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बर्फीले तूफान ने रोका रास्ता, -30 डिग्री में नहीं खोया हौसला, बेटी ने फहरा दिया तिरंगा

अमेरिका के अर्जेंटीना की चोटी माउंट बोनट पर करनाल की महक ने तिरंगा फहराया। 17 वर्षीय इस बेटी ने तबियत खराब होने के बावजूद -30 डिग्री सेल्सियस तापमान में चढ़ाई जारी रखी।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 12:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 10:43 AM (IST)
बर्फीले तूफान ने रोका रास्ता, -30 डिग्री में नहीं खोया हौसला, बेटी ने फहरा दिया तिरंगा
बर्फीले तूफान ने रोका रास्ता, -30 डिग्री में नहीं खोया हौसला, बेटी ने फहरा दिया तिरंगा

पानीपत/करनाल, जेएनएन।  हौसलों में उड़ान हो तो पंख की जरूरत नहीं होती। 17 साल की उम्र में -30 डिग्री तापमान में साउथ अमेरिका के अर्जेंटीना की चोटी माउंट बोनेट पर तिरंगा फहराने पर क्या महसूस होता है ये करनाल की बेटी महक ज्योत जानती है। माउंट बोनेट तक पहुंचकर महक ने ये साबित कर के दिखाया कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं होतीं। जानिये महक की सफलता की कहानी।

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कर्णनगरी से निकली पर्वतारोही महक ज्योत ने साउथ अमेरिका के अर्जेंटीना की चोटी माउंट बोनेट पर देश के गौरव का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बच्ची बनने का गौरव हासिल किया। इसके साथ इस पर्वत चोटी पर पहुंचने वाली वह विश्व की पहली सिख लड़की बन गई है और गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर उसने माउंट बोनेट शिखर पर निशान साहिब फहराकर गुरु जी के शहादत से भरे जीवन को श्रद्धा अर्पित की।

 पांच जनवरी को रवाना हुई थी महक
महक ज्योत के पिता और सामाजिक संस्था निफा के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नु ने बताया कि महक ज्योत पांच जनवरी को अर्जेंटीना की सबसे ऊंची चोटी अकोंकागुआ को फतह करने के लिए रवाना हुई थी। नाबालिग होने के कारण जरूरी अथॉरिटी लेटर न होने के कारण उसकी यात्रा एक दिन के लिए स्थगित हो गई और उसे बिना आराम किए 37 घंटे की यात्रा के बाद सीधे चढ़ाई शुरू करनी पड़ी। 

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बर्फीले तूफान ने रोका रास्ता
एक हफ्ते की चढ़ाई के बाद महक प्लाजा द मूला कैंप पहुंची। यहां से आगे का सफर शुरू करने के बाद खराब मौसम और बर्फीले तूफान ने उनका रास्ता रोक लिया ओर यहां तक कि उनके कैंप के टेंट भी आधे से ज्यादा बर्फ में दब गए और इसे हटाने में माइनस 30 से 40 डिग्री तापमान में बर्फीली हवाओं का सामना करना पड़ा, जिससे महक की तबीयत खराब हो गई।

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डॉक्टर और गाइड ने रोका, पिता ने बढ़ाया उत्साह
मात्र 17 वर्ष की आयु की महक ज्योत को उसके गाइड और डॉक्टरों ने ऊपर न जाने की सलाह दी। इस बारे उसके पिता प्रीतपाल को भी चेताया। विश्व के सेविन समिट में शामिल माउंट अकोंकागुआ को माउंटेन ऑफ डेथ के नाम से जाना जाता है। यहां मौसम एकदम बदल जाता है। चेतावनी के बावजूद सबसे कम उम्र में अकोंकागुआ पहुंचने की जिद, हौसले और पिता की प्रेरणा से वह 5100 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा फहरा सकी।

अंटार्कटिका की चोटी पर फहरा चुकी परचम
हाल ही में अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विंसन पर तिरंगा फहराने वाली महक की गाइड अनिता कुंडू ने भी उसे हौसले और धैर्य से आगे बढऩे की सलाह दी। बुखार, खराब मौसम, बर्फीली हवाओं की तकलीफ को झेलते हुए महक ज्योत ने माउंट बोनेट पर तिरंगा और निशान साहिब फहराकर महक ने साबित कर दिया कि भारत की लड़कियां अपने हौंसले से हर मंजिल फतह कर सकती है। 

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मां मनजीत को बेटी पर गर्व
महक की माता मनजीत कौर पन्नु का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है ओर आज के समाज में जहां कुछ लोग बेटियों को बेटों से कम समझते हैं, वहां उनकी बेटी ने एक सामान्य परिवार से निकल कर कम साधनों के बावजूद जो उपलब्धि हासिल की है वो वास्तव में उत्साहित करने वाली है। महक को अपनी गाइड अनिता कुंडू से मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है।


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