महामारी से आजादी दिलाने वाले नायक, रक्तदान शिविर लगाया, कोरोना पीडि़तों की इस तरह की मदद
पानीपत के नरेंद्र गुप्ता से मिलिए। इन्होंने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए जरूरतमंदों के लिए आक्सीमीटर आक्सीजन कंस्ट्रेक्टर से लेकर दवाइयां उपलब्ध कराईं। अस्पताल में रक्त की कमी नहीं होने दीं। लगातार कैंप लगाए।
पानीपत, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में कई ऐसे चेहरे सामने आए हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी महामारी से आजादी का बिगुल बजाए रखा। पानीपत में उद्योगपति, विशेषकर निर्यातकों ने कोरोना काल में जरूरतमंदों के लिए आक्सी मीटर, आक्सीजन कंस्ट्रेक्टर से लेकर दवाइयां तक उपलब्ध करवाई। रोगियों को लाने ले जाने के लिए की व्यवस्था की। आक्सीजन सिलेंडर कई संस्थाओं ने उपलब्ध करवाए।
कोरोना काल की इन कठिन परिस्थितियों में नरेंद्र गुप्ता व उनके साथियों ने ऐसा काम किया जो सबके लिए उदाहरण बन गया। कोरोना काल में अस्पतालों में रक्त की कमी होने लगी। रेडक्रास ब्लड बैंक में भी रक्त की कमी हो गई। कोरोना के दौरान अन्य अस्पतालों के ब्लड बैंक भी खाली हो गए। थैलीसीमिया से पीड़ित मरीज, प्रसवा के दौरान महिलाओं और हादसों में घायल लोगों के इलाज में खून की कमी होने लगी थी। ऐसे में नरेंद्र गुप्ता अपने साथियों के साथ आगे आए। उन्होंने कोरोना काल में कैंप लगवाए। रेडग्क्रास सोसाइटी में ही कैंप लगाए गए। इन कैंप के माध्यम से 760 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया।
नरेंद्र गुप्ता।
कोरोना काल में छह बार रक्तदान किया
सेक्टर 13-17 हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहने वाले नरेंद्र गुप्ता ने कोरोना काल में छह बार स्वयं रक्त दिया। वे अब तक 33 बार रक्त दे चुके हैं। उनके टीम के साथी पवन लाकड़ा 58 बार रक्त दे चुके हैं। कोरोना काल में उन्होंने 6 बार रक्त दान किया। रक्तदान शिविर लगाने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। रेडक्रास सोसाइटी के ब्लड बैंक में रक्त की कमी होने के कारण उन्हें रक्तदान शिविर लगाने की अनुमति मिल गई।
घरों से लेकर आए रक्तदान करने वालों को
नरेंद्र गुप्ता ने बताया कि रेडक्रास सोसाइटी में ही कैंप लगाने की अनुमति मिली। रक्त दान करने वालों को उनके घर से ही लेकर आने व वापस छोड़ कर आने की व्यवस्था की। रेडक्रास की अनुमति के बाद भी लोगों को शिविर तक लाने की चुनौती थी।
रेडक्रास सोसाइटी के आजीवन सदस्य
नरेंद्र गुप्ता रेडक्रास सोसाइटी के आजीवन सदस्य है। जब भी किसी को खून की जरूरत होती है तो उनके पास फोन आते हैं। गुप्ता की टीम खून उपलब्ध करवाती है। गुप्ता 33 बार रक्त दान कर चुके हैं। वे एक निजी कंपनी में सेल्स का कार्य देखते हैं।