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राहत भरी खबर, 10 साल में 70 फीसद कम हुई ये घातक बीमारी, जानिए कैसे

10 साल में कुष्ठ रोगियों की संख्या में 70 प्रतिशत तक आई कमी। घोघड़ीपुर रोड पर इंद्रा चक्रवर्ती ग्राम में अलग से की गई है व्यवस्था। वर्ष 2012-13 में 47 थी कुष्ठ रोगियों की संख्या। अब 22 पर आई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 03:39 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 08:48 PM (IST)
राहत भरी खबर, 10 साल में 70 फीसद कम हुई ये घातक बीमारी, जानिए कैसे
10 सालों में करीब 70 प्रतिशत की कम हुए कुष्‍ठ रोगी।

करनाल, जेएनएन। करनाल में कुष्ठ रोगियों की संख्या में पिछले 10 सालों में करीब 70 प्रतिशत की कमी आई है। स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि यह सब लोगों में जागरूकता के संचार होने से संभव हो पाया है। हमारी तरफ से भी प्रयास किए गए हैं, यह प्रयास लोगों की सहभागिता से संभव हो पाया।

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सिविल सर्जन डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि हमने लोगों को कुष्ठ रोग लक्षण, पहचान बताई, लोगों ने ध्यान से सुना और भविष्य में यह बीमारी ना फैले इसको लेकर लोग अलर्ट हुए। इसका फायदा यह हुआ है कि कुष्ठ रोगियों की संख्या पर नियंत्रण हुआ। जो कुष्ठ रोगी चिन्हित किए गए उनकी स्थिति पर नियंत्रण के लिए हर 15 दिन में मेडिकल चेकअप कैंप लगाने का निर्णय लिया गया। यह सिलसिला जारी है। अब 47 मरीजों में से 22 मरीज बचे हैं और आगे इस बीमारी के विस्तार पर अंकुश लगा है। दुखद बात यह है कि कुष्ठ रोगियों के सहयोग के लिए नियमित रूप से सहायता के लिए कोई संस्था सामने नहीं आई है। लेकिन लोग खाने-पीने की वस्तुएं जरूर यहां पर देकर जाते हैं।

घातक बीमारी है, इसलिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं

डॉ. योगेश कहते हैं कि कुष्ठ रोग घातक बीमारी है। लेकिन यदि समय पर पहचान हो जाए तो इसको कंट्रोल किया जा सकता है। इस बीमारी से बचाव के लिए हर वर्ष कुष्ठ रोग जागरूकता पखवाड़ा मनाया जाता है। इसी कड़ी में जनवरी माह में आयोजित पखवाड़े के बाद जारी आंकड़े के अनुसार यहां की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। अलावा सरकारी स्कूलों में नाटक मंचन कर भी कुष्ठ रोग के बारे में जागरूक किया जाएगा।

यह हैं कुष्ठ रोग के लक्षण, दिखाई दें तो नागरिक अस्पताल में करें संपर्क

- त्वचा पर उभार होना

- हाथों, बांहों, पैरो और पैर के तलवों में सुन्नता का अनुभव होना

- नाक से खून निकलना और नाक से पानी बहना

- शरीर पर ऐसे घाव होना जिसे छूने पर दर्द का अनुभव ना हो

- शरीर के घाव का कई हफ्तों और महीनों तक ठीक ना होना।

- पैरों के तलवों में अल्सर होना

- त्वचा मोटी, कठोर और शुष्क होना

- आंख में परेशानी और उसके कारण अंधेपन की समस्या होना

15 दिन में एक बार सभी रोगियों की गहनता से होती है जांच

सिविल सर्जन डॉ. योगेश शर्मा का कहना है कि कुष्ठ रोगियों के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हर 15 दिन में एक बार मेडिकल कैंप लगाया जाता है। उनकी गहनता से जांच की जाती है। दवाईयों की जरूरत होती है तो उनको उपलब्ध कराई जाती है। मरहम पट्टियां कराई जाती हैं। रोग ना फैले इसलिए उन्हें जागरूक भी किया जाता है।


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