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जानें हरियाणा के गब्‍बर के बारे में, 32 साल पहले बने थे विधायक, आज तक रुतबा बरकरार, दो बार निर्दलीय भी जीते

हरियाणा के गब्‍बर यानी गृहमंत्री अनिल विज। राजनीति में कदम रखते हुए 32 साल पहले विधायक बने थे। सुषमा स्वराज द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बाद विज को मौका मिला था। अब हरियाणा के गृहमंत्री बनकर देशभर में नाम कमाया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 10:57 PM (IST)
जानें हरियाणा के गब्‍बर के बारे में, 32 साल पहले बने थे विधायक, आज तक रुतबा बरकरार, दो बार निर्दलीय भी जीते
हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज।

अंबाला, जागरण संवाददाता। राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने 27 मई 1990 को पहली बार विधायक बने थे। इस तरह सक्रिय राजनीति में उन्हें 32 साल हो गए हैं। 27 मई को तत्कालीन सातवीं हरियाणा विधानसभा की दो रिक्त सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे। इसमें अंबाला जिले के कैंट विधानसभा हलके से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर अनिल कुमार (विज) पहली बार चुनाव जीतकर विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे। वहीं सिरसा जिले की तत्कालीन दरबा कलां सीट से जनता दल के टिकट पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला विजयी होकर दूसरी बार विधायक बने थे।

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अंबाला कैंट में मई, 1990 में हुए उपचुनाव में ज़िले के तत्कालीन डीसी (उपायुक्त ) एसपी लाम्बा, आइएएस को रिटर्निंग अफसर (निर्वाचन अधिकारी) बनाया गया था जिन्होंने उपचुनाव में विधायक के तौर पर निर्वाचित अनिल विज को इलेक्शन सर्टिफिकेट प्रदान किया था।

1987 में सुषमा स्वराज बनी थी विधायक

जून, 1987 में सातवीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में अंबाला कैंट विधानसभा सीट से भाजपा की वरिष्ठ नेत्री एवं दिवंगत सुषमा स्वराज विजयी होकर दूसरी बार कैंट से विधायक बनी थी जिसके बाद वह प्रदेश में तत्कालीन देवी लाल के नेतृत्व वाली लोक दल- भाजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनी परंतु अप्रैल, 1990 में सुषमा हरियाणा से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हो गई थीं, इसलिए उन्होंने इसी सीट से त्यागपत्र दे दिया था जिसके कारण इस सीट पर उपचुनाव करवाना पड़ा था।

बैंक की नौकरी छोड़कर बने थे विधायक

उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर अनिल विज ने चुनाव लड़ा और विजयी हुए जिसमें उन्होंने कांग्रेस के राम दास धमीजा एवं निर्दलयी अर्जुन लाल कालड़ा को पराजित किया था। उस समय विज की आयु मात्र 37 वर्ष थी एवं उन्होंने स्टेट बैंक आफ़ इंडिया में क्लेरिकल पद की नौकरी छोड़कर वह उपचुनाव लड़ा था। उसके एक वर्ष से भी पूर्व अप्रैल, 1991 में सातवीं हरियाणा विधानसभा समयपूर्व ही भंग कर दी गई थी। क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला तत्कालीन राज्यपाल धनिक लाल मंडल के निर्देशानुसार सदन में उनकी सरकार का बहुमत साबित नहीं कर पाए थे एवं राज्यपाल की सिफारिश पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार को अल्पमत में होने कारण बर्खास्त कर दिया था।आगामी कुछ माह तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

लगातार तीसरी बार विज बने विधायक

अक्टूबर, 2019 में मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में विज लगातार तीसरी बार और कुल छठी बार अंबाला कैंट सीट से विजयी होकर विधायक बने थे। आज से साढ़े 55 वर्ष पूर्व संयुक्त पंजाब से अलग होने के बाद जब 1 नवंबर, 1966 को हरियाणा देश का नया राज्य बना, तो प्रदेश में अब तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में अंबाला कैंट हलके में 7 बार भाजपा ( जनता पार्टी और भारतीय जन संघ मिलाकर) और 5 बार कांग्रेस पार्टी ने विजय हासिल की है जबकि दो बार यहां से निर्दलयी उम्मीदवार जीता है और दोनों बार वह निर्दलयी प्रत्याशी विज ही थे।


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