किस्मत ने खींच दी हाथ में लकीर है, वो क्या करेगा जो लकीर का फकीर है
अंकन साहित्यिक मंच की ओर से ऑनलाइ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता का कवि बृजेंद्र हर्ष ने की। मुख्य अतिथि के रूप में गीतकार डॉ. जयसिंह आर्य और विशिष्ट अतिथि राजकुमार निजात रहे।
जागरण संवाददाता, पानीपत : अंकन साहित्यिक मंच की ओर से ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता का कवि बृजेंद्र हर्ष ने की। मुख्य अतिथि के रूप में गीतकार डा. जयसिंह आर्य और विशिष्ट अतिथि राजकुमार निजात रहे। अध्यक्ष बृजेंद्र हर्ष ने कहा, हर हाथ में किस्मत ने खींच दी लकीर है, वो क्या करेगा जो लकीर का फकीर है। राजकुमार निजात ने कहा, जब प्रभात मेरे घर आयी मैं समझा कि तुम आये हो, बदरी ने बूंदें छलकायी मैं समझा कि तुम आये हो। हरगोबिद झांब ने कहा, किया नहीं जाता कभी प्यार, ये तो स्वत: हो जाता है, इसका रिश्ता रूह से होता है, रूह में आन समाता है। केसर कमल ने कहा, प्यार का एक दीपक जलाकर तो देखो, अंधेरा धरा का मिटाकर तो देखो।
डॉ. सविता चड्ढा ने कहा, मां को समर्पित बहुत ही उत्प्रेरक कविता व भारतभूषण वर्मा ने बेहतरीन मनहरण घनाक्षरी सुनाई। इनके अतिरिक्त संजय जैन, श्रीकृष्ण निर्मल, कृष्णगोपाल सोलंकी, मोनिका शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, आरजे योगी, सूरजपाल सिंह, प्रीतमसिंह, नरेश कुमार, अनुपिन्द्रसिंह, आराधना सिंह, नरेश, संतोष त्रिपाठी और रचना सिंह ने भी शानदार काव्यपाठ किया।