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महामारी से आजादी: जब चारों ओर थी आक्सीजन की किल्लत, डा. दहिया ने संभाली व्यवस्था

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच यमुनानगर में आक्‍सीजन की किल्‍लत थी। तब यमुनानगर में बतौर सिविल सर्जन मोर्चा संभाला। इस भंयकर महामारी के प्रकोप के बावजूद स्‍टाफ के साथ सिविल सर्जन मरीजों के सेवा में डटे रहे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 02:55 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 02:55 PM (IST)
महामारी से आजादी: जब चारों ओर थी आक्सीजन की किल्लत, डा. दहिया ने संभाली व्यवस्था
यमुनानगर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के सिविल सर्जन डा. विजय दहिया।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी से जंग में चिकित्सकों, सहयोगी स्टाफ के साथ-साथ चिकित्साधिकारियों ने भी मोर्चा संभाले रखा।सिविल सर्जन डा. विजय दहिया इन्हीं में से एक हैं। इनके कुशल नेतृत्व की वजह से कोरोना से स्थिति संभली रही। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जब हर ओर आक्सीजन व बेड को लेकर मारामारी मची थी। इस स्थिति में जिले में आक्सीजन व बेड की किल्लत नहीं होने दी। आक्सीजन का एक प्लांट चालू कराया। जिससे जिले को आपूर्ति मिली। जरूरत पड़ने पर दूसरी जगहों पर भी आपूर्ति दी गई।

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कोरोना महामारी से बचाव में सिविल सर्जन डा. विजय दहिया का कुशल नेतृत्व काम आया।

जिला प्रशासन के सााथ मिलकर कोरोना पर काबू पाने के लिए अच्छे इंतजाम किए। समाजसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया। यही वजह रही कि जिले में कोरोना मरीजों के लिए बेड व आक्सीजन की किल्लत नहीं होने दी। सिविल सर्जन डा. विजय दहिया ने बताया कि वर्ष 2020 में कोरोना महामारी फैली। उससे पहले ही बचाव के लिए ईएसआइ कोविड अस्पताल बना दिया गया था।

पहले वर्ष में मरीजों को कोविड अस्पताल से ही कवर किया गया। सितंबर माह में मरीज बढ़े, तो तेजली खेल परिसर, कालेजों में बेडों का इंतजाम कराया गया। कई जगहों पर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए थे। कोरोना संक्रमण काबू में आ गया था। फरवरी माह तक केस कम होने लगे थे। इसके बाद मार्च माह में फिर से दूसरी लहर आई। इसमें भी व्यवस्था बनाए रखी, क्योंकि कोविड अस्पताल को बंद नहीं किया गया था। मरीज कम हो गए थे, लेकिन कोविड अस्पताल चालू रहा। मार्च में जैसे ही दूसरी लहर आई, तो मरीजों के लिए व्यवस्था थी।

आक्सीजन प्लांट कराया चालू 

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक डिमांड आक्सीजन की हुई। यहां पहले से एक प्लांट से सप्लाई आ रही थी। जब मांग बढ़ी, तो औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़े आक्सीजन प्लांट को चलाया गया। उस प्लांट को मेडिकल आक्सीजन के लिए कनवर्ट कराया। डा. दहिया के प्रयासों से ही यह संभव हुआ। जिस तरह से यहां प्लांट चलाया। उसका अनुसरण दूसरे जिलों ने भी किया। मुख्यालय स्तर पर इसकी सराहना हुई।

दूसरे राज्यों के मरीज भी हुए दाखिल

कोरोना की दूसरी लहर में जहां हर जिले व राज्य में बेड व आक्सीजन की किल्लत हो रही थी। ऐसे में यमुनानगर जिले के अस्पतालों में हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के मरीज भी भर्ती कराए गए। आइएमए के पदाधिकारियों से बैठक कर निजी अस्पतालों में बेड बढ़वाए। किसी भी मरीज के लिए दवाई व आक्सीजन की किल्लत नहीं होने दी।


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