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शहर के शौचालयों पर तीन माह से ताला, ओडीएफ को पलीता

शहर में सभी सार्वजनिक शौचालयों पर तीन माह से ताले लटके हैं।नगर निगम इनकी सफाई-देखरेख का ठेका नहीं छोड़ सका है। आपसी खींचतान में लगे मेयर पूर्व मेयर और पार्षदों को भी बंद पड़े शौचालयों की सुध नहीं है।नतीजा झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवार आवासहीन बाजारों में आने वाले हजारों ग्राहक-दुकानदार खुले में शौच-पेशाब कर शहर को गंदा करने का काम कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 06:55 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:55 AM (IST)
शहर के शौचालयों पर तीन माह से ताला, ओडीएफ को पलीता
शहर के शौचालयों पर तीन माह से ताला, ओडीएफ को पलीता

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-45 शौचालय हैं शहर में

-11 मोबाइल टायलेट हैं जागरण संवाददाता, पानीपत : शहर में लगभग सभी सार्वजनिक शौचालयों पर तीन महीने से ताले लटके हैं। नगर निगम इनकी सफाई व देखरेख करने का ठेका नहीं छोड़ सका है। आपसी खींचतान में मेयर, पूर्व मेयर और पार्षदों को भी बंद पड़े शौचालयों की सुध नहीं है। नतीजा झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवार, आवासहीन, बाजारों में आने वाले हजारों ग्राहक और दुकानदार खुले में शौच कर शहर में गंदगी फैला रहे हैं।

नगर निगम के शहर में 45 शौचालय हैं। मोबाइल टॉयलेट 11 हैं। सितंबर-2019 तक सभी शौचालयों की देखरेख और सफाई का ठेका सुलभ इंटरनेशनल के पास था। उसे हर माह करीब साढ़े सात लाख रुपये का भुगतान किया जाता था। अक्टूबर में ट्रायल बेस पर पांच लाख रुपये प्रतिमाह बॉबी नाम के व्यक्ति को ठेका दिया गया। भुगतान नहीं होने पर उसने भी एक माह में ही काम छोड़ दिया। इसके बाद नगर निगम शौचालयों की साफ-सफाई कर ठेका नहीं छोड़ सका है। अधिकांश मोबाइल टॉयलेट भी खराब हो चुके हैं।

शौचालयों पर सफाईकर्मी तो हैं, लेकिन झाडू-पोछा और हार्पिक-साबुन नहीं मिल रहा है। अधिकतर को तीन माह से मानदेय भी नहीं मिला है। देखरेख के अभाव में अनेक शौचालयों की सीट टूट गई है। टोंटी चोरी हो चुकी है। सबमर्सिबल खराब और सीवर जाम है। तनख्वाह सामान नहीं मिला

सेक्टर 29, औद्योगिक एरिया में फ्लौरा चौक के पास आठ सीट वाला शौचालय बना हुआ है। आसपास झुग्गी बस्ती, मजदूरों के आवास, बाजार भी है। सार्वजनिक शौचालय पर दो माह से पूरी तरह ताला लगा दिया है। शौचालय से सटे कमरे में स्वीपर पवन अपनी पत्नी कुसुम के साथ रहता है। उसने बताया कि तीन माह से तनख्वाह और सफाई का सामान नहीं मिला है। गंदगी न रहे, इसलिए ताला लगा है। जायरीन होते दिखे परेशान :

बबैल नाका पर 18 शीट वाला शौचालय बना हुआ है। आसपास झुग्गी बस्ती, ऑटो स्टैंड भी है। अजमेर शरीफ सहित अन्य दरगाहों पर मत्था टेकने निकले उप्र., बिहार, झारखंड व राजस्थान आदि के जायरीनों की 100 से अधिक बसें खड़ी हुई हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बेटियां भी हैं। शौचालय पर ताला लगा होने पर खुले में शौच को मजबूर हैं लोग। महिला जायरीनों को दूर एक दरगाह में जाना पड़ रहा है। लालबत्ती चौक का शौचालय भी बंद

फ्लाईओवर के नीचे लालबत्ती चौक के पास बना सार्वजनिक शौचालय पर भी ताला लगा है। वहां आराम फरमा रहे एक युवक ने बताया कि जीटी रोड पर होने के कारण रोजाना सैंकड़ों शौचालय का यूज करने के लिए आते हैं, ताला लटका देख लौट जाते हैं। सबसे अधिक महिलाओं को दिक्कत होती है। नगर निगम के अधिकारियों, जिला प्रशासन तक शिकायत पहुंची, लेकिन समाधान नहीं हुआ। सर्टिफिकेट हो सकता है रद

नगर निगम को वर्ष-2018 में ओडीएफ (ओपन डिफेकेशन फ्री) प्लस-प्लस का सर्टिफिकेट मिला था। शहर की स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में काफी सहयोग मिला था। 253 से सीधा 188 वें रैंक पर पहुंच गया। शौचालयों की बदहाली यूं ही जारी रही तो सर्टिफिकेट रद किया जा सकता है। कोट :

लाखों जायरीन अजमेर शरीफ सहित अन्य दरगाहों में मत्था टेकने के लिए निकले हैं। बू-अली कलंदर शाह की दरगाह पर पानीपत भी पहुंचते हैं। बबैल नाका के पास ठहरते हैं। यहां शौचालय बंद है, संबंधित अधिकारी समझ सकते हैं कि कितनी दिक्कत हुई होगी।

ओमप्रकाश, गाजीपुर उप्र. कोट :

शौचालय बंद रहने से सबसे अधिक दिक्कत महिलाओं और बच्चियों को हो रही है। खुले में भी इतनी गंदगी है कि घर बीमारी लेकर ही लौटेंगे। दूर खेतों में या दरगाह में जाना पड़ रहा है। देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है, पानीपत सोया हुआ है।

नूरजहां, गाजीपुर, उप्र. कोट :

नगर निगम शौचालयों की साफ-सफाई-देखरेख का ठेका छोड़ने के प्रति गंभीर नहीं है। बंद पड़े शौचालयों पर काम कर रहे सफाईकर्मियों को तीन माह से तनख्वाह नहीं मिली है। सफाई करने के लिए सामान भी नहीं है। रविवार को मेयर अवनीत कौर को बुलाया था ताकि समस्या रख सकें, वे भी नहीं पहुंची।

राजू, स्वीपर-बबैल नाका वर्जन :

सुलभ इंटरनेशनल को दोबारा ठेका देने की बात चली है। मेयर के नेतृत्व में पांच पार्षदों की कमेटी बनाई गई है। इसी सप्ताह बातचीत होनी है। एक और एनजीओ भी ठेका लेना चाहती है। जिसके रेट कम होंगे, उसे बहुत जल्द ठेका दे दिया जाएगा।

नवीन सहरावत, एक्सईएन-नगर निगम


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