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जुबां पर भोले के जयकारे, कदम-कदम भंडारे Panipat News

शहर में जगह-जगह बम भेले के जयकारों से सड़के गूंजायमान हो रही हैं। कांवडि़यों के लिए शिविर और भंडारे लगाए गए हैं।

By Edited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 07:39 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 07:40 AM (IST)
जुबां पर भोले के जयकारे, कदम-कदम भंडारे Panipat News
जुबां पर भोले के जयकारे, कदम-कदम भंडारे Panipat News

पानीपत, जेएनएन। बम बम भोले के भक्तों का कांवड़ लेकर हरिद्वार से आना शुरू हो गया है। भक्त जयकारा लगाते हुए गंगाजल लेकर आ रहे हैं। वे 30 जुलाई को शिवरात्रि के दिन गंगाजल से बाबा भोले का जलाभिषेक करेंगे। कांवड़ लाने वालों में हर उम्र के पुरुष, महिला व बच्चे शामिल हैं। कुछ लोग मन्नत के कारण सपरिवार कांवड़ लेकर आ रहे हैं तो कुछ बाबा शिव शंकर की मूर्ति भी कांवड़ के साथ ला रहे हैं।

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पथरीले रास्ते से परेशानी
बिहौली रोड पर भापरा और बिहौली गांव के बीच करीब तीन किमी पथरीला रास्ता है। लोकनिर्माण विभाग के एक माह पह ले इसका चौड़ीकरण और पुनर्निर्माण शुरू किया था। पत्थर दबाने के बाद कांवड़ यात्रा शुरू होने से काम बीच में रोक दिया गया। यही पत्थर कांवड़ियों के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। उन्हें नंगे पांव चलने में दिक्कत हो रही है।

जगह-जगह लगे भंडारे व शिविर
कांवड़ियों के लिए समालखा और बिहौली के बीच तीन शिवर लगे हैं। उनके ठहरने, नहाने, आराम करने, खाने-पीने आदि की व्यवस्था की गई है। समाजसेवी और श्रद्धालु बाबा के भक्तों की सेवा में निस्वार्थ भाव से लगे हैं। व्रती के लिए फलाहार तो अन्य के लिए पुरी, सब्जी, केला, घेवर, दूध, चाय आदि की व्यवस्था है। विजय जैन, एनके वशिष्ठ, राजीव शर्मा, रमेश दुहन आदि ने कहा कि हिमगिरी स्कूल के परिसर में 22 सालों से शिविर लगाया जा रहा है। कांवड़ियों की सेवा की जा रही है। पार्षद श्याम बरेजा ने कहा कि वे पुराना बस अड्डे के पास एक दशक से कांवड़ियों के लिए शिविर लगा रहे हैं। उनका उद्देश्य केवल सेवाभाव है।

गोमुख से लाते गंगाजल
सोनीपत के पिनाना निवासी संजू, नरेंद्र व पवन ने कहा कि वे डेढ़ दशक से गौमुख से गंगाजल लेकर बाबा को चढ़ाते हैं। 11 जुलाई को वे घर से निकलते थे। 13 जुलाई को वहां से गंगाजल लेकर पैदल चले। पंद्रह दिनों से पैदल चलकर यहां पहुंचे हैं। सोमवार को वे गांव पहुंचेंगे। यहीं के मनु 9, योगेश 7 और जय नारायण 35 सालों से कांवड़ ला रहे हैं। ललित और मोहित गन्नौर ने कहा कि वे पहली बार 21 व 31 किलो गंगाजल लेकर आ रहे हैं। बलवान और बबली कासंडा (सोनीपत) ने कहा कि वे सपरिवार पांच सालों से गंगाजल लेकर आते हैं। उनकी बाबा से मनोकामना है, जो अभी अधूरी है। पूरी होने तक उनका सफर जारी रहेगा।

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