डिजिटल ग्लूकोमीटर-थर्मामीटर-नेब्यूलाइजर बिक्री के लिए लाइसेंस जरूरी
डिजिटल ग्लूकोमीटर थर्मामीटर नेब्यूलाइजर और ब्लड प्रेशर जांच मशीन जैसी मेडिकल डिवाइस अब दवा श्रेणी में आ गई है। इन उपकरणों को बनाने वाली कंपनियों बिक्री करने वाले थोक-खुदरा विक्रेताओं को ड्रग विभाग से लाइसेंस लेना होगा। एक अप्रैल से गाइडलाइन का पालन अनिवार्य होगा।
जागरण संवाददाता, पानीपत : डिजिटल ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर, नेब्यूलाइजर और ब्लड प्रेशर जांच मशीन जैसी मेडिकल डिवाइस अब दवा श्रेणी में आ गई है। इन उपकरणों को बनाने वाली कंपनियों, बिक्री करने वाले थोक-खुदरा विक्रेताओं को ड्रग विभाग से लाइसेंस लेना होगा। एक अप्रैल से गाइडलाइन का पालन अनिवार्य होगा।
जिला औषधि नियंत्रक विजया राजे ने बताया कि गाइडलाइन आ चुकी है। मेडिकल डिवाइस रूल्स-2017 और भारतीय मानक ब्यूरो(बीआईएस) प्रमाणन के तहत डिजिटल मेडिकल डिवाइस को निर्धारित मानकों पर खरा उतरना होगा। निर्माण करने वाली कंपनियों को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(डीसीजीआई)नई दिल्ली से लाइसेंस लेना पड़ेगा। मशीनों में किसी भी तरह की गड़बड़ी या गलत रीडिग देने पर राज्य औषधि विभाग कार्यवाही कर सकेगा।
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमआरआई, सीटी स्कैन मशीन, डिफीब्रीलेटर, डायलिसिस, एक्सरे मशीन जैसी करीब आठ मशीनों को भी रेगुलेट करने की तैयारी कर ली है।अन्य मेडिकल उपकरणों को भी सरकार ए, बी, सी, डी कैटेगरी में विभाजित कर मॉनिटरिग की जाएगी। मॉल में भी बिकते हैं उपकरण :
जिले में दवा के लगभग 250 थोक, 900 खुदरा विक्रेता हैं। डिजिटल ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर, नेब्यूलाइजर और ब्लड प्रेशर जांच मशीन जैसी मेडिकल डिवाइस इनके यहां तो बिक्री होती ही हैं, मॉल इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स की दुकानों पर भी बिक्री होती हैं। ऑनलाइन ट्रेडिग तो बड़े पैमाने पर है। एक अप्रैल से इस बिक्री पर पाबंदी लगने की उम्मीद है।