दवाइयों का 648 रुपये ज्यादा भुगतान करने की खता, लोकायुक्त ने भेजा पूर्व जिला आयुर्वेदिक अधिकारी सहित 3 को नोटिस
फल्गु तीर्थ पर वर्ष 2018 पर लगे राष्ट्र स्तरीय मेले में आयुष विभाग की ओर से लगाया गया था शिविर। आरटीआइ से हुआ था खुलासा 106 रुपये मूल्य की एम-टू टोन सिरप 136 रुपये में खरीद कर फर्म को की थी पेमेंट। एक दिसंबर को लोकायुक्त में होगी अगली सुनवाई।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। फरल गांव के फल्गु तीर्थ पर वर्ष 2018 में लगे राष्ट्र स्तरीय मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए जिला आयुष विभाग कैथल ने शिविर लगाया था। इसके लिए खरीदी गई दवाइयों के बिल का ज्यादा भुगतान करने पर लोकायुक्त के नोटिस के बाद आयुष विभाग ने तत्कालीन जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा.पूनम वालिया और दाे क्लर्कों को चार्जशीट कर उनसे जवाब मांगा है। विभाग की ओर से डा.पूनम वालिया के पटियाला स्थित घर के पते पर पत्र भेजकर 15 दिन में जवाब देने को कहा गया है।
दरअसल आरटीआइ कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर ने इस बारे में जानकारी मांगी थी। इसके अंतर्गत बिलों में 106 रुपये मूल्य की एम-टू टोन सिरप 136 रुपये में खरीद कर फर्म को पेमेंट की गई थी। इसकी जांच तत्कालीन डीसी डा. प्रियंका सोनी ने की तो 648 रुपये ज्यादा का भुगतान किया गया पाया था। शिकायतकर्ता का कहना है कि इसके बाद तत्कालीन जिला आयुर्वेद अधिकारी ने अपने आप को बचाने के लिए संबंधित फर्म से दोबारा बिल बना कर वसूली गई अधिक राशि पुन: सरकारी खजाने में जमा करवा दी थी।
डीसी ने इस सभी पहलुओं की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में आयुष विभाग के महानिदेशक को संस्तुति की थी कि इस मामले में जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा.पूनम वालिया और संबंधित क्लर्क का दोष बनता है। इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके एक साल तक आयुष विभाग ने अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और महज चेतावनी देकर छोड़ दिया था।
लोकायुक्त की शरण में पहुंचा शिकायतकर्ता
जयपाल रसूलपुर ने बताया कि आयुष निदेशालय ने एक साल तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उसने इसकी शिकायत लोकायुक्त हरियाणा को की। लोकायुक्त का नोटिस आने के बाद अब आयुष महानिदेशक ने रिटायर्ड जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा.पूनम वालिया व उनके कार्यालय के दो अन्य कर्मचारियों को भी अपने कर्तव्यों में कोताही व लापरवाही बरतने के आरोप में चार्जशीट किया गया है।
संतुष्ट नहीं आरटीआइ कार्यकर्ता
आरटीआइ कार्यकर्ता जयपाल ने कहा कि फल्गु मेले के दौरान जो दवाई खरीदी गई थी, उनके मूल्य चैक करने के लिए जिले के छह डाक्टरों की परचेजिंग कमेटी बनाई गई थी। उन्होंने दवाइयों के बाजार से मूल्य चैक किए बिना ही संबंधित फर्म को इस टेंडर की स्वीकृति प्रदान कर दी थी। जिसमें परचेजिंग कमेटी के सभी डाक्टरों का भी दोष बनता है और उनके खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए थी, जो नहीं की गई। इस बात से वह संतुष्ट नहीं हैं। लोकायुक्त में लगे केस की अगली सुनवाई एक दिसंबर 2020 को होगी। इसमें दोषी अधिकारी और परचेजिंग के जिम्मेदार डाक्टरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने की कार्यवाही की जाएगी।
तत्कालीन जिला आयुर्वेद अधिकारी डा. पूनम वालिया, तत्कालीन क्लर्क मनोज कुमार और मौजूदा क्लर्क राजेंद्र कुमार को चार्जशीट किया गया है। दोनों क्लर्कों ने अपना जवाब दे दिया है, लेकिन डा.वालिया ने शायद अभी तक जवाब नहीं दिया है। फल्गु मेले के दौरान दवाई के बिलों का भुगतान करीब साढ़े छह सौ रुपये ज्यादा किए जाने का मामला है।
- डा.सतपाल, जिला आयुर्वेद अधिकारी कैथल।
यह मामला अभी लोकायुक्त के पास विचाराधीन है। इसलिए अभी कुछ भी कहना सही नहीं होगा। शुरुआती तौर पर तत्कालीन जिला आयुर्वेद अधिकारी से आरोपों पर जवाब जरूर मांगा गया है।
- डा.सतपाल ब्राह्मणी निदेशक आयुष विभाग।