Kurukshetra University का कारनामा, कोड बदल भेज दिया पिछले साल का प्रश्नपत्र Panipat News
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से पिछले साल के प्रश्नपत्र का कोड बदलकर भेज दिया गया। 27 नवंबर को एमए अंग्रेजी के क्रिटिकल थ्योरी की परीक्षा हुई थी।
पानीपत/कैथल, [कमल बहल]। तीसरे समेस्टर की आयोजित हो रही परीक्षा में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 27 नवंबर को हुई एमए अंग्रेजी के तृतीय समेस्टर की परीक्षा में विश्वविद्यालय ने पिछले साल के प्रश्नपत्र का कोड बदलकर इस बार आयोजित हो रही परीक्षा में ये प्रश्नपत्र भेज दिए। पिछले साल का प्रश्नपत्र भेजने के बाद विद्यार्थियों में काफी रोष देखने को मिला। वहीं विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस लापरवाही को नकल कराने का अंदेशा जताया है।
विद्यार्थियों का कहना था कि विश्वविद्यालय की यह चूक छोटी नहीं है। विद्यार्थियों के भविष्य से एक खिलवाड़ है। उनका यह भी कहना है कि विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार एक ही प्रश्नपत्र को दोबारा नहीं छाप सकता है। विश्वविद्यालय की इस लापरवाही का खुलासा शुक्रवार को एक कॉलेज के प्रोफेसर ने किया।
प्रोफेसर के पास पिछले साल का इसी सेमेस्टर का एक प्रश्नपत्र पड़ा हुआ था तो इस बार भेजे गए प्रश्नपत्र से जब मिलान किया तो वह हैरान रह गया। इसके बाद उन्होंने परीक्षा केंद्र अधीक्षक को इस बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों को इस बारे में अवगत करवाया जाएगा। पिछले वर्ष 7339 कोड था, केवल उसे बदलकर 7331 कर दिया गया, जबकि अन्य पूरा प्रश्न पत्र हूबहू था।
नुकसान की क्षतिपूर्ति करें विश्वविद्यालय
एमए अंग्रेजी तृतीय सत्र के विद्यार्थी परमजीत, रश्मि, दीपक, मनीष, रेणुका व सनोज कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 व 2019 की परीक्षा में सभी यूनिट्स के 9 प्रश्न एक समान हैं। यहां तक की पिछले वर्ष एक प्रश्न में मुद्रण की गलती थी उसमें भी सुधार नहीं हुआ और वही त्रुटि इस सत्र के प्रश्न पत्र में भी दोहरा दी गई। उन्होंने कहा कि ऐसा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास में कभी नहीं हुआ। इस नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाए।
जानकारी नहीं
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार जयवीर सिंह ने कहा कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं आया है। यदि किसी भी कॉलेज के विद्यार्थी को प्रश्नपत्र को लेकर कोई समस्या है तो वे विश्वविद्यालय में आकर कार्यालय में लिखित शिकायत दें।