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संयुक्त हरियाणा पंजाब में भी सबसे पिछड़ा विधानसभा क्षेत्र था कैथल, बंसीलाल की सरकार में खुला विकास का पिटारा Panipat News

संयुक्त हरियाणा पंजाब में कैथल विधानसभा क्षेत्र सबसे पिछड़ा विधानसभा क्षेत्र था। बंसीलाल की सरकार में विकास का पिटारा खुला था। उस समय न सड़कें थी न ही बिजली।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 04:45 PM (IST)
संयुक्त हरियाणा पंजाब में भी सबसे पिछड़ा विधानसभा क्षेत्र था कैथल, बंसीलाल की सरकार में खुला विकास का पिटारा Panipat News
संयुक्त हरियाणा पंजाब में भी सबसे पिछड़ा विधानसभा क्षेत्र था कैथल, बंसीलाल की सरकार में खुला विकास का पिटारा Panipat News

पानीपत/कैथल, [कमल बहल]। हरियाणा के गठन से पहले संयुक्त हरियाणा पंजाब के समय में कैथल सबसे पिछड़ा हुआ विधानसभा क्षेत्र था। यहां पर उस समय न सड़कें थी, न ही बिजली और पानी की इतनी अधिक सुविधाएं थी। हरियाणा के गठन के बाद जब विधानसभा चुनाव हुए और बंसी लाल ने सत्ता संभाली तो उनके सीएम बनने के बाद यहां पर विकास की गंगा बही। उस समय शहर भी कुछ ही क्षेत्र में सिमटा हुआ था, न पिहोवा चौक था और न ही अंबाला रोड। यह कहना है रिटायर्ड प्रो. अमृत लाल मदान का। 

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मदान बताते है कि वर्ष 1952 में हुए प्रथम चुनाव में उनकी आयु मात्र 11 वर्ष थी, उस समय उन्हें वोट डालने का अधिकार तो प्राप्त नहीं था, लेकिन जब पहला चुनाव आया तो यह एक महीने तक चलने वाले मेले से कम नहीं था, उस समय जिस प्रकार युवाओं और बुजुर्गों के साथ बच्चों में भी खासा उत्साह था, वह चुनाव प्रचार से लेकर यहां होने वाली जनसभा और रैलियों में हिस्सा लेते थे। उस समय सभी मतदाता उम्मीदवारों को खुलकर समर्थन देते, लेकिन अब वह बात नहीं रही है, अब सभी वोटर गुप्त रुप से बिना समर्थन के अपनी पसंदीदा पार्टी को मतदान करते है। मदान ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1967 में अपना पहली बार वोट डाला था, उस समय व अंबाला से पढ़ाई पूरी करने के बाद कैथल में वापिस लौटे थे। 

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अंबाला जाने का नहीं था रास्ता, शहर भी बसा था कोठी गेट तक

प्रो. अमृत लाल मदान ने बताया कि हरियाणा के गठन से पहले कैथल विधानसभा काफी पिछड़े हुए क्षेत्रों में आता था, जिसकी अलग से कोई पहचान ही नहीं थी। उस समय अंबाला जाने का सीधा रास्ता ही नहीं था, केवल पिहोवा तक एक कच्ची सड़क थी, जिसके माध्यम से पिहोवा में सरस्वती नदी पर लगने वाले मेले व अरुणाय धाम में जाया करते थे। इसके साथ ही यदि किसी को अंबाला जाना होता था, तो वह कुरुक्षेत्र तक ट्रेन में जाकर आगे ट्रेन के माध्यम से ही अंबाला पहुंचते थे। लेकिन इसके बाद जब हरियाणा का गठन हुआ तो वर्ष 1968 में बंसीलाल प्रदेश के मुखिया बने, जिसके बाद यहां पर विकास की एक गंगा बह गई। उसके बाद यहां पर अंबाला तक जाने के लिए सड़क, पटियाला जाने के लिए चीका तक सड़क और शहर में मुख्य मार्ग करनाल रोड का निर्माण हुआ। जबकि इससे पहले यह शहर केवल वर्तमान में कमेटी चौक पर कोठी गेट तक ही बसा हुआ था। 

चुनाव प्रचार होता था तांगों पर, केवल ओमप्रभा जैन ने किया कार में प्रचार

मदान ने बताया कि उस समय इतने साधन नहीं थे, जिस कारण जो भी उम्मीदवार चुनाव लड़ता था तो वह या तो प्रचार केवल डोर टू डोर जाकर पैदल ही करता था या फिर वह तांगे पर ही सवारी कर चुनाव प्रचार करते थे, उस समय पुरानी सब्जी मंडी में जनसभाएं होती थी, यहीं से विधानसभा चुनाव के दौरान सभी रणनीतियां बनाई जाती थी। उस समय केवल एकमात्र कांग्रेस की नेत्री ओम प्रभा जैन के दिल्ली के अमीर घराने से होने के कारण वह ही कार पर प्रचार करती थी।


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