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HSGPC की धुरी रहा है कुरुक्षेत्र, कई बार आमने हुई SGPC और एचएसजीपीसी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एसजीपीसी और एचएसजीपीसी अब आमने सामने हो गए हैं। अब कुरुक्षेत्र में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) का मुख्‍यालय बनेगा। गुरुद्वारा छठी पातशाही की सेवा संभाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2022 03:23 PM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2022 03:23 PM (IST)
HSGPC की धुरी रहा है कुरुक्षेत्र, कई बार आमने हुई SGPC और एचएसजीपीसी
कुरुक्षेत्र का हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी केंद्र रहा।

कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। साल 2001 में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) के संघर्ष की शुरुआत से लेकर अभी तक कुरुक्षेत्र इस पूरे संघर्ष की धुरी रहा है। अब अदालत से कानूनी लड़ाई जीतने के बाद एचएसजीपीसी का मुख्यालय गुरुद्वारा छठी पातशाही में बनाने की बात कही जा रही है। ऐसे में प्रदेश के गुरु घरों की सेवा संभाल को लेकर लिए जाने वाले सभी तरह के फैसले भी यहीं से लिए जाएंगे।

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एचएसजीपीसी अध्यक्ष बलजीत सिंह दादूवाल बुधवार को गुरुद्वारा छठी पातशाही पहुंच गए हैं और उन्होंने यहीं से सभी तरह की गतिविधियां चलाने की बात कही है। इससे पहले एचएसजीपीसी का मुख्यालय चीका में गुरुद्वारा 6वीं, 9वीं पातशाही से चलाया जा रहा था।

गौरतलब है कि साल 2001 में 20 सदस्यों ने कुरुक्षेत्र में ही बैठक कर अलग कमेटी की नींव रखी थी। इसके बाद इसको मान्य करने के संघर्ष शुरू किया गया और प्रदेश भर में प्रचार भी शुरू हुआ। इस प्रचार का असर यह हुआ कि साल 2004 में प्रदेश भर के 11 में से एचएसजीपीसी से जुड़े सात सदस्यों ने एसजीपीसी के चुनावों में जीत दर्ज करवाई। इसके बाद भी प्रदेश के गुरुद्वारों की सेवा संभाल का अवसर न मिलने पर एचएसजीपीसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश सिंह झिंडा के नेतृत्व में दोनों के बीच तनातनी जारी रही।

इसके बाद चिंगारी सुलगती रही और कुरुक्षेत्र में तत्कालीन वित्त मंत्री हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा के निवास पर धरना प्रदर्शन किया गया जो 120 दिन तक चला। इस संघर्ष को लेकर थीम पार्क के पास लगते डेरा कार सेवा में सिख संगत एकत्रित होती रही। वहीं से जगदीश सिंह झिंडा और कार्यकारिणी की बैठक के बाद संघर्ष को लेकर फैसले लिए जाते रहे। इसके बाद झिंडा और अन्य सदस्यों को जेल भी जाना पडा़।

साल 2007 में गुरुद्वारा छठी पातशाही की जबरदस्ती सेवा संभाल के प्रयास को लेकर झिंडा और कंवलजीत को श्रीअकाल तख्त की ओर से सजा भी सुनाई गई थी। इस लंबे संघर्ष के बाद जुलाई 2014 में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अलग कमेटी का सरकारी तौर पर गठन किया। इसी के बाद अगस्त माह में एचएसजीपीसी ने चीका में गुरुद्वारा 6वीं और 9वीं पातशाही में सेवा संभाल ली थी।

कुरुक्षेत्र डेरा कार सेवा ही लिए जाते रहे महत्वपूर्ण फैसले

एचएसजीपीसी के संघर्ष के दौरान कुरुक्षेत्र में डेरा कार सेवा में ही बैठक होती रही। जब भी तनावपूर्ण स्थिति बनती तो एचएसजीपीसी की समर्थक सिख संगत डेरा कार सेवा में इकट्ठे होते और एसजीपीसी समर्थक गुरुद्वारा छठी पातशाही में जुटने लगते थे। एचएसजीपीसी के संघर्ष में शुरू से जुड़े रहे सलपानी कलां के निवर्तमान सरपंच हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि अलग कमेटी के लिए शुरू किए गए आंदोलनों के ज्यादातर फैसले कुरुक्षेत्र में ही लिए गए हैं। इसके लिए लंबा संघर्ष भी कुरुक्षेत्र में ही किया गया है।


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