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लॉकडाउन में पुस्तकों के आदान प्रदान से बंटेगा ज्ञान

बिन किताबों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसको लेकर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लॉकडाउन में पाठ्य पुस्तकों के पारस्परिक आदान-प्रदान को लेकर विशेष अभियान चलाने का फैसला लिया हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 06:08 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 06:08 AM (IST)
लॉकडाउन में पुस्तकों के आदान प्रदान से बंटेगा ज्ञान
लॉकडाउन में पुस्तकों के आदान प्रदान से बंटेगा ज्ञान

रामकुमार कौशिक, पानीपत

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प्रदेश के राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को निशुल्क किताबें मुहैया कराई जाती हैं। कोविड-19 के चलते स्कूलों में 31 मई तक की छुंट्टियां होने के साथ ही लॉकडाउन लगा है। ऐसे में बिन किताबों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसको लेकर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लॉकडाउन में पाठ्य पुस्तकों के पारस्परिक आदान-प्रदान को लेकर विशेष अभियान चलाने का फैसला लिया हैं।

इसके लिए प्रदेश के सभी जिला शिक्षा, मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए गए हैं। महामारी के चलते पुस्तकों का ये पारस्परिक आदान-प्रदान पिछले शैक्षणिक सत्र में भी हुआ था। हालांकि निदेशालय ने साफ कहा है कि यह व्यवस्था केवल आंतरिक है, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। 50 लाख पुस्तकें हुई थी वितरित

निदेशालय के मुताबिक सरकार द्वारा पुस्तकें छपाई के संदर्भ में समय रहते सभी कार्रवाई कर ली गई हैं। लेकिन लॉकडाउन के चलते पुस्तकों का विद्यार्थियों तक पहुंचा पाना संभव नहीं हो रहा हैं। ऐसे में पिछले शैक्षणिक सत्र 2020-21 के प्रयासों का अवलोकन किया जाए तो पाठ्य पुस्तकों की उपलब्धता के लिए अध्यापकों व बच्चों पाठ्य पुस्तकों के पारस्परिक आदान-प्रदान की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने का प्रयास सराहनीय रहा।

पास होने वाले विद्यार्थी ने अपनी पुस्तकें उस कक्षा में आने वाले पड़ोस के विद्यार्थी को दे दी गई। इसमें नौ लाख से अधिक विद्यार्थी लाभांवित हुए और 50 लाख से ज्यादा पुस्तकें पारस्परिक आदान-प्रदान के तहत वितरित हुई। इस प्रयास को मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक ने सराहा था। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बृजमोहन गोयल का कहना है कि विभाग की ये पहल अच्छी है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने से बचेगी। ये परंपरा पर्यावरण के लिए भी लाभकारी

पुस्तकों का पारस्परिक आदान-प्रदान काफी पुरानी परंपरा है। यह परंपरा पर्यावरण के लिए भी मददगार होगी। क्योंकि जिस कागज से पुस्तकें छपती हैं, वह उस पेड़ को काटकर ही प्राप्त होता है। जबकि आज के दौर में पेड़ों का संरक्षण अति अनिवार्य है। ऐसे में इस आदान प्रदान से न केवल लॉकडाउन में पुस्तकों की समस्या का हल निकलेगा, बल्कि पर्यावरण की मदद भी कर पाएंगे।

अभियान के साथ सावधानी

पुस्तकों के पारस्परिक आदान प्रदान को क्रियान्वयन के लिए कक्षा अध्यापक, स्कूल इंचार्ज व एसएमसी सदस्य मिलकर काम करेंगे। पुस्तकों को लेते व देते समय पुरी सावधानी बरती जाएगी। इससे लॉकडाउन के विपरीत कोई गतिविधि न हो। मिलने वाले पुस्तकों को कम से कम दो दिन तक ऐसे स्थान पर रखना होगा, जहां कोई उन्हें छुए नहीं। किताब लेने व देने से पहले दूरभाष पर संपर्क करें। इसमें शिक्षक मदद करेंगे। किताब लेने व देने के बाद साबुन से हाथ जरूर धोएं।


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