र सरोहा]। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, पानीपत थर्मल पावर स्टेशन की फ्लाई ऐश (राख) से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण पर सख्त हो गया है। थर्मल की राख से हो प्रदूषण के कारण अब तक 40 मौतें हो चुकी हैं। हालांकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अनुसार पिछले चार सालों में जाटल गांव में कैंसर से मौतें हुई हैं।
जाटल ग्राम पंचायत की तरफ से इस संबंध में दी गई शिकायत में कहा गया है कि थर्मल की राख से खुखराना और जाटल के अलावा सुताना, ऊंटला, बिंझौल, आसन कलां व आसन खुर्द गांव के 70 फीसद लोग अस्थमा से,90 फीसद आंखों की बीमारी के,80 फीसद लोग चर्म रोग से पीडि़त हैं।
थर्मल प्रशासन से मांगा एक्शन प्लान
जाटल ग्राम पंचायत की शिकायत पर एनजीटी ने थर्मल प्रशासन से एक्शन प्लान मांगा है, तब तक राख वाली झील के पास प्राथमिक प्रबंध करने होंगे। अब अगली सुनवाई फरवरी में होगी। मंगलवार को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहायक पर्यावरण अभियंता प्रदीप कुमार ने जांच रिपोर्ट सौंपी। उन्होंने बताया कि जाटल के नजदीक स्थित झील का निरीक्षण किया। इस झील में ही थर्मल की राख डाली जाती है। निरीक्षण के दौरान करीब 332 लाख मीट्रिक टन राख पाई।
13 मई 2019 को मुख्यमंत्री को दी गई थी शिकायत
जाटल ग्राम पंचायत ने 13 मई 2019 को मुख्यमंत्री को शिकायत दी थी। हरियाणा राज्य पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड ने 10 जून को चीफ इंजीनियर को नोटिस दिया। चीफ इंजीनियर ने 25 जून को जवाब दिया था। ग्राम पंचायत ने इसके बाद एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। गांव में आठ सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया। एचएसपीसीबी थर्मल पावर स्टेशन को प्रीवेंशन और कंट्रोल पॉल्यूशन एक्ट 1981 की धारा 31-ए के तहत 25 जून को भी नोटिस दे चुका है।
खुखराना और जाटल समेत आसपास के पांच गांवों में प्रभाव
जाटल संघर्ष समिति के सदस्य नरपाल नांदल और मतलौडा ब्लॉक समिति सदस्य सुरेंद्र कालिया ने बताया कि जिस तरफ की हवा चलती है उसी तरफ राख उड़ती है। इसी के चलते थर्मल से सबसे नजदीकी गांव खुखराना को शिफ्ट किया जा रहा है। खुखराना और जाटल गांव के हर घर में एलर्जी है।
थर्मल के साथ बढ़ती गई झील
दरअसल, थर्मल की राख डालने के लिए झील बनाई गई थी। इसका पहला हिस्सा 1974 में शुरू हुआ, तब थर्मल की चार यूनिटों से बिजली उत्पादन होता था। झील 768 एकड़ में थी। 2006 में थर्मल की पांच से आठ तक नई यूनिट शुरू की गई। इसमें 436 एकड़ में झील का नया हिस्सा बनाया गया। झील 1204 एकड़ तक फैल गई। अनुमान के अनुसार यह देश की सबसे बड़ी राख की झील है।
खुखराना गांव को शिफ्ट करने में तेजी
खुखराना गांव को पानीपत-जींद रेलवे लाइन के साथ 39 एकड़ 6 कनाल जमीन में शिफ्ट किया जाना है। करीब 400 प्लॉट ग्रामीणों को दिए जाएंगे। ग्राम पंचायत सरपंच रेखा के पति संदीप नंबरदार ने बताया कि नए गांव में ग्राम पंचायत की ग्रांट से आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कार्य चल रहा है। रेलवे लाइन के हिस्से की दीवार का काम पूरा कर दिया है। अगले महीने में सामान्य चौपाल बनाने के साथ प्लॉटों की निशानदेही का काम पूरा करा दिया जाएगा।
थर्मल की राख से गांव में कैंसर और सांस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मार्च से जुलाई तक बाहर निकलकर सांस तक नहीं ले सकते। एनजीटी में शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की थी। फरवरी में सुनवाई तय की है। वे थर्मल की झील में राख नहीं आने देंगे।
-महावीर सिंह, सरपंच, ग्राम पंचायत जाटल।
झील से राख उठाने का एक्शन प्लान बना लिया है। इसी के आधार पर कई सीमेंट फैक्ट्रियों को राख उठाने की मंजूरी दी गई है। अब हर वर्ष 15-20 लाख मीट्रिक टन राख उठाई जाएगी। पहले यह हर साल 10 लाख मीट्रिक टन उठाई जा सकती थी।
-एसएल सचदेवा, चीफ इंजीनियर, पानीपत थर्मल पावर स्टेशन, पानीपत