Move to Jagran APP

लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला ने कहा, वेदों से हमें आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैचारिक दृष्टिकोण मिलता है

लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला वीरवार को पानीपत पहुंचे। लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला ने पानीपत में श्री कृष्ण वेद विद्यालय और श्री बांके बिहारी ज्ञानेश्वर मंदिर का लोकार्पण किया। उन्‍होंने कहा कि वेदों से आध्‍यात्मिक सांस्‍कृतिक और वैचारिक दृष्टिकोण मिला है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 03:52 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 03:52 PM (IST)
लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला ने कहा, वेदों से हमें आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैचारिक दृष्टिकोण मिलता है
वीरवार को पानीपत आए थे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला।

पानीपत, जागरण संवाददाता। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वेदों को संक्षिप्त में भी ग्रहण कर लें तो जीवन को बदल सकते हैं। वेदों से ही हमें आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं वैचारिक दृष्टिकोण मिलता है। ओम बिरला यहां पानीपत स्थित अंसल में श्री कृष्ण वेद विद्यालय भवन और श्री बांके बिहारी ज्ञानेश्वर मंदिर के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वेद किसी के लिखे हुए नहीं हैं। सृष्टि के आरंभ से ही हमारे ऋषियों को प्राप्त हुए हैं। हमारे वेद, ज्ञान और विज्ञान के अक्षय भंडार हैं। ये पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते हैं। यह बात सही है कि चारों वेदों का अध्ययन करना इस वर्तमान दौर में कठिन है।

loksabha election banner

गोविंद देव गिरी महाराज, योग ऋषि रामदेव, ज्ञानानंद महाराज जैसे संतों ने वेद शिक्षा को आज की नौजवान पीढ़ी तक पहुंचाने का जो बीड़ा उठाया है, वो सफल होगा। सृष्टि की रचना और मनुष्य की उत्पत्ति के बारे में ऋग्वेद से पता चलता है। सामवेद में पूरा संगीत विज्ञान है। इसमें बताया गया है कि संगीत एवं ध्वनि हमारे शरीर पर किस प्रकार से कितना प्रभाव डालती है। यजुर्वेद में इस बात का वर्णन है कि साम्र्थयवान कैसे बनें। अथर्ववेद, का ज्ञान तो पूरे विश्व में योग गुरु स्वामी रामदेव फैला ही रहे हैं। लोग मानने लगे हैं कि हमारे शरीर को अगर स्वस्थ रखना है, रोग से मुक्त रखना है तो योग एवं आयुर्वेद को अपनाना होगा। अथर्ववेद इसी का वर्णन करता है।

ओम बिरला ने कहा, लंबे समय तक भारत विदेशी आक्रांताओं का गुलाम रहा। हमारी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास हुआ। हमारे ऋषि-मुनियों ने संस्कृति को बचाए रखा। वह चाहते हैं कि आने वाले समय में देश के हर जिले में वेद विद्यालय बनें। स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों को जन-जन तक पहुंचाया। अब वेदों को जन आंदोलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, एक समय था जब भौतिक युग था। भौतिक सुख की तरफ दुनिया चल पड़ थी। आज दुनिया आध्यात्मिक सुख की ओर चल रही है। यह आध्यात्मिक सुख केवल और केवल भारत में मिल सकता है।

जीने की कला सिखाती है गीता : बंडारू दत्तत्रेय

हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, गीता व वेद मानव के लिए प्रेरणादायक हैं। गीता मनुष्य को जीने की कला सिखाती है। मनुष्य को दुख-सुख, हानि-लाभ, हार-जीत में संतुलित रहकर धर्म की राह पर चलने का संदेश देती है। संपूर्ण ग्रंथों का यही सार निकलता है कि मनुष्य को अपना कर्तव्य सही ढंग से निभाना चाहिए। भारत की भूमि आध्यात्मिक रत्नों की खान है।

अयोध्या में राष्ट्र की अस्मिता की नींव रखी गई

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा, मैं क्या दे सकता हूं, ऐसी सोच के साथ संत का संकल्प बाहर निकलता है तो पानीपत जैसे वेद विद्यालय की स्थापना होती है। उन्होंने कहा कि संकल्प था, तभी तो जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटी। श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो सका। नींव इतनी मजबूत है कि वो श्रीराम मंदिर की नहीं, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता की नींव बन गई है।

वेद विद्यालय के बारे में जानिये

पानीपत में देश का 32वां वेद विद्यालय बना है। वैसे तो वेद विद्यालय का शुभारंभ वर्ष 2015 में विजयदशमी के दिन हुआ था। तब जीटी रोड पर जगन्नाथ मंदिर में अस्थायी जगह मुहैया कराई गई थी। उस समय 12 बच्चे पढ़ते थे। 18 नवंबर, 2016 को अंसल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर एवं वेद विद्यालय की नींव रखी। तीन साल पहले बच्चे यहां शिफ्ट किए गए। निर्माण चल ही रहा था, जो अब संपन्न हुआ है। यहां यजुर्वेद की शिक्षा दी जाती है। अब 35 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। संत ज्ञानेश्वर गीता प्रचार समिति इसका संचालन करती है। वेद विद्यालय श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी महाराज के सान्धिय में चल रहा है। यह हरियाणा-पंजाब का इकलौता वेद विद्यालय है। 1200 गज में मंदिर और वेद विद्यालय, दोनों हैं। बेसमेंट में सामान्य बच्चों को गीता का पाठ पढ़ाया जाता है। ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर है। पहली मंजिल पर वेद विद्यालय है। ब्राह्मण बच्चों को ही शिक्षा दी जाती है, जो आठ वर्ष का कोर्स पूरा करके कर्मकांडी ब्राह्मण बनते हैं। इन्हें देश-विदेश के मंदिरों में भेजा जाता है। कोरोना की वजह से दो साल से नए दाखिले नहीं हो रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.