Lok Sabha 2019: राजनीतिक दांव पेंच में उलझी करनाल सीट, देवीलाल-चरण सिंह की राहें भी हो गई थी जुदा
करनाल लोकसभा सीट हमेशा से राजनीतिक दांव पेंच में उलझी रही है। क्षेत्र का विकास भी हमेशा अधर में लटका रहा है। इसी वजह से 1982 में देवीलाल और चौधरी चरण सिंह की राहें जुदा हो गईं थी।
पानीपत [अरविन्द झा]। करनाल लोकसभा सीट पर वंशवाद की राजनीति भी हावी रही है। इतिहास गवाह है कि यहां के मतदाताओं ने इस पर चोट भी की। पैराशूट उम्मीदवारों को कम वोटों से हराने में अहम रोल निभाया। 16 लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दांव पेंच में उलझ कर क्षेत्र विकास की गति में पिछड़ गया।
इमरजेंसी के बाद देश में जनता पार्टी की सरकार बनी। उल्लेखनीय है कि 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के भगवत दयाल शर्मा ने कांग्रेस के जगदीश शर्मा को 3.75 लाख वोटों से हराया था। केंद्र सरकार ने उन्हें राज्यपाल बना कर ओडिशा भेज दिया। 1979 में उपचुनाव हुए। तब देवीलाल ने चौधरी चरण सिंह की इच्छा के विरुद्ध सगे भाई चौधरी साधराम के दामाद एडवोकेट महेंद्र सिंह लाठर को जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा। लाठर ने 18 हजार से जीत दर्ज की। उधर, किसान नेता चरण सिंह गुजरात के पिल्लू मोदी को यहां से चुनाव लड़ाना चाहते थे। बड़े हित को देखते हुए उन्होंने छोटे हित का त्याग कर दिया।
चौटालावादी नीति भी खूब चली
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये जीत तब संभव हुई जब चौधरी देवीलाल ने तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से करनाल में जनसभा कराई थी। देवीलाल बमुश्किल पार्टी की साख बचा पाए थे। चौटालावादी नीति भी खूब चली।
सब्र का घूंट पी गए चरण सिंह
लाठर प्रकरण से देवीलाल और चौधरी चरण सिंह के बीच मिठास खत्म हो गई। चरण सिंह ने भारतीय क्रांति दल, गुजरात के पिल्लू मोदी, हरियाणा के देवीलाल, राजस्थान के कुंभाराम आर्य और ओडिशा के बीजू पटनायक को मिलाकर भारतीय लोकदल का गठन किया। इस कड़ी में गुजरात के पिल्लू मोदी की हार से दुखी थे। विश्लेषकों की मानें देवीलाल की जिद के आगे चरण सिंह ने सब्र का घूंट पीना ही उचित समझा। लोकसभा के सातवें कार्यकाल के दौरान 1982 में दोनों किसान हितैषी नेताओं की राहें जुदा हो गई।
लोकसभा में चुनें लोकल प्रत्याशी
समान आचार संहित के संयोजक नेमचंद जैन का कहना है कि केंद्र सरकार के कोष में हजारों करोड़ की विदेशी मुद्रा का योगदान पानीपत देता है। लोकसभा का स्थानीय प्रत्याशी ही क्षेत्र का गौरव बढ़ा सकता है। शहर में टेक्सटाइल से संबंधित कोई बड़ा संस्थान बनवाने में योगदान दे सकता है।
खेतिहर मजदूर को बनाएं प्रत्याशी
जजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता रणबीर सिंह पूनिया का कहना है कि करनाल लोकसभा में खेतिहर मजदूरों की बड़ी आबादी है। संसद में आवाज उठाने के लिए इसी वर्ग से प्रत्याशी को अवसर दिया जाए। पैराशूट उम्मीदवार किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।