Kisan Andolan: हरियाणा की इस घटना से आंदोलन ने पकड़ी थी रफ्तार, आना पड़ा था टिकैत, योगेंद्र को भी
Kisan Andolan अब सरकार ने तीनों कृषि कानूनों के वापस लिए जाने का फैसला लिया। किसान आंदोलन भी कमजोर होता दिख रहा था। हालांकि एक वक्ता था जब हरियाणा की एक घटना ने किसान आंदोलन में जान फूंक दी थी। संगठन के बड़े नेताओं को भी आना पड़ा था।
करनाल, [अश्वनी शर्मा]। Kisan Andolan: तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले। एक समय ऐसा आया जब आंदोलन कमजोर पड़ने लगा था। तभी करनाल में हुई एक घटना से आंदोलन का रुख ही बदल गया। संगठन के शीर्ष नेताओं और किसानों को करनाल की तरफ रुख करना पड़ गया था। करनाल के किसानों ने भी इनका साथ दिया।
करीब एक साल के इस सफर में करनाल में भी कई बार बड़ी हलचल देखने को मिली। आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी से लेकर योगेंद्र यादव व बलवीर राजेवाल तक ने यहां कई बार डेरा डाला। कभी घरौंडा तो कभी इंद्री व कभी करनाल की अनाज मंडी में महापंचायत हुई।
इस मामले ने पकड़ा था तूल
28 अगस्त को करनाल में बसताड़ा टोल प्लाजा पर हुए लाठीचार्ज के बाद तो मामला इतना तूल पकड़ गया कि सिंघु और टीकरी बार्डर की तर्ज पर करनाल भी आंदोलन का केंद्र बन गया। अलबत्ता अभी भी करनाल टोल प्लाजा पर चल रहा धरना समाप्त नहीं होगा। किसान नेताओं का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व ही इस पर निर्णय लेगा। अभी फिलहाल धरना जारी रखने का निर्णय है।
बसताड़ा में हुआ था लाठीचार्ज
कैमला गांव में आयोजित कार्यक्रम का किसानों ने जमकर विरोध किया था। इस कार्यक्रम में सीएम मनोहर लाल को पहुंचना था। हालांकि सीएम इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच। जबकि आंदोलनकारियों ने मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम के पंडाल में तोड़फोड़ की थी। बसताड़ा टोल प्लाजा पर हुए लाठीचार्ज के बाद सितंबर माह का पहला पखवाड़ा भी पूरी तरह से आंदोलनकारियों के नाम रहा। जब लाठीचार्ज को लेकर किसान नेताओं ने निर्णय लिया कि जिला सचिवालय के सामने सात सितंबर को महापड़ाव डाला एगा।
किसानों ने मांगें पूरी नहीं होने पर महापड़ाव डाल दिया। लगातार पांच दिन तक किसानों ने पूरे जिला सचिवालय को घेर कर रखा। सचिवालय के बाहर अस्थायी टैंट भी लगा दिए। लिहाजा 11 सितंबर को किसानों की मांगें मान ली गई।
इनमें मृतक किसान सुशील काजल के परिवार में दो लोगों को डीसी रेट पर नौकरी प्रदान करना, घायलों को दो-दो लाख रुपये मुआवाजा, लाठीचार्ज प्रकरण की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग स्वीकार हुई। इसके साथ ही मृतक परिवार को भी 25 लाख रुपये मुआवजा राशि दी गई।
दूसरी ओर शुक्रवार सुबह 10 बजे बाद बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों का आवागमन शुरू हो गया। सभी एक दूसरे को बधाई देते रहे। हालांकि अभी यहां किसानों का धरना जारी है। एडवोकेट चांदवीर मंढान का कहना है कि धरना अभी जारी रहेगा। शीर्ष नेतृत्व के अनुसार ही आंदोलन को लेकर निर्णय होगा।
अभी भी धरना देकर सहयोग जारी
तीन कृषि विरोधी आंदोलन के चलते बसताड़ा टोल प्लाजा करनाल जिले का मुख्य केंद्र बना हुआ है। आंदोलन की शुरूआत से लेकर अब तक यहां धरना जारी है।