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वसंत पंचमी के मौके पर बेजुबान परिंदों पर चाइनीज डोर का टूटा कहर, सौ से ज्यादा घायल Panipat News

करनाल में वसंत पंचमी के मौके पर पतंगबाजी में चाइनीज डोर की वजह से कई पक्षी घायल हो गए। इनमें से कई को लकवा मार गया तो कुछ घायल हुए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 11:07 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 05:21 PM (IST)
वसंत पंचमी के मौके पर बेजुबान परिंदों पर चाइनीज डोर का टूटा कहर, सौ से ज्यादा घायल Panipat News
वसंत पंचमी के मौके पर बेजुबान परिंदों पर चाइनीज डोर का टूटा कहर, सौ से ज्यादा घायल Panipat News

पानीपत/करनाल, जेएनएन। वसंत पंचमी के त्योहार को लेकर शहर में खासा जोश रहा और युवाओं ने खूब पतंगबाजी की। उपायुक्त के आदेशों को ताक पर रखकर चाइनीज डोर का धड़ल्ले से प्रयोग किया गया और पूरे दिन परिंदों इसकी चपेट में आते रहे। खुले आसमान में उड़ रहे बेजुबान परिंदों इस पर्व से अंजान थे और लहराती चाइनीज डोर की चपेट में आने से वे या तो घायल हो गए या उन्हें लकवा मार गया। समाजसेवी संस्थाओं के लोगों ने घायल पङ्क्षरदों को को सेक्टर-6 स्थित जीवो मंगलम में भर्ती करवाया। पर्व के उत्साह के शिकार बने 162 पक्षियों का गुरुवार को इलाज किया गया। कुछ पक्षी दोबारा आसमान में उडऩे लगे जबकि दो पक्षी लकवे के शिकार हो गए।

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जीवन भर के लिए बना दिया अपंग

अपनी खुशियों के लिए हम जाने अनजाने में ही यह भयंकर गलती साल दर साल दोहराते जा रहे हैं। खासकर बसंत पंचमी का दिन तो इनके लिए आफत लेकर आता है। पतंगों की चाइनीज डोर से घायल ये निरीह और बेजुबान पक्षियों की जान पर बन आती है। शहर के समाजसेवी भी इस दिन को भलीभांति जानते हैं और पहले से ही अलग-अलग हिस्से में बेजुबानों की मदद के लिए तैनात रहते हैं। मंगलपुर निवासी हरीश कुमार ने बताया कि इस दिन चार-पांच लोगों का समूह घायल पङ्क्षरदों की तलाश में रहता है और डोर में फंसकर कुछ तो दम तोड़ चुके होते हैं जबकि घायलों को जीवो मंगलम भर्ती करवाया जाता है। चाइनीज डोर की चपेट में आकर पक्षी जीवन भर के लिए अपंग हो जाते हैं।

वर्ष-2000 से संस्थान में पक्षियों का इलाज

5 अगस्त 2000 को घायल एवं बीमार पक्षियों के उपचार एवं आश्रय के लिए जीवो मंगलमÓ संस्था की स्थापना की गई। चौधरी देवीलाल चौक से मेरठ रोड पर सेक्टर-6 स्थित आवास-145 में संस्थान स्थित है। 10 मार्च 2000 को एक पक्षी से प्रारंभ होकर अति शीघ्र 500 पक्षियों तक पहुंच गया। 19 साल में लगभग 4800 जीवों का इलाज संस्था कर चुकी है। आज के समय में संस्था में लगभग 1800 जीव मौजूद हैं, जिनका इलाज डा. एसएस चौधरी करते हैं। यहां घायल पक्षियों के ऑपरेशन भी किए जाते हैं। घायल एवं बीमार पक्षियों की चिकित्सा के पश्चात स्वस्थ होने पर उड़ान भरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

परिंदों की सुरक्षा को लेकर युवा हों गंभीर : साध्वी संतोष

जीवो मंगलम की साध्वी संतोष कुमारी और अर्चिता ने युवाओं से बेजुबान पक्षियों को बचाने के लिए पतंगबाजी कम करने और खतरनाक डोर का इस्तेमाल न करने की अपील की। बसंत पंचमी पर्व पर घायल पक्षियों के इलाज के लिए लोग संस्थान में पहुंचते हैं। स्वयंसेवकों को शहर के क्षेत्रों में भेज दिया जाता है, ताकि पक्षियों को जल्द इलाज मिल सके। पक्षियों की प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त हो रही हैं जिसके कारण पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। बसंत पंचमी के दिन चाइनीज डोर में फंसकर पक्षी बुरी तरह घायल हो जाते हैं, जबकि कुछ की मौत हो जाती है।


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