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अजीब अंधविश्वास- इस मेले में नेताजी नहीं आते, इन्हें लगता है चुनाव हारने का डर

वर्ष 1976 के बाद कोई मुख्यमंत्री कपालमोचन मेले में नहीं आया। हर साल पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु। पंजाब के मंत्री आते हैं। उन्हें नहीं चिंता। पढ़ें ये विशेष खबर।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 09:56 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:15 PM (IST)
अजीब अंधविश्वास- इस मेले में नेताजी नहीं आते, इन्हें लगता है चुनाव हारने का डर
अजीब अंधविश्वास- इस मेले में नेताजी नहीं आते, इन्हें लगता है चुनाव हारने का डर

पानीपत, जेएनएन : पांच दिन लगने वाले कपालमोचन मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। पंजाब के मंत्री भी आते हैं, लेकिन हरियाणा के विधायक, मंत्री, सांसद व मुख्यमंत्री इतने बड़े आयोजन से दूर ही रहते हैं। अंधविश्वास है कि मेले में आने वाला अगला चुनाव नहीं जीतता।

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स्थानीय लोग बताते हैं कि एक पूर्व विधायक ने ऐसी बात फैलाई कि जो भी नेता मेले में आता है, वह अगला चुनाव नहीं जीतता। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि इतना बड़ा मेला अंबाला कमिश्नरी तक सिमट कर रहा गया है। इस मेले के बाद सीमा से सटे हिमाचल प्रदेश में रेणूका जी में भी राज्य स्तरीय मेला लगता है, जिसका उद्घाटन वहां के मुख्यमंत्री करते हैं।

सभी मंत्रियों को भेजा जाता है निमंत्रण
मेले में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। 70 प्रतिशत श्रद्धालु केवल पंजाब से ही आते हैं। मेला प्रशासक की तरफ से सीएम सहित पूरी कैबिनेट, विधायक व सांसद को निमंत्रण भेजा जाता है। लेकिन कोई नहीं पहुंचता है। इस बार मेला 19 से 23 नवंबर तक चलेगा।

1976 के बाद कोई मुख्यमंत्री नहीं आया : बलदेव सिंह
एसजीपीसी सदस्य 69 वर्षीय बलदेव सिंह कायमपुरी ने बताया कि 1966 में हरियाणा बनने से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री यमुनानगर के कपालमोचन मेले में आते थे। अलग होने के बाद 1976 तक बंसीलाल समेत कई मुख्यमंत्री आए। उसके बाद बड़े नेताओं ने आना छोड़ दिया। अफवाह उड़ा दी गई कि जो नेता मेले में आएगा वो अगला चुनाव हार जाता है।

पहली लड़ाई जीतने के बाद गुरु गोबिंद सिंह आए थे कपालमोचन
बलदेव सिंह कायमपुरी ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह पहली लड़ाई जीतने के बाद कपालमोचन में आए थे। इसके बाद उन्होंने 14 युद्ध जीते। लाखों श्रद्धालुओं की तरह मुख्यमंत्री व मंत्रियों को भी आना चाहिए। क्षेत्रीय विधायक तो आ ही सकते हैं।

हुड्डा आए थे मेले के बाद, रास्ते से निकल गए थे रामबिलास शर्मा 
पंजाब के कई मंत्री हर साल मेले में आते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कपालमोचन के गुरु रविदास मंदिर, डेरा बाबा लाल दास में आए थे। इसके बाद वे गुरुद्वारा में भी गए थे। हालांकि वह मेले के दौरान नहीं बल्कि बाद में आए थे। हुड्डा दोबारा मुख्यमंत्री बने थे। दो साल पहले मंत्री रामबिलास शर्मा रास्ते से निकलकर आदिबद्री गए थे, लेकिन मेले में नहीं गए। इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने ठोस जवाब नहीं दिया था।

केवल अफवाह है : डॉ. सुभाष
कपालमोचन के 50 वर्षीय डॉ. सुभाष शर्मा  का कहना है कि यहां आने वाले सभी लोगों की मुरादें पूरी होती हैं। पता नहीं कैसे धारणा बन गई कि मेले में आने वाले नेता अगला चुनाव हार जाते हैं। कभी मेले के उद्घाटन में किसी मंत्री या विधायक को नहीं देखा।

इनकी भी सुनिए
मैं स्नान करने गया था : घनश्याम दास
विधायक घनश्याम दास अरोड़ा का कहना है कि 2015 में परिवार के साथ तीर्थ स्थल पर गए थे। तीनों सरोवरों में स्नान किया। समय मिलेगा तो फिर तीर्थ स्थल पर जाएंगे।

सरकार तय करती है उद्घाटन किसको करना है : कंवरपाल
स्पीकर कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि मेले का उद्घाटन किसी को करना है, ये सरकार तय करती है। उनको जिम्मेदारी दी जाती तो वे जरूर जाते। तीर्थ स्थल पर जाते रहते हैं।

पांव में चोट लगी हैं : बलवंत सिंह
क्षेत्रीय विधायक बलवंत सिंह का कहना है कि उनके पांव में चोट लगी है, जिस कारण मेले में नहीं जा पाएंगे।


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